कश्मीर में पेट्रोल पम्प पर नहीं मिल रहा पेट्रोल, जगह-जगह फंसे वाहन, बीते 3 दिनों से नहीं मिल रहा पेट्रोल....
जनज्वार। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के पांच महीने से ज्यादा समय बाद भी इंटरनेट पर पाबंदियां हैं, वहीं अब आम जनता को पेट्रोल पम्पों पर पेट्रोल भी नहीं मिल रहा है। इस वजह से वाहन जगह-जगह फंस गए हैं।
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एक कश्मीरी छात्र ने कहा, 'मुझे पता था यहां पर पेट्रोल मिलेगा, लेकिन पिछले 3 दिन से यहां पेट्रोल नहीं मिल रहा है। ट्यूशन जाने और आने में बहुत तकलीफ हो रही है, ऊपर से ठंड भी बहुत है। इंटरनेट तो ले ही लिया, अब पेट्रोल तो दे दो।'
राजबाग से आया एक शख्स कहता है, 'किसी भी पेट्रोल पम्प में तेल नहीं है। हम पिछले तीन घंटो से इंतजार कर रहे हैं। कोई कह रहा अभी एक घंटे में आ जाएगा। देखिए वो मीटिंग्स करते रहते हैं कि ये करेंगे वो करेंगे, लेकिन जमीन पर तो इसका कोई असर हो ही नहीं रहा है। जब तक जमीन पर कुछ काम होगा नहीं तो मुश्किलें हल नहीं होंगी।'
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बडगाम से श्रीनगर पहुंचे एक युवक ने जनज्वार से हुई बातचीत में कहा, 'बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यहां प्रशासन लोगों की बिल्कुल सुनवाई नहीं कर रहा है। जो पेट्रोल पम्प के मालिक भी हैं तो वो भी बहुत गलत तरीके से बात कर रहे हैं। अभी हम प्रेस कॉलोनी से पैदल आए और खाली बोतल लेकर दूसरी जगह पहुंचे, लेकिन वहां पर पेट्रोल नहीं था। इसलिए घर पहुंचने में भी दिक्कत हो रही है।'
कश्मीरी पेट्रोल की समस्या को सीधे ईरान से भारत के खराब होते संबंधों को मानते हैं, कहते हैं अगर केंद्र सरकार इसी तरह विदेशों से संबंध खराब करेगी, अपने देशवासियों को आपातकाल में जीने को मजबूर करेगी तो मुश्किलें और ज्यादा बढ़ेंगी।
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कश्मीर को अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने के बाद से नेटबंदी कर दुनिया से अलग—थलग कर दिया गया है, ताकि वहां के हालातों को दुनिया न जान पाये, मगर जैसे तैसे खबरें सामने आ ही रही हैं। यह हाल तब है जबकि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की पाबंदियों और धारा 144 के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान कड़ा रुख अख्तियार किया।
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू—कश्मीर सरकार को एक हफ्ते के अंदर राज्य में जारी प्रतिबंधों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है। राज्य में लंबे समय से इंटरनेट बंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इंटरनेट पर अनिश्चितकाल के लिए पाबंदी दूरसंचार नियमों का उल्लंघन है। लगातार धारा 144 लागू करना सत्ता की शक्ति का खुलेआम उल्लंघन है।