दो से अधिक बच्चे होने पर कोर्ट ने किया दो जजों को बर्खास्त

Update: 2017-09-26 14:44 GMT

दोनों जजों ने राज्य सरकार के दो बच्चों के नियम का उल्लंघन किया है। मनोज कुमार और अशरफ अली को बर्खास्त करने का फैसला इसी आधार पर लिया गया है...

भोपाल। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने दो से अधिक बच्चे होने के कारण निचली अदालत के दो जजों को बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्तगी का कारण बताते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि इन दोनों जजों ने राज्य सरकार के नियमों का उल्लंघन किया है।

जनसंख्या नियंत्रण के लिए साल 2001 में मध्य प्रदेश सरकार ने कानून बनाया था कि वही व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकता था, जिसके अधिकतम दो बच्चे हों। 2001 के बाद दो से ज्यादा बच्चे होने पर संबंधित व्यक्ति सरकारी नौकरी का हकदार नहीं था।

पर इन दोनों जजों ने सरकार के कानून की अवहेलना की। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश मनोज कुमार ग्वालियर में और अतिरिक्त जिला न्यायाधीश अशरफ अली जबलपुर में तैनात थे। दोनों जज अभी प्रशिक्षु थे। इन दोनों को हाईकोर्ट ने बर्खास्त कर दिया है, क्योंकि दोनों ही जजों को तीन—तीन बच्चे थे।

कार्यवाही की जानकारी देते हुए जबलपुर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मोहम्मद फहीम मीडिया एजेंसी को बताया कि दोनों जजों ने राज्य सरकार के दो बच्चों के नियम का उल्लंघन किया है। मनोज कुमार और अशरफ अली को बर्खास्त करने का फैसला इसी आधार पर लिया गया है।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में बैठी पीठ द्वारा 26 जुलाई को दोनों न्यायाधीशों अतिरिक्त जिला (प्रशिक्षु) न्यायाधीश मनोज कुमार और अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (प्रशिक्षु) अशरफ अली की सेवाओं की समाप्ति के लिए अंतिम सहमति दी गई थी। लेकिन यह खबर बाहर आने में दो महीने लग गए। पहली बार यह जानकारी 16 सितंबर को सामने आई थी, उसके बाद कल इसे न्यूज एजेंसी पीटीआई ने भी प्रकाशित किया।

गौरतलब है कि कुमार और अली हाई कोर्ट द्वारा अपर सत्र न्यायाधीश के पद पर वकीलों से सीधी भर्ती के लिए मई 2017 में विज्ञापन निकाला, उसी के जरिए चयनित हुए थे। परीक्षा ऑनलाइन ली गयी थी।

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के मनोज कुमार को चौथा एडिशन डिस्ट्रिक्टिट जज बनाया गया था। वह ग्वालियर के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में तैनात थे। उन्होंने जब फॉर्म भरा था तब उन्होंने बच्चों की जानकारी नहीं दी। नियुक्ति के बाद मनोज कुमार ने हाई कोर्ट को जानकारी दी कि उनके तीन बच्चे हैं। मामले को जबलपुर हाईकोर्ट के स्थित प्रधान पीठ जजों की मीटिंग में रखा गया, जहां जजों ने दो से अधिक बच्चे होने पर मनोज कुमार को बर्खास्त कर दिया। कमोबेश यही स्थिति बर्खास्त किए गए दूसरे जज अशरफ अली की भी रही।

एमपी के हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मो. फहीम अनवर ने बताया कि 'सरकारी नौकरी के फॉर्म में वैवाहिक स्थिति, बच्चों की संख्या पूछी जाती है। अगर विवाहित हैं तो बच्चों की जानकारी देनी होती है। चतुर्थ एडिशनल जज मनोज कुमार दो से ज्यादा बच्चों के पिता हैं। उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का नोटिस दे दिया है।'

मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियम 1961 में मध्य प्रदेश सरकार ने अन्यर्थी के बच्चों की संख्या को लेकर संसोधन किया था। संसोधित कानून के मुताबिक 26 जनवरी, 2001 के बाद अगर किसी सरकारी अधिकारी को तीसरी संतान होती है, तो उसे बर्खास्त किए जाने का नियम बनाया गया है या उस पर किसी अन्य तरह की कार्रवाई किए जाने का प्रावधान भी है। कुमार और अली के भी तीसरी संतान चूंकि 26 जनवरी 2001 के बाद हुई है, इसलिए उन्हें बर्खास्त किया गया है।

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