भाजपा मंत्री बोले सिर्फ किसानों की मौत पर हंगामा क्यों, विधायक भी तो मर रहे हैं
महिलाओं के बारे में भी दिया शर्मनाक बयान, कहा टेलीविजन पर चड्डी पहनने वाली महिलाओं का क्यों नहीं होता विरोध...
मध्य प्रदेश। 'विधायकों की भी मृत्यु होती हैं। पिछले चार साल में दस विधायक मर गए हैं। अब क्या मृत्यु पर किसी का जोर है? विधायक अमर हैं? हम लोगों को भी टेंशन होती है। किसानों के साथ हमारी सहानुभूति है।'
ये बयान है एक जनप्रतिनिधि का और संवेदनहीनता का चरम भी। मध्यप्रदेश के पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव को विधायकों और किसानों की मौत एक समान लगती है। कर्ज से आत्महत्या करने वाले किसान, भूख और तंगहाली से जान देते किसान और जनता के पैसों पर ऐश कर रहे विधायक की मौत उन्हें एक—सी लगती है।
भार्गव ने ही किसान आत्महत्याओं पर बयान दिया था कि किसान कर्ज की वजह से नहीं बल्कि बवासीर की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं। यह बयान तब दिया था जब अशोकनगर के सिंगपुर गांव में एक किसान ने आत्महत्या की थी। कहा गया कि फसल बर्बाद होने से परेशान होकर किसान ने आत्महत्या की थी।
अपना बयानों की वजह से चर्चा में रहने वाले ये मंत्री हमेशा विवादास्पद बातें बोलते रहते हैं। महिलाओं के बारे में भी इनकी एक टिप्पणी भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें भार्गव कहते सुने जा रहे हैं कि टेलीविजन पर चड्ढी पहनने वाली महिलाओं का विरोध कोई क्यों नहीं कर रहा है? यह बात वो पत्रकारों से तब कर रहे हैं जब कहा गया कि एक तरफ प्रदेश में किसान आत्महत्या कर रहे हैं और आप सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करवा रहे हैं?
राज्य और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है। वैसे भी भाजपा के तमाम नेता उल्टे—सीधे बयानों से चर्चा में आते रहते हैं। अब किसानों की आत्महत्याओं पर ऐसा बयान वाकई दर्शाता है कि इन नेताओं को आम और गरीब जनता से सिवाय वोट के और कोई सरोकार नहीं है। यहां एक बात यह भी गौर करने वाली है कि मध्य प्रदेश में एक के बाद एक किसान आत्महत्याओं की खबरें आ रही हैं।
भार्गव का यह बयान एक तरह से किसानों की मौत का उपहास भी उड़ाता है। हालांकि बाद में मंत्री महोदय ने बात संभालते हुए कहा कि उन्हें किसानों से हमदर्दी है। ये महोदय बजाय इसके कि किसान आत्महत्या की तरफ क्यों बढ़ रहे हैं, का समाधान सुझाने के उनकी मौत का ही मजाक उड़ाया है। शिवराज सरकार के मंत्री मरते किसानों के परिजनों के घावों को हरा करने का काम कर रहे हैं।
भार्गव के इस बयान को किसान नेताओं ने बेहद घटिया बताते हुए कहा है कि यह बयान किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने वाल है। मध्यप्रदेश किसान सभा ने बयान जारी किया कि विधायकों की स्वाभाविक मौत की तुलना कर्ज के बोझ तले दबकर या फसल के बर्बाद हो जाने पर अवसादग्रस्त होकर अपनी जिंदगी खत्म कर लेने वाले किसानों से करना घोर अमानवीय है।
तकरीबन तीन साल पहले मोदी सरकार में ही कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने किसानों की आत्महत्या का कारण प्रेम प्रसंग व नपुंसकता को बताया था। उन्होंने राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में कहा था कि किसान कर्ज की वजह से नहीं, बल्कि प्रेम प्रसंग और नपुंसकता की वजह से मर रहे हैं।
सरकार को चाहिए था कि नकली खाद, बीज और कीटनाशक दवाओं पर रोक लगाकर मंडियों में किसानों की लूट को बंद करे। कृषि को लाभकारी व्यवसाय बनाने वाली व्यवस्था लागू करे, मगर यहां तो उल्टा उनकी मौत का ही मजाक उड़ाया जा रहा है। सरकार अगर कोशिश करे तो किसान आत्महत्याओं को रोका जा सकता है। आखिर कोई किसान शौक में तो जान नहीं देता।