मृत युवक का अंतिम संस्कार कर लौटी भीड़ ने किया उग्र रूप धारण, किया आसपास के खोखों और कई दुकानों को आग के हवाले, पुलिस ने किया 50 दंगाइयों को गिरफ्तार
मुस्लिमों मोहल्लों से गुजरते हुए एबीवीपी और वीएचपी कार्यकर्ताओं ने लगाए थे समुदाय विशेष के लोगों को बेइज्जत करने वाले नारे। एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने 26 जनवरी को मोटरसाइकिल जुलूस निकालते हुए एक मुस्लिम युवक को पकड़कर बुलवाया था जय श्रीराम, साथ ही लगाया था नारा 'मुस्लिमों का एक स्थान — पाकिस्तान या कब्रिस्तान।'
एबीवीपी के सह पे फैलाई गयी गुंडागर्दी से निपटने के लिए पुलिस ने चलाई थीं गोलियां, पुलिस की गोली से मारा गया एक हिंदु युवक, लेकिन हिंदूवादी दंगाई फैला रहे गलत जानकारी, बता रहे मारे गए तीन युवा
जनज्वार। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कासगंज में 26 जनवरी को एक समुदाय द्वारा निकाली जा रही यात्रा के बाद हुई हिंसक झड़प ने सांप्रदायिक रूप ले लिया है। इस हिंसक घटना पर राजनीति भी उतनी ही तेज हो गई है और नेताओं ने अपनी रोटियां भी सेंकनी शुरू कर दी है। पहले हिंदू—मुस्लिमों के बीच हुई हिंसक झड़प में गोली लगने से कल एक युवक की मौत के बाद इस सांप्रदायिक तनाव के बाद आज फिर शहर में हिंसक वारदातें हुईं। इस घटना के बाद पूरे शहर में अघोषित कर्फ्यू लगा दिया गया है।
आज शहर में हिंसा को भड़काने के लिए तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम दिया गया और आगजनी भी की गई। हालांकि पुलिस ने मौके पर ही दमकल की गाड़ियां बुला ली गई थीं, जिस कारण शहर को कुछ हद तक बवाल से बचाया जा सका। दमकल की गाड़ियां आने तक हिंसक भीड़ ने 5 बसों को आग के हवाले कर दिया था। इस वारदात के बाद पुलिस ने लगभग 50 लोगों को गिरफ्तार कर जिले के सीमा क्षेत्रों को सील कर दिया है। हिंसाग्रस्त इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है।
इस मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां कम सेंकी जाए और हिंदुवादी संगठनों को भड़काकर हिंसा की आग को और न बढ़ाया जाए, इसके लिए पुलिस ने विश्व हिंदू परिषद की फायर ब्रैंड लीडर मानी जाने वाली साध्वी प्राची को सिकंदराराऊ में ही रोक लिया। साध्वी प्रज्ञा इसके बाद से हिंसा वाले स्थान पर जाने से रोकने के लिए अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गई हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक साध्वी प्रज्ञा की ये कोशिश भी हिंदुओं की भावनाओं को राजनीतिक रंग देने की कोशिश ही है, जिससे कि अपने समुदाय के लोगों की भावनाओं को दूसरे समुदाय विशेष के प्रति और ज्यादा भड़काया जाए। उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिरिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता एसआर दारापुरी के मुताबिक कासगंज में दंगा तिरंगे या भारत माता के नारों को लेकर नहीं बल्कि "मुल्लों का एक ही स्थान-पाकिस्तान या कब्रिस्तान" तथा "हिन्दोस्तान में रहना होगा तो जय श्रीराम कहना होगा" जैसे नारे थे।
दारापुरी ने बताया कि इसमें एक मुसलमान को पकड़ कर जबरदस्ती "जय श्री राम" के नारे लगाने के लिए पीटा भी गया जिसका विरोध करने पर बलवा भड़का। इस पर पुलिस द्वारा फायरिंग करने से एक हिन्दू लड़का मारा गया तथा दो मुसलमान लड़के घायल हुए हैं। यह जुलूस वीएचपी और एबीवीपी द्वारा निकाला जा रहा था।
गौरतलब है कि हिंसक झड़प ने उस समय सांप्रदायिक रंग और ज्यादा अख्तियार कर लिया जब आज हिंसा का शिकार हुए युवक 22 वर्षीय चंदन गुप्ता का अंतिम संस्कार किया गया। मृत युवक का अंतिम संस्कार कर लौटी भीड़ ने उग्र रूप धारण कर लिया और आसपास के खोखों और कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। रास्ते में सब्जी के ठेलों को पलटकर तोड़फोड़ करते हुए दो बसों को भी आग लगा दी गई।
सवाल यह भी उठ रहे हैं कि आखिर 26 जनवरी के जुलूस ने सांप्रदायिक रुख कैसे अख्तियार कर लिया। दरअसल कासगंज जिले के थाना कोतवाली क्षेत्र में बिलराम गेट के पास से कल 26 जनवरी के मौके पर विश्व हिंदू परिषद और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा तिरंगा बाइक रैली निकाली गई थी।
इसी दौरान कासगंज में बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ इस जुलूस ने हिंदुस्तान में रहना है तो वंदे मातरम कहना है, जय श्रीराम और भारत माता की जय के हिंदुस्तान जिंदाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। मौके पर मौजूद लोगों के मुताबिक हिंदुवादी संगठनों द्वारा गणतंत्र दिवस के जुलूस में हिंदुस्तान में रहना है तो वंदे मातरम कहना है और जय श्रीराम के नारे लगाने का मुस्लिम समुदायों ने विरोध किया और दोनों समुदाय आपस में भिड़ गए।
इसी दौरान गोलीबारी भी होने लगी, जिसमें 22 वर्षीय युवा चंदन की मौत हो गई। हालांकि मुस्लिम समुदाय का एक युवा नौशाद भी इस दौरान गंभीर रूप से घायल हुआ, उसके अलावा छह अन्य लोगों को भी चोटें आईं।