देश के चमड़ा निर्यात में 29 फीसदी कमी, यूपी के बूचड़खानों पर तालाबंदी से हुआ सबसे ज्यादा नुकसान

Update: 2019-12-30 08:10 GMT

तालाबंदी के चलते कानपुर के चमड़ा उद्योग को भारी नुकसान, चालू वित्त वर्ष 2019-20 के चमड़ा निर्यात आयी 29 फीसदी कमी, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने की थी चमड़ा कारखानों की तालाबंदी...

जनज्वार। अर्थव्यवस्था में सुस्ती की मार अब कानपुर के चमड़ा कारखानों पर भी पड़ने लगी है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बीते 13 महीने पहले अवैध बूचड़खानों और चमड़ा कारखानों पर तालाबंदी का फैसला लिया था। तालाबंदी के चलते कानपुर के चमड़ा कारखानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। तालाबंदी होने से तैयार चमड़े के निर्यात में पिछले वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान चमड़ा निर्यात में करीब 29 फीसदी की कमी आई है।

भारत ने अप्रैल-अगस्त 2018 के दौरान करीब 33.46 करोड़ डॉलर कीमत के तैयार चमड़े का निर्यात किया था जबकि चालू वित्त वर्ष 2019-2020 की इस अवधि में विदेश भेजे जाने वाली खेप 29 फीसदी कम होकर 23.77 करोड़ डॉलर रह गई है। चमड़े की अन्य श्रेणियों के निर्यात में भी कमी आ रही है। देश के तैयार चमड़े में कानपुर की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है।

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स साल प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले में गंगा के साफ-सफाई के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने इन चमड़ा कारखानों को पूरी तरह बंद करने का आदेश दिया था। इससे चमड़ा उद्योग को जोरदार झटका लगा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण निंयत्रण बोर्ड ने कानपुर शहर में करीब 400 चमड़ा कारखानों को 15 दिसंबर 2018 से 15 मार्च 2019 के बीच बंद रखने का निर्देश दिया था। इन इकाइयों ने 15 दिसंबर से करीब एक महीने पहले ही अपने शटर बंद कर दिए थे ताकि कचरा ने निकले।

कानपुर के चमड़ा कारखानों में तालाबंदी के कारण देश के तैयार चमड़ा उद्योग में मंदी की स्थिति बनी और देश के चमड़ा उद्योग में कानपुर की हिस्सेदारी पिछले साल के 14 फीसदी से घटकर 11 फीसदी से कम हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई के बाद कानपुर की करीब 40 टेनरियों को अब तक पश्चिम बंगाल स्थानांतरित किया जा चुका है ताकि प्रदूषण और कच्चे चमड़े की आपूर्ति में बार बार बाधा न आ सके।

Full View और चमड़े के सामान निर्माताओं सहित कानपुर का चमड़ा उद्योग करीब 12,000 करोड़ रुपए का है जिसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से कानपुर और उन्नाव जिले के करीब 10 लाख लोगों को रोजगार मिलता है। इस कलस्टर से खाड़ी देशों, यूरोप, चीन और ईरान आदि को 6,000 करोड़ रुपए मूल्य का निर्यात होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 दिसंबर को केंद्र की नमामी गंगे परियोजना की प्रगति की समीक्षा करने और गंगा में बह रहे पानी की गुणवत्ता में आए सुधार को व्यक्तिगत स्तर पर देखने के लिए कानपुर का दौरा किया था।

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मोदी के दौरे के तुंरत बाद यूपीपीसीबी ने कानपुर के जाजमऊ इलाके में 248 चमड़ा टेनरियों को 50 फीसदी क्षमता पर परिचालन की शर्त के साथ चलने की अनुमति दी। हरित समूह दो महीने बाद स्थिति का आंकलन करेगा और अनुमति आगे जारी रखने पर निर्णय करेगा स्मॉल टैनर्स एसोसिएशन के सदस्य नैयर जमाल ने बताया कि टेनरियों का परिचालन शुरु करने में 15-20 दिन और लगेंगे क्योंकि उनमें बहुत सारे मरम्मत कार्य होने हैं। इन टेनरियों के बंद होने से उत्तर प्रदेश में कच्चे चमड़े की कीमतों पर भी बुरा असर पड़ा और उसमें 60 फीसदी से अधिक की गिरावट आई।

Full View ने आगे बताया कि इस बीच व्यापारी कच्चे चमड़े को प्रसंस्करण के लिए चेन्नई, जालंधर, कोलकाता जैसे शहरों भेज रहे थे। इस साल कुंभ मेले के समापन के लिए यूपीपीसीबीन 122 टेनरियों को 50 फीसदी क्षमता पर परिचालन चालू करने की अनुमति दी थी। हालांकि बाद में एनजीटी के दिशानिर्देशों का हवाला देकर परिचालन बंद करने का आदेश दिया गया। एक ओर जहां कानपुर की टेनरियों को पटरी पर लौटने में एक वर्ष से ज्यादा का समय लगने की उम्मीद की जा रही है वहीं उद्योग के मालिकों का कहना कि विदेशी खरीदारों का विश्वास जीत पाना मुश्किल काम होगा।

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