मालेगांव ब्लास्ट के आरोपी कर्नल पुरोहित और साध्वी पर से हटा मकोका और यूएपीए
कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और अन्य पर अब सिर्फ आईपीसी की धाराओं के तहत चलेगा मुकदमा....
मुंबई। एनआईए की स्पेशल अदालत द्वारा आज मुंबई में की गई सुनवाई में मालेगांव ब्लास्ट केस में मुख्य आरोपियों पर से मकोका और यूएपीए हटा दिया गया है। अब इन लोगों पर सिर्फ IPC की धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा। इस मामले में अगली सुनवाई 15 जनवरी को एनआईए की स्पेशल कोर्ट में की जाएगी।
गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में अंजुमन चौक पर शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के सामने हुए बम धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और सौ से अधिक लोग घायल हो गए थे।
मकोका हटने के पहले के घटनाक्रम में इसी साल अगस्त में मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी कर्नल पुरोहित को जमानत दी जा चुकी है। इस मामले में एक बात और भी गौर करने वाली है कि मालेगांव ब्लास्ट के सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं। जबकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2017 के शुरू में प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानत दी थी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जल्द ही इस ब्लास्ट मसले से आरोपियों को दोषमुक्त करार दे दिया जाए तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
मालेगांव ब्लास्ट में कर्नल पुरोहित पहले ऐसे सैन्य अधिकारी हैं, जिसके खिलाफ आतंकी कृत्य के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था। कर्नल पुरोहित को सेना ने 60 किलो आरडीएक्स चोरी करने के मामले में आरोपित किया था। कहा गया था कि इसी में से कुछ विस्फोटक मालेगांव विस्फोट में इस्तेमाल किया गया था। यही नहीं कर्नल पर अभिनव भारत जैसे हिंदू उग्रवादी समूहों को आर्थिक सहायता और ट्रेनिंग देने का आरोप भी लगा था।
मकोका हटने के बाद से मालेगांव ब्लास्ट में मुख्य आरोपी रहे श्रीकांत पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर आईपीसी की धाराओं के तहत केस चलेगा। जिन धाराओं के तहत अब केस चलेगा उनमें हत्या, आपराधिक साज़िश की धाराएं दर्ज हैं। इतना ही नहीं कोर्ट ने आज इस मामले में आरोपी रहे श्याम साहू, प्रवीण टक्कलकी और रामचंद्र कालसांगरा को बरी कर दिया है।
मालेगांव ब्लास्ट के बाद जांच एटीएस को सौंपी गई थी, जिसमें एटीएस ने मोटरसाइकिल की चैसीस नम्बर से मिले सुराग के आधार पर सबसे पहले साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को आरोपी बनाया था क्योंकि धमाके में इस्तेमाल मोटरसाइकिल साध्वी के नाम से रजिस्टर्ड थी। उसके बाद स्वामी दयानंद पांडे, मेजर रमेश उपाध्याय और कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित समेत कुल 11 की इस मामले में गिरफ्तारी की गई थी।
इसी जांच के बाद 20 नवंबर 2008 को आरोपियों पर मकोका लगाया गया गया था। एटीएस ने 21 जनवरी 2009 को अपना पहला आरोप पत्र दायर करते हुए 11 गिरफ्तार आरोपियों और 3 फरार आरोपियों की लिस्ट कोर्ट को सौंपी थी। हालांकि बाद में इसकी जांच एनआईए को सौंप दी गई। इस मसले पर एनआईए ने लगभग 4 साल इस केस की जांच करने के बाद 31 मई 2016 को नई चार्जशीट फाइल की थी।
नई चार्जशीट दाखिल करते हुए एनआईए ने रमेश शिवाजी उपाध्याय, समीर शरद कुलकर्णी, अजय राहिरकर, राकेश धावड़े, जगदीश महात्रे, कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी उर्फ स्वामी दयानंद पांडे सुधाकर चतुर्वेदी, रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगे के खिलाफ पुख्ता सबूत होने का दावा किया था।
जबकि आज 27 दिसंबर को इस मसले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिव नारायण कालसांगरा, श्याम भवरलाल साहू, प्रवीण टक्कलकी, लोकेश शर्मा, धानसिंह चौधरी के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक पुख्ता सबूत नहीं होने का दावा किया है।
एनआईए ने इस मामले पर मकोका लगाने के लिए जरूरी आधार नहीं होने का दावा किया था। जबकि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित समेत अन्य आरोपियों ने खुद को बेगुनाह बताते हुए खुद को बरी किए जाने की याचिका कोर्ट में दायर की थी।