खुलासा : कुख्यात डाटा चोर कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका की सबसे पुरानी ग्राहक है भाजपा
भाजपा के बाद जदयू ने किया था इसका इस्तेमाल, अभी हाल में कांग्रेस बनी थी इसकी ग्राहक, पर भाजपा ने कर दिया भंडाफोड़ क्योंकि भाजपा अपने अनुभव से जानती थी कितने एकतरफा हो सकते हैं चुनाव परिणाम
फेसबुक से डाटा चोरी कर पार्टी के वोटरों का बदला जाता है मूड और समझदारी, पार्टी के सोच को किया जाता है हर पेज और स्पेस में हावी, 2014 में भाजपा ने यही किया
भाजपा, कांग्रेस, जदयू तीनों हैं कैंब्रिज एनालिटिका के ग्राहक, 2014 से खुद लेती है भाजपा डाटा चोर कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी से चुनाव जीतने के लिए मदद, लेकिन भाजपा सरकार की सीनाजोरी ये कि वह कांग्रेस को अकेले डाटा चोरी की सांठगांठ को लेकर ठहरा रही जिम्मेदार, जबकि सच फोटो से साफ पता चल जाता है, अब कर दिया है कर दिया गया है अकाउंट डिलिट
फेसबुक डाटा लीक कांड है सुर्खियों में, भारत में हर छठा आदमी करता है फेसबुक यूज तो बना बड़ा सवाल, राजनीतिक पार्टियों ने भी एक दूसरे पर कर दी है छींटाकशी शुरू, उठ रहे हैं सवाल जैसे ट्रंप को जिताने के लिए हुआ फेसबुक का इस्तेमाल भाजपा ने किया ऐसा ही और कांग्रेस भी ले रही थी सर्विस
जनज्वार। फेसबुक डाटा लीक मामले में कानून मंत्री मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कल प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कहा कि डाटा चोरी करने वालों करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो इस मामले में फेसबुक के मुख्य अधिकारी मार्क जुकरबर्ग को भारत में समन भी किया जा सकता है।
उन्होंने इस प्रेस कांफ्रेंस में दुनिया की कुख्यात डाटा चोर कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका को लेकर कुछ खुलासा किया। बताया कि 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस एनालिटिका की मदद से फेसबुक डाटा चोरी कर चुनाव जीतने की रणनीति बना रही है।
लेकिन यह कहते हुए मोदी के मंत्री रविशंकर प्रसाद भूल गए कि खुद उनकी पार्टी जिसकी बदौलत वे मंत्री की कुर्सी पर विराजमान हैं, वह 2014 लोकसभा चुनाव के पहले से कुख्यात डाटाचोर कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका की चुनाव जीतने के लिए मदद ले रही है। जैसे ही मंत्री ने डाटा चोरी के मसले पर प्रेस कांफ्रेंस की, उसके घंटे भर के भीतर कैंब्रिज एनालिटिका का एकाउंट भारतीयों को दिखना बंद हो गया और साइट डिलीट दिखाई देने लगी। जाहिर है मंत्री जी को इसकी सूचना पहुंच गयी होगी कि रविशंकर सर, इस हम्माम में हम सब नंगे हैं।
खैर इस बीच जुकरबर्ग ने यह सच जरूर स्वीकारा कि लगभग 2,70,000 लोगों ने ऐप को डाउनलोड किया, और अपनी निजी जानकारी उसके साथ शेयर की। हालांकि कैम्ब्रिज एनालिटिका ने किसी भी तरह का गलत काम किए होने से इंकार किया है, और दावा किया है कि उन्होंने डेटा एकत्र करने तथा इस्तेमाल करने के लिए सही तरीकों का प्रयोग किया था।
पिछले दो—तीन दिनों से फेसबुक सवालों के घेरे में है। इस मामले में चुप्पी तोड़ते हुए फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने बयान दिया है कि कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी द्वारा की गई धोखाधड़ी के लिए फेसबुक हजारों एप्स की छानबीन कर कड़ी कार्रवाई करेगा।
अमेरिका में 2016 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स का निजी डाटा चुराने वाली कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका के सीईओ अलेक्जेंडर निक्स को सस्पेंड कर दिया गया है। इससे पहले फेसबुक ने भी ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव में जीत में कथित मदद करने के आरोप में 'कैम्ब्रिज ऐनलिटिकल' को सस्पेंड कर दिया था। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक ब्रिटेन के चार न्यूज चैनलों में ये खबर दिखाए जाने के बाद अलेक्जेंडर को संस्पेंड किया गया। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डोनाल्ड ट्रंप की मदद करने वाली कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका पर 5 करोड़ फेसबुक उपभोक्ताओं की निजी जानकारी चुराने का आरोप लगा है।
इसी जानकारी को अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव के दौरान इस्तेमाल किया गया था। मामले के सामने आते ही अमेरिका और यूरोपीय सांसदों ने फेसबुक इंक से जवाब मांगा और जुकरबर्ग को उनके सामने पेश होने के लिए कहा। इससे फेसबुक के शेयर 7 फीसदी टूट गए। शेयर की कीमत घटने की वजह से फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्क को एक दिन में लगभग 6.06 अरब डॉलर (करीब 395 अरब रुपये) का नुकसान हुआ।
फेसबुक डाटा लीक मामले में फ़ेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में हैं। डेटा लीक बवाल पर मार्क जुकरबर्ग ने फ़ेसबुक पोस्ट के जरिए सफ़ाई दी है कि लोगों के डेटा सुरक्षित रखना हमारी ज़िम्मेदारी है और अगर हम इसमें फ़ेल होते हैं तो ये हमारी ग़लती है। कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी ने इस मामले में अभी तक कई कदम उठाए हैं और आगे भी कड़े कदम उठा सकती है।
फेसबुक सवालों के घेरे में तब आया जब एक ब्रिटिश कन्सल्टिंग कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका (Cambridge Analytica) पर आरोप लगा कि उसने पांच करोड़ फेसबुक यूज़रों का डेटा बिना अनुमति के जमा किए और उस डेटा का इस्तेमाल राजनेताओं की मदद के लिए किया। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चुनावी कैंपेन तथा ब्रेक्ज़िट आंदोलन भी शामिल है।
इसी के कारण दुनिया भर में #DeleteFacebook का आंदोलन चला और वह कई दिन ट्रेंड करता रहा। इसकी अपील वाट्सअप के सह संस्थापक ने भी की। लोगों को महसूस हुआ कि फेसबुक जिस तरह की डाटा चोरी रैकेटिंग में जुटा है, उससे आने वाले समय में जनमत और लोकतंत्र दुनिया में सिर्फ परिभाषाओं और किताबों में कहने वाले शब्द भर रह जाएंगे।
अपने फेसबुक पेज पर लिखी पोस्ट में जुकरबर्ग ने फेसबुक यूजरों को आश्वस्त किया कि वह उन हज़ारों एप्लिकेशन की जांच करेगा जिसका इस्तेमाल उस वक्त बड़ी संख्या में किया गया था। फेसबुक अपने यूजर्स को एक नया टूल देगा, ताकि उन्हें पता चले कि उनके डेटा का इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है, कहां साझा किया जा रहा है। आगे से डेवलपर्स के दुरुपयोग को रोकने के लिए फेसबुक डेटा तक उसके पहुंच को प्रतिबंधित कर देगा।
जुकरबर्ग ने सफाई देते हुए कहा है कि, फेसबुक को मैंने शुरू किया था, इसके साथ अगर कुछ भी होता है तो इसकी जिम्मेदारी मेरी ही है। हम अपनी गलतियों से सीखने की कोशिश करते रहेंगे और हम एक बार फिर सभी यूजरों का विश्वास जीतने में सफल होंगे।
जुकरबर्ग ने यूजरों को आश्वस्त करते हुए लिखा फेसबुक डाटा को प्रतिबंधित करेंगे और थर्ड पार्टी डेवलपर्स सिर्फ नाम, प्रोफाइल फोटो और इमेल एड्रेस ही जान पाएंगे। यही नहीं डेवलपर्स को अपने पोस्ट्स के अधिकार के लिए फेसबुक यूजर्स से पूछने से पहले एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करने की जरूरत होगी। कंपनी प्रत्येक फेसबुक यूजर्स के न्यू फीड के टॉप पर एक नया फीचर पोस्ट करेगा जो ऐप की पहुंच को रद्द करने का एक आसान तरीका होगा।
जुकरबर्ग लिखते हैं, 2007 में हमने फेसबुक में कई तरह की चीज़ों का नवीनीकरण किया था, इसमें दोस्तों के जन्मदिन, एड्रेस बुक, मैप्स जैसे कई एप्स शामिल थे। इसके लिए हमने फेसबुक यूज़र से कुछ जानकारी ली, जिसमें उनके दोस्त कौन हैं जैसी जानकारी शामिल थीफ 2013 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर एलेक्जेंडर कोगन ने एक पर्सनल क्विज़ एप्प बनाया, जिसे करीब 3 लाख लोगों ने इंस्टॉल किया, इसमें कुछ पर्सनल डेटा का भी उपयोग किया गया।
इससे न सिर्फ उन तीन लाख लोगों का डाटा शेयर हुआ बल्कि उनके कई दोस्तों का भी हुआ। 2014 में फेसबुक ने एप्स और डेटा शेयरिंग के तरीकों को पूरी तरह से बदल दिया, जिसके बाद अगर कोई अन्य एप किसी यूजर का डेटा मांगती है, तो उसे पहले यूजर से पूछना पड़ेगा, लेकिन 2015 में एक अखबार की रिपोर्ट से पता लगा कि कोगन ने ये डाटा कैंब्रिज एनालिटका कंपनी के साथ शेयर किया है, जो कि नियमों के खिलाफ था। इसके बाद हमने तुरंत ही कोगन की एप्लिकेशन को फेसबुक से बैन कर दिया। हमने कोगन और कैंब्रिज एनालिटका से सभी यूजर्स का डेटा डिलीट करने को कहा और इसका सर्टिफिकेट देने को भी कहा।
गौरतलब है कि भारत की मोदी सरकार ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक को चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की सूरत में कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहने का निर्देश देते हुए कहा है कि फेसबुक सहित कोई भी सोशल नेटवर्किंग साइट यदि अनुचित तरीके से देश की चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास करती है, तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।