रिश्तेदार ने लॉकडाउन में 12 साल के बच्चे को घर से निकाला, 2 महीने पार्क में रहने के बाद ऐसे पहुंचा मां-बाप के पास बिहार
मां-बाप बिहार गये थे किसी जरूरी काम से, बच्चे को एक रिश्तेदार के पास बहुत विश्वास के साथ इसलिए छोड़ गये थे, क्योंकि उसके पेपर थे, मगर मां-बाप के लॉकडाउन में फंसने पर रिश्तेदार ने जो किया उससे इंसानियत हुई शर्मसार....
जनज्वार, दिल्ली। माता-पिता जिन रिश्तेदारों के पास 12 साल के बच्चे को बहुत विश्वास करके छोड़ गए थे, उन्होंने लॉकडाउन में उस बच्चे को निकाल बाहर किया। उनका रवैया बच्चे के साथ बहुत बुरा रहता था। रिश्तेदार द्वारा लॉकडाउन में घर से बाहर निकालने के बाद बच्चा कई दिन तक भूखा-प्यासा पार्क में भटकता रहा।
कुछ दिन बाद कुत्तों को पार्क में रोटी खिलाने पहुंची एक महिला की नजर जब बच्चे पर पड़ी तो मामला सामने आया। बच्चे ने महिला को बताया कि उसके रिश्तेदारों ने उसे लॉकडाउन में घर से बाहर कर दिया है। उसके बाद यह मामला एक आईपीएस अधिकारी तक पहुंचा तो उनकी मदद से अब बच्चा माता-पिता के पास सुरक्षित पहुंच चुका है।
जो महिला विशाल को लॉकडाउन में खाना खिला रही थी उसने बच्चे की मदद करने के लिए इंस्टाग्राम पर अपडेट किया और पोस्ट डालते हुए लिखा कि "विशाल एक बहुत ही नेक और उदार स्वभाव का बच्चा है जो मुझे पार्क में मिला और कुत्तों को खाना खिलाने में मेरी मदद करता है।"
अपने इंस्टाग्राम पेज के ज़रिए महिला ने बच्चे और उसके परिवार के लिए आर्थिक मदद भी मांगी और लोगों से निवेदन किया कि विशाल के पिता की नौकरी लॉकडाउन के कारण चली गई है, इसलिए आप लोगों से अनुरोध है कि अपनी क्षमता अनुसार बच्चे और उसके पिता कि मदद करें। इस पोस्ट को पढ़ कर स्नेहा प्रभावित हुईं जिन्होंने पुलिस की मदद से बच्चे को जल्द से जल्द घर भेजने का फैसला किया। महिला ने कहा कि "स्नेहा ने मुझसे कॉन्टैक्ट किया और बच्चे को घर पहुंचाने के लिए हमने जद्दोजहद शुरू कर दी।"
ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा और आईपीएस अधिकारी संजय की मदद से बच्चे के मां बाप को बिहार से दिल्ली बुलाया गया और बच्चे को परिवार सहित वापस घर भेजने का प्रबंध इंडिया केयर्स ने किया।
अब अपने मां-बाप के पास पहुंच चुका है बच्चा
जानकारी के मुताबिक बिहार के समस्तीपुर मूल का एक परिवार द्वारका में रहता था, जो लॉकडाउन से पहले किसी जरूरी काम से बिहार गया था, मगर लॉकडाउन के चलते वापस नहीं आ पाया। वह अपने बच्चे को एक रिश्तेदार के पास बहुत विश्वास के साथ छोड़ गया था, क्योंकि उनके बच्चे विशाल की परीक्षा थी। वो इसीलिए उसे अपने साथ बिहार नहीं ले गये थे।
यह घटना दिल्ली के द्वारका इलाके की है। बच्चे के बारे में उड़ीसा कैडर के जिस आईपीएस अधिकारी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा था, उनका नाम अरुण बोथरा है। बकौल अरुण बोथरा, बच्चा कई दिन तक पार्क की बेंच पर ही लेटा-बैठा रहा। जब पार्क में कुत्तों को रोटी खिलाने जाने वाली महिला की नजर बच्चे पर पड़ी, तो वे उसे खाना खिलाती रहीं।
आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा बच्चे की तस्वीरें अपने ट्वीटर पर शेयर करते हुए लिखते हैं, 'दिल्ली में रहने वाला एक प्रवासी युगल लॉकडाउन से पहले बिहार में अपने घर के लिए रवाना हो गया और वे अपने 12 साल के बच्चे को एक रिश्तेदार के पास बहुत विश्वास के साथ छोड़ गए, लेकिन अमानवीयता की हदें पार करते हुए इस परिवार ने जल्द ही उस बच्चे को बाहर निकाल दिया। बच्चा द्वारका के एक पार्क में चला गया और वहाँ रुक गया'
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उसके बाद यह मामला सोशल मीडिया में आया तो एक एनजीओ की मदद से आईपीएम अरुण बोथरा तक पहुंचा। अरुण बोथरा ने बच्चे के परिजनों के बारे में पता किया। जैसे ही परिवार को पता चला कि उनका बच्चा इतने बुरे हाल में रह रहा है तो वो बच्चे से मिलने दिल्ली पहुंचे।
गौरतलब है कि बच्चे का परिवार समस्तीपुर में था। किसी आईपीएस अधिकारी संजय ने बच्चे के परिवार को पटना पहुंचाने का इंतजाम किया। फिलहाल बच्चा और परिवार अब साथ साथ हैं।