जिस तरह कट्टरपंथी आ रहे हैं एक साथ, उसी तरह रेशनलिस्टों को भी एकजुट होने की जरूरत
अंधविश्वासों के पर्दाफाश जैसे कार्यक्रमों ने बड़ी संख्या में युवाओं को आकर्षित किया है तथा समाज में तर्कवादी सोच की पहचान व स्वीकार्यता स्थापित हुयी है....
जनज्वार। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (मअंनिस) की स्थापना को 30 वर्ष पूर्ण होने पर मुम्बई में 9 अगस्त को ‘मानवता के विकास के लिए तर्कवाद’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेस का आयोजन किया गया।
देश-विदेश से पहुंचे बुद्धिजीवियों व एक्टिविस्टों ने ओजस्वी, सारगर्भित व्याख्यानों, गीतों व नाटकों ने सत्ताधीशों व पोंगापंथियों को स्पष्ट संदेश दे दिया कि वैज्ञानिक चिंतन व तर्कवादी विचारों को भारत देश की भूमि से कभी भी नहीं खत्म किया जा सकता। नरेन्द्र दाभोलकर, गोविन्द पानसारे, कुलबुर्गी व गौरी लंकेश की हत्या तो की जा सकती है, परन्तु उनके विचारों की नहीं खत्म किया जा सकता।
देश के उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली, झारखंड, कर्नाटक समेत 22 राज्यों से पहुंचे 600 से अधिक प्रतिनिधि कांफ्रेंस में भागीदारी कर रहे हैं। कांफ्रेंस में मौजूद लोगों ने ‘हम होंगे कामयाब’ गीत पर अपने हाथों से हाथ जोड़कर समाज व देश में वैज्ञानिक चिंतन व तर्कवाद को स्थापित करने का संकल्प लिया।
1989 में मअंनिस की नींव महाराष्ट्र में डॉ. नरेन्द्र डाभोलकर ने रखी थी। आज मअंनिस महाराष्ट्र में एक आंदोलन का रूप ले चुका है। इसकी 350 शाखाओं में 10 हजार से अधिक कार्यकर्ता हैं।
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महाकवि कालीदास नाट्य मंदिर मुम्बई में आयोजित कांफ्रेस में 4 बुक स्टाल लगाए गये, जिसमें मराठी, अंग्रेजी व हिन्दी की पुस्तकें खरीदने वालों की भारी संख्या है। कार्यक्रम स्थल की सज्जा शानदार तरीके से की गयी। मैं भी दाभोलकर, मैं विवेकशील के कॉलम के साथ आगन्तुक अपनी फोटो सोशल मीडिया पर लोड करने के लिए आतुर दिखे। शिवसेना व आरएसएस के प्रतिक्रियावादी गढ़ में मअंनिस के इस कार्यक्रम की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम का उद्घाटन ट्री ऑफ सनफ्लावर में लगे 30 गुब्बारों को पिन से फोड़कर किया गया। कांफ्रेस के उद्घाटन सम्बोधन में भावा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के पूर्व चेयरमैन डॉ. अनिल काकोडकर ने कहा कि देश में अंधविश्वास की जड़े बहुत गहरी हैं। 21 सितम्बर 1995 को देश में गणेश के दूध पीने की घटना के अगले दिन भावा रिसर्च सेंटर में पूरे समय इसी पर बात होती रही। सेंटर साइंटिफिक संगठन है, परन्तु वैज्ञानिकों के बीच में भी अंधविश्वास मौजूद है। उन्होंने कहा कि देश में शिक्षा सभी का मूल अधिकार व वैज्ञानिक दृष्टिकोण को स्थापित करना प्रत्येक नागरिक के लिए कर्तव्य घोषित किया जाना चाहिए।
पेशे से सर्जन डॉ. रवीन्द्र ने कहा कि भगवान को इंसान ने 5 हजार साल पहले पैदा किया है, भगवान ने इंसान को नहीं बनाया है। मानव के अलावा कोई दूसरा जानवर जन्नत नहीं मांगता। उन्होंने मेडिकल क्षेत्र में अस्पतालों द्वारा की जा रही लूट का पर्दाफाश करते हुए कहा कि हार्निया के आपरेशन में जो जाली लगायी जाती है, उसका मूल्य मात्र दो रुपए है, जिसके 10 हजार रुपए तक मरीजों से वसूले जाते हैं।
उन्होंने चुनौती प्रस्तुत की है कि किसी भी मरीज के हार्निया को बगैर आपरेशन के ठीक करके दिखाए जाने पर उसे 21 लाख रुपए का ईनाम दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि हमारे शरीर में पैदा होने वाली 80-85 प्रतिशत बीमारियां स्वयं भी ठीक हो जाती हैं। इसी का लाभ ओझा-सोखा व अन्य लोग उठाकर जनता को गुमराह करते हैं।
ऑल इंडिया पीपुल्स सांइस नेटवर्क के अध्यक्ष प्रो. एस. चटर्जी ने कहा कि देश में सभी के लिए फ्री शिक्षा व स्वास्थ्य के बगैर तर्कवाद को स्थापित नहीं किया जा सकता। हम इतिहास में सही जगह खड़े हैं, इसे कट्टरपंथियों द्वारा दाभोलकर, पानसारे, कुलबर्गी व पानसारे की हत्या ने साबित कर दिया है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन रेशनलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र नायक ने कहा कि देश में गौमूत्र से 440 रोगों का इलाज का दावा किया जाता है, वैसे ही मध्य पूर्व में ऊंट के पेशाब से रोगों के इलाज का दावा किया जाता है। रामदेव गाय के पेशाब का सबसे बड़ा व्यापारी है। उन्होंने कहा वे नेता जो गौमूत्र से इलाज की बात बताते हैं, स्वयं के बीमार होने पर अपना इलाज डॉक्टरों द्वारा करवाते हैं।
उन्होंने न्यायपालिका में मौजूद अंधविश्वास के बारे में कहा कि यह साबित हो चुका है कि आयुष एविडेंस वेस्ड मेडिसिन नहीं है, इसके बावजूद भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह निर्णय दिया गया कि आयुष दवाओं पर करोड़ों लोग विश्वास करते हैं, अतः इसे एलाव किया जाए।
ह्यूमनिस्ट इंटरनेशनल यू.के की सेन्ट्रल कमेटी के सदस्य उत्तम निरौला ने कहा कि इंडिया ही नहीं अमेरिका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नाइजीरिया यूगांडा आदि देशों में जो भी रेशनलिस्ट हैं, उनकी हत्याएं की जा रही हैं।
एआई अखवायन यूनिवर्सिटी मोरोक्को में फिलॉसफी के असिस्टेंट प्रोफेसर स्टीफानो बिगलियार्डि ने कहा कि भारत की संसद में बच्चे कुपोषण से मर जाते हैं, इस पर बहस नहीं होती है बल्कि जय श्रीराम बोलने पर बहस की जाती है। उन्होंने कहा कि दुनिया के कट्टरपंथी एक साथ आ रहे हैं, अतः सभी रेशनलिस्टों को भी एक साथ आने की जरूरत है।
पत्रकार एवं राज्यसभा सदस्य कुमार केतकर ने कहा कि 1991 में सोवियत संघ के 15 टुकड़े हो गये, यूगोस्लाविया 7 भागों में बंट गये देश में मोदी सरकार ने जिस तरह का माहौल बना दिया है, उससे देश की एकता व अखंडता खतरे में है।
दीप पाटेकर ने कहा कि हमारा देश सबसे बड़ा लोग लोकतंत्र है, ये भी सबसे बड़ा अंधविश्वास है। देश में कितना लोकतंत्र बचा है उसका मूल्यांकन करने की जरूरत है। मअंनिस के कार्यकारी अध्यक्ष अविनाश पाटिल ने कहा मअंनिस के एक्टिविस्ट बगैर किसी निजी लालच के तथा बिना थके लोगों के बीच वैज्ञानिक चेतना के प्रचार-प्रसार के लिए काम कर रहे हैं।
मअंनिस सरकार पर दबाव बनाकर राज्य में काला जादू व ऑनर कीलिंग के खिलाफ कानून बनवाने में कामयाब हुयी है। अंधविश्वासों के पर्दाफाश जैसे कार्यक्रमों ने बड़ी संख्या में युवाओं को आकर्षित किया है तथा समाज में तर्कवादी सोच की पहचान व स्वीकार्यता स्थापित हुयी है।
अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस को कम्युनिकेशन एंड केंपेन फॉर ह्यूमनिस्ट इंटरनेशनल, यूके के निदेशक बॉब चर्चिल, व सविता सेटी, सोनाली कुलकर्णी मानस के सचिव डॉ. सुदेश घोदेराव आदि ने भी संबोधित किया।
9 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस को सम्पन्न करने के पश्चात 10-11 अगस्त, 2019 को मुम्बई में मअंनिस का दो दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन जारी है।