ममता ने दिया 'कट मनी' घोटाले में दोषी टीएमसी कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश

Update: 2019-06-27 06:41 GMT

बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से बड़े पैमाने पर अवैध धन उगाही का मामला आया सामने

जेपी सिंह की रिपोर्ट

श्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से बड़े पैमाने पर अवैध धन उगाही का मामला सामने आने के बाद ममता सरकार डैमेज कंट्रोल में जुट गयी है। पश्चिम बंगाल में 'कट मनी' घोटाले को लेकर जिले के उच्च पुलिस अधिकारियों से दोषी निकाय सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज करने का निर्देश दिया गया है।

लोकसेवकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409 के तहत ये मामले दर्ज किए जाएंगे। पश्चिम बंगाल में हालिया लोकसभा चुनाव में मुंह की खाने के बाद मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमों ममता बनर्जी अब सतर्क हो गयी हैं। सारदा चिटफंड घोटाले के बाद प्रदेश भर में स्थानीय निचले स्तर तक पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा हर काम में कमीशनखोरी से आम जनमानस में उपजे असंतोष का खामियाजा इस संसदीय चुनाव में उनकी पार्टी को उठाना पड़ा है, जिसकी पुनरावृत्ति विधानसभा चुनाव में भी हो सकती है।

तीजतन 'कट मनी' घोटाले यानी कमीशनबाजी को लेकर राज्य सरकार हरकत में आ गई है। ममता बनर्जी सरकार ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि वह 'कट मनी' मामले में लोगों की शिकायत दर्ज करना शुरू करें। सरकार की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि जिन निकाय अधिकारियों ने योजनाओं के लाभार्थियों से 'कट मनी' लिया है उनके खिलाफ केस दर्ज करने की कार्रवाई शुरू की जाए।

हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कट मनी बंगाल में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है, जिसने टीएमसी को काफी नुकसान पहुंचाया है। टीएमसी के कार्यकर्ताओं और कई स्थानीय नेताओं पर लोगों ने आरोप लगाया कि वह काम के बदले पैसे लेते हैं।टीएमसी के कार्यकर्ताओं और कई स्थानीय नेताओं पर लोगों ने आरोप लगाया कि वह काम के बदले पैसे लेते हैं।

कुछ दिन पहले ही पंचायत स्तर पर टीएमसी नेताओं का कई गांवों में घेराव हुआ और उसमें उनसे कट मनी के पैसे वापस मांगे गए। गौरतलब है कि कि टीएमसी को जहां 24 सीटें मिलीं, वहीं बीजेपी 18 सीटें जीतने कामयाब हो गई।

सके अलावा राज्य सरकार ने निकाय सदस्यों को कहा है कि बांग्लार बारी योजना के लाभार्थियों का पैसा सीधे उनके बैंक खाते में भेजा जाए। यह मामले आईपीसी की धारा 409 के तहत दर्ज किए जाएंगे, जो किसी लोकसेवक द्वारा विश्वास के आपराधिक उल्लंघन से संबंधित है। भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत दोषी ठहराया जाने वाले व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा या जुर्माने के अलावा 10 वर्ष तक के कारावास की सजा हो सकती है।

विपक्षी दलों द्वारा 'कट मनी' घोटाले को जोर-शोर से उठाने के बाद राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुई है। इसके बाद ममता सरकार ने स्वीकार किया की ऐसे मामले सामने आए हैं जहां लाभार्थियों के मकान बनाने के लिए पहल करने वाले पार्षद उनसे कुछ पैसे लेते हैं।

राज्य विधानसभा में लगातार दूसरे दिन इस मुद्दे पर हंगामा हुआ। विपक्ष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बयान दिये जाने और मामले की जांच के लिए एक आयोग गठित करने की मांग की। कांग्रेस और माकपा के विधायकों ने 'कट मनी घोटाले' के मसले पर पश्चिम बंगाल विधानसभा से बहिर्गमन किया और मामले की जांच की मांग की।

ट मनी के मुद्दे पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ नारेबाजी करते हुए दोनों दलों के विधायक, विधानसभा अध्यक्ष के आसन के निकट आ गए और इस मामले में एक जांच आयोग गठित करने की मांग की। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मामले में स्पष्टीकरण तथा कट मनी वापस करने की मांग करते हुए विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया।

कांग्रेस का कहना है कि कट मनी मामले की जांच के लिए एक आयोग गठित होनी चाहिए। हम यह जानना चाहते हैं कि यह किसने हड़पा है। विपक्षी विधायक पोस्टर और तख्ती लिये हुए थे, जिस पर कट मनी मीन्स चीफ मिनिस्टर लिखा था। इसके अलावा वामदलों ने भी इसे लेकर सदन में सरकार को घेरते हुए जांच की मांग की है।

रअसल ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। लोकसभा चुनाव के बाद अब कट मनी (घूस) का मामला तूल पकड़े हुए है। इसे लेकर राज्यभर से लोग खुलकर पार्टी नेताओं के खिलाफ सामने आ रहे हैं।

ममता ने कड़ा कदम उठाते हुए पार्टी नेताओं को निर्देश दिया है कि जिन लोगों से विभिन्न योजनाओं के नाम पर रुपये वसूले गए हैं, उनका रुपया वापस किया जाए। मुझे पता चला है कि राज्यभर में लोगों से आवास योजना के नाम पर 25 फीसद रुपये वसूले गए हैं। मैं निर्देश दे रही हूं कि ये सारे रुपये लोगों को लौटाया जाएं।'

इसके बाद से राज्यभर में बवाल मचा हुआ है। आम लोगों ने तृणमूल नेताओं का घेराव कर कट मनी वापस मागना शुरू कर दिया है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में व्यापक हंगामे के बाद लिया गया, जिसमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को भीड़ ने घेर लिया और उनसे वह 'कट मनी' वापस करने की मांग की, जो उनसे सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभ सुनिश्चित करने के लिए लिया गया।

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