केजरीवाल ने करवाया 2 पत्रकारों को मीडिया ग्रुप से बाहर

Update: 2017-08-12 09:22 GMT

'गुमशुदा केजरीवाल सदन में आओ' का बैनर लिए कपिल की फ़ोटो ट्वीट करने का किया था गुनाह

सरकार किसी की भी हो मोदी की या केजरीवाल या फिर हुड्डा या योगी की, किसी को भी सच्ची ख़बर पर रिपोर्टिंग पचती नहीं है। अगर सरकारों के प्रोपगेंडा को पत्रकार आगे बढ़ाये तो इनको पत्रकार अच्छे और अपने दरबारी लगते हैं, पर जब वो कोई सच्ची पत्रकारिता करे तो इन्हें चुभ जाती है...

स्वतंत्र कुमार की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

दिल्ली। पिछले दिनों एनडीटीवी के दफ्तर पर पड़े सीबीआई के छापों को देश की प्रेस की आज़ादी पर हमला बताने वाली केजरीवाल एंड पार्टी खुद पत्रकारों को लेकर कितना कैसा रुख अख्तियार करती है और पत्रकारों के प्रति कितनी उदारता बरतती है, इसका जीता जागता उदाहरण कल 11 अगस्त को उस समय सामने आया जब टोटल न्यूज़ के पत्रकारों सुशांत मेहरा और तरुण ने सदन में एक बैनर लेकर पहुंचे कपिल मिश्रा की फ़ोटो ट्वीट कर दी।

इसी बात पर केजरीवाल सरकार के मीडिया मैनेजर्स को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने इन दोनों रिपोर्टर्स को सरकार की खबरों वाले मीडिया ग्रुप से आउट कर दिया। इन दोनों पत्रकारों को गोपाल राय, सतेंदर जैन के मीडिया ग्रुप के अलावा दिल्ली सरकार की खबरों के लिए बनाये गए ग्रुप से बाहर कर दिया।

सवाल है कि आखिर उस फोटो मे ऐसा क्या था कि दिल्ली सरकार के ये सरकारी पत्रकार इतने तिलमिला गए। दरअसल दिल्ली सरकार का 4 दिन से विधानसभा का सत्र चल रहा है। इन चारों दिनों में अरविंद केजरीवाल एक बार भी सदन में नहीं आये। इसी मुद्दे पर आप सरकार से निलंबित मंत्री एवं विधायक कपिल मिश्रा सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे थे कि दिल्ली के मुद्दों की चर्चा पर दिल्ली का सीएम गायब है।

कल 11 अगस्त को कपिल एक बैनर लेकर सदन में पहुंचे थे, जिसमें लिखा था कि गुमशुदा केजरीवाल सदन में वापस आओ। इसी बैनर के साथ फोटो को इन दोनों साहसी पत्रकारों ने ट्वीट कर दिया था। इसी बात पर दिल्ली सरकार के मीडिया संभालने वाले कभी खुद भी पत्रकार रहे अरुणोदय ने इन पत्रकारों को मीडिया ग्रुप से बाहर कर दिया।

बात सिर्फ आज की नहीं थी। दरअसल टोटल टीवी के दोनों पत्रकार सुशांत मेहरा और तरुण दिल्ली सरकार के प्रोपगेंडा को ध्वस्त करते हुए जन सरोकार से जुड़ी असली खबरें जनता के सामने रख रहे थे। इनमें से एक पत्रकार ने पिछले दिनों शिक्षा पर एक ऐसी खबर की थी जिसे देखकर खुद को एजुकेशन चाचा की छवि गढ़ने की सोच रहे मनीष सिसोदिया तिलमिला गए थे।

पत्रकार कह रहे हैं कि जब कई प्रमुख मीडिया घराने आप सरकार की चाटुकारिता कर रहे हैं, ऐसे में जो कुछ पत्रकार सही मायने में रिपोर्टिंग कर रहे हैं उनकी आवाज दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

कहा जाता है कि प्रदूषण कम करने के लिए एक बार जब केजरीवाल सरकार ने ओड इवन योजना केजरीवाल चलाई थी, तभी एक दैनिक हिंदी के पत्रकार ने कुछ नेगेटिव ट्वीट कर दिया था। केजरीवाल सरकार ने उस पत्रकार को उस अखबार से बाहर करवा दिया था। आजकल वो पत्रकार एक हिंदी टीवी चैनल में पत्रकारिता कर रहे हैं।

सरकार किसी की भी हो मोदी की या केजरीवाल या फिर हुड्डा या योगी की, किसी को भी सच्ची ख़बर पर पत्रकारिता पचती नहीं है। अगर सरकारों के प्रोपगेंडा को पत्रकार आगे बढ़ाये तो इनको पत्रकार अच्छे और अपने दरबारी लगते हैं, पर जब वो कोई सच्ची पत्रकारिता करे तो इन्हें चुभ जाती है।

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