केजरीवाल सरकार ने लॉकडाउन में नहीं दिया 12 लाख बच्चों को मिडडे मील, याचिका पर 2 जून को सुनवाई

Update: 2020-06-01 16:45 GMT

केजरीवाल सरकार के अधिकारियों ने गरीब बच्चों के भोजन से जुड़े मामले में कोई ठोस कार्यवाही करने की जगह संबंधित ज्ञापनों को डाला रद्दी की टोकरी में...

मुनीष कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्र पत्रकार

जनज्वार। दिल्ली सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 8 तक के लगभग 12 लाख बच्चों को कोरोना लाॅकडाउन के दौरान का मध्याह्न भोजन वितरित न किए जाने के मामले को लेकर महिला एकता मंच व सोयायटी फार एनवायरमेंट एंड रेगुलेशन द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका पर कल 2 जून को सुनवाई होगी।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना सं. F NO.1-2/2020 Desk (MDM) दिनांकित 20-3-2020 व अधिसूचना सं. F NO.1-2/2020 Desk (MDM) दिनांकित 22-4-2020 द्वारा देश के सभी राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों को मध्याह्न भोजन योजना (एम.डी.एम) के अंतर्गत प्राथमिक एवं उच्च प्राइमरी विद्यालयों के छात्रों को कोरोना लाॅकडाउन व जून माह की गर्मियों की छुट्टियों के दौरान का पका हुआ अथवा कच्चा राशन व खाना पकाने के खर्च का भुगतान करने का आदेश जारी किया गया है।

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सके तहत एम.डी.एम के अंतर्गत आने वाले प्राइमरी स्तर के छात्रों को प्रति छात्र 100 ग्राम कच्चा राशन व खाना पकाने की लागत 4.97 रुपये तथा उच्च प्राइमरी स्तर के छात्र को 150 ग्राम कच्चा राशन व 7.45 रुपये प्रति छात्र दिये जाने का प्रावधान है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि केन्द्र सरकार के इस आदेश पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा अभी तक अमल नहीं किया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस योजना के अंतर्गत दिल्ली के 1030 सरकारी स्कूल तथा 215 सहायता प्राप्त स्कूलों के कुल 1245 स्कूल आते हैं।

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20 मार्च से 30 जून के दौरान सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 12 लाख बच्चों को मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत वितरित होने वाले राशन व खाना बनाने की लागत का कुल मूल्य लगभग 100 करोड़ रुपये है, जिससे केजरीवाल सरकार ने जरुरतमंद बच्चों को वंचित कर दिया है।

दिल्ली सरकारी स्कूलों के दर्जनों छात्रों ने पत्र लिखकर महिला एकता मंच व सोयायटी फार एनवायरमेंट एंड रेगुलेशन से केजरीवाल सरकार द्वारा मिड-डे-मील के अंतर्गत राशन व की खाना पकाने की राशि न दिये जाने की शिकायत की है तथा मदद की अपील की है।

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छात्रों व अभिभावकों की शिकायत को महिला एकता मंच, दिल्ली की संयोजक सीमा सैनी द्वारा पिछले मई माह में शिक्षा निदेशक को ज्ञापन प्रेषित किया गया, जिसमें उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों आदि में पढ़ने वाले बच्चों को केन्द्र सरकार के नियमानुसार मिड-डे-मील योजना के अंतर्गत कच्चा राशन व खाना बनाने की लागत का भुगतान करने का निवेदन किया है।

सी क्रम में सोयायटी फार एनवायरमेंट एंड रेगुलेशन के महासचिव कलीमुद्दीन ने शिक्षा मंत्रालय, दिल्ली के सचिव तथा उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी को ज्ञापन प्रेषित कर भारत सरकार के 20 मार्च के आदेश के आदेशानुसार मिड-डे-मील वितरण करने का निवेदन किया है।

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पने आपको आम आदमी की सरकार कहने वाली केजरीवाल सरकार के अधिकारियों ने गरीब बच्चों के भोजन से जुड़े इस मामले में कोई ठोस कार्यवाही करने की जगह इन ज्ञापनों को रद्दी को टोकरी में डाल दिया है।

ब महिला एकता मंच व सोयायटी फार एनवायरमेंट एंड रेगुलेशन ने इन 12 लाख बच्चों के मध्याह्न भोजन के सवाल को हल करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिस पर 2 जून को सुनवाई नियत कर दी गयी है। अब देखना है कि न्यायपालिका इस मामले पर क्या रुख अपनाती है। इस मामले की पैरवी दिल्ली हाईकोर्ट के एडवोकेट कमलेश कुमार कर रहे हैं।

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