उत्तराखण्ड के एलीफैंट कॉरिडोर में खनन माफियाओं की पौ बारह

Update: 2017-10-24 10:10 GMT

नेता, माफिया और संबंधित विभाग के अधिकारियों का गठजोड़ नदी से खनन कर किसी की भी जमीन में उपखनिज एकत्र करते हैं और दिन में उसे लोकल सप्लाई या गांव में स्थापित 'स्टोन क्रशर' में बेच आते हैं...

राजेश सरकार

सरकार किसी भी दल की हो, खनन के खेल में सब मिलीभगत से ही चलता है। माफिया हों या नेता नंदलाल, खनन अधिकारी और सिंचाई विभाग को ले—देकर खनन के खेल में शामिल कर ही लेते हैं। इसका ताजा जीता जागता नमूना देखने को मिला है हल्द्वानी से करीब 12-15 किलोमीटर दूर गौलापार के खेड़ा गांव में।

वन निगम के 'छकाता रेंज' में आने वाली 'सूखी नदी' जो 'आरक्षित वन क्षेत्र' का हिस्सा है, यहां गौलापार के ही कुछ दबंग नेता खनन कार्यों में लिप्त हैं। ये लोग रात में नदी से खनन कर किसी की भी जमीन में उपखनिज एकत्र करते हैं और दिन में उसे लोकल सप्लाई या गांव में स्थापित 'स्टोन क्रशर' में बेच आते हैं।

नेता—माफिया गठजोड़ से होने वाली इन हरकतों से ग्रामीण हैरान—परेशान रहते हैं। शिकायतों का असर इसलिए नहीं होता, चूंकि संबंधित विभागों के अधिकारी/कर्मचारी आंख-कान-मुंह बंद किये बैठे हैं।

गौर करने वाली बात यह भी है कि
— सूखी नदी में खनन की इजाज़त नहीं होती है।
— यह आरक्षित वन क्षेत्र का हिस्सा है, जहां यह संभव ही नहीं।
—सूखी नदी में यह नंधौर अभ्यारण का 'एलीफैंट कॉरिडोर' भी है।

ऐसी स्थितियों में नेता—माफिया गठजोड़ संबंधित विभाग को अपने साथ लेकर किस कयामत को न्यौता दे रहे हैं, आसानी से समझा जा सकता है। जबकि 'एलीफैंट कॉरिडोर' में मानव आवाजाही से हाथी पहले खेतों और अब घरों में घुस कर तबाही मचाये हुए हैं।

हाल ही में कुछ दिन पहले गाँव के एक किसान को हाथी ने कुचल कर मार डाला, अभी उसका मुआवजा भी नहीं मिला था कि एक महिला को फिर हाथी ने घायल कर दिया। वो भी भी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है।

हमारी टीम जब घटनास्थल पर पहुंची तो गांववासियों के खेतों में उपखनिज एकत्रित था, जिन रास्तों से उपखनिज ठिकाने लगाया जाता है, उन रास्तों को पेड़ काटकर बंद किया गया था। साथ ही नदी में हाथी के मल से 'एलीफैंट कॉरिडोर' की पुष्टि भी हुई।

खनन कौन कर रहा है, उनका नाम क्या है? के जवाब में गांव वालों का कहना था कि ये राजनीतिक पार्टियों के लोग हैं। जोर देने पर भी इतना ही बता पाए कि पूर्व ब्लॉक प्रमुख के रिश्तेदार हैं।

(राजेश सरकार 'उत्तराखण्ड जनादेश' के कार्यकारी संपादक हैं।)

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