भारत सरकार के प्रमुख बैंक स्टेट बैंक आॅफ इंडिया ने जिन 63 पूंजीपतियों की 7 हजार 16 करोड़ रुपए कर्ज के माफ किए हैं, उनकी विधिवत सूची मीडिया में आ गयी है। इस खबर का सबसे पहले अंग्रेजी अखबार डीएनए ने खुलासा किया है। मीडिया में आई सूची में भारत सरकार ने सबसे ज्यादा कर्ज भगेडू और भ्रष्ट पूंजीपति विजय माल्या का माफ किया है। स्टेट बैंक ने जिन पूंजीपतियों के कर्ज माफ किए हैंं, उनकी कुल संख्या 100 है, पर 63 की माफी कुल कर्ज का 80 प्रतिशत है।
गौरतलब है कि भारत सरकार के सबसे ख्याति प्राप्त बैंक ने जून 2016 में बैड लोन के नाम पर कर्ज के 48 हजार करोड़ रुपए नहीं वसूलने या उन्हें माफ करने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद विपक्षी पार्टियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और किसान संगठनों ने सवाल भी उठाया कि एक तरफ तो सरकार और निजी क्षेत्र के बैंक हजार—चार हजार बकाए पर वसूली का दबाव बनाकर किसानों को आत्महत्या तक मजबूर करते हैं, जबकि सरकार जनता की गाढ़ी कमाई का 48 हजार करोड़ रुपए माफ कर रही है।
स्टेट बैंक ने इसी क्रम में भारतीय पूंजीपतियों के भी कर्ज माफ किए थे जो दशकों से चुका नहीं पा रहे थे। उस समय सूची नहीं आई थी पर लोगों को लग रहा था कि सरकार अपने चहतों की कर्जमाफी सबसे पहले करेगी। हालांकि जिन पूंजीपति घरानों के कर्ज माफ किए गए हैं, उनमें से एक भी ऐसा नहीं है जो दिवालिया घोषित हो चुका है।
7 हजार करोड़ की कर्जमाफी वाली सूची आने के बाद भाजपा की केंद्र सरकार पर पहला सवाल यही उठ रहा है कि क्या सरकार के पहले पसंदीदा पूंजीपति शराब व्यापारी विजय माल्या ही थे, जिनका सबसे ज्यादा 12 सौ करोड़ भारत सरकार के बैंक ने माफ किया है।
अरबों की सरकारी लूट और टैक्स चोरी के आरोपी और भगोड़ा विजय माल्या को देश से भगाने का आरोप पहले ही मोदी सरकार पर लगता रहा है। माना जाता है कि सरकार की ओर से मिले लूप होल के जरिए ही विजय माल्या जेल जाने की बजाए देश से भाग गया।
63 पूंजीपतियों के 7 हजार करोड़ की कर्जमाफी मौजूदा संसद सत्र में सरकार के लिए गले की फांस बन सकती है। वैसे भी सरकार ने आम जनता को कालेधन पर अंकुश की उम्मीद दिखाकर पिछले हफ्ते भर से एटीएम और बैंकों के गेटों पर लाइन में खड़ा कर रखा है।
देश को ईमानदार बनाने की उम्मीद में जनता सौ—दो सौ के लिए लाइन में खड़ी है और यहां सरकार लाइन लगाकर पूंजीपतियों की कर्जमाफी कर रही है. |