मानवता के विकास के लिए मुम्बई में तर्कवाद पर अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी

Update: 2019-08-03 16:47 GMT

देश की सरकारें टीवी, पत्र-पत्रिकाओं, सोशल मीडिया व अन्य संचार माध्यमों से लोगों के बीच जानबूझकर अंधविश्वास व कूपमंडूपता परोस रही हैं, पोंगापंथ व कट्टरपंथ को समाप्त करने की जगह पालती-पोसती हैं...

मुम्बई, जनज्वार। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (मअंनिस) द्वारा अपनी स्थापना के 30 वर्ष पूर्ण होने पर मुम्बई में 9 अगस्त को ‘मानवता के विकास के लिए तर्कवाद’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेस का आयोजन किया जाएगा। 9 अगस्त के कार्यक्रम के बाद 10 व 11 अगसत को दो दिवसीय महाराष्ट्र का राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन भी किया जाएगा।

स तीन दिवसीय कार्यक्रम में देश-दुनिया के जाने-माने वैज्ञानिक, अंधविश्वास के खिलाफ वैज्ञानिक चिंतन को स्थापित करने में अपना योगदान देने वाले सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता व तर्कशील चिंतक शिरकत करेंगे तथा अपना व्याख्यान देंगे।

कार्यक्रम के प्रथम दिन 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस को मानस के अध्यक्ष एनडी पाटिल, कार्यकारी अध्यक्ष अविनाश पाटिल, कम्युनिकेशन एंड केंपेन फॉर ह्यूमनिस्ट इंटरनेशनल, यू.के के निदेशक बॉब चर्चिल, पेरियार के साथ काम कर चुके डॉ. के वीरामानी, भावा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के पूर्व चेयरमेन डॉ. अनिल काकोडकर, ह्यूमनिस्ट इंटरनेशनल यूके की सेन्ट्रल कमेटी के सदस्य उत्तम निरौला, फेडरेशन आफ इंडियन रेशनलिस्ट एसोसिएसन के अध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र नायक, एआई अखवायन यूनिवर्सिटी मोरोक्को में फिलॉसफी के असिस्टेंट प्रोफेसर स्टीफानो बिगलियार्डि, फिल्म निदेशक डॉ. जब्बार पटेल, ऑल इंडिया पीपुल्स सांइस नेटवर्क के अध्यक्ष प्रो. एस.चटजी, पत्रकार एवं राज्यसभा सदस्य कुमार केतकर व सविता सेटी, सोनाली कुलकर्णी आदि मुख्य वक्ता होंगे।

कार्यक्रम में नाटक तथागत, सोक्रटीज से दाभोलकर पनसारे बाया तुकारम व आंदोलन के गीत शहीद नरेन्द्र दाभोलकर को सलाम आदि भी प्रस्तुत किए जाएंगे।

मानस महाराष्ट्र राज्य में जनता को वैज्ञानिक चेतना से लैस करने के लिए पिछले 30 वर्षों से कार्य कर रहा है। आरएसएस व शिवसेना के गढ़ माने जाने वाले महाराष्ट्र देश का वह राज्य हैं जहां पर मानस के आंदोलन की बदौलत काला जादू व नरबलि के खिलाफ कानून (जादू-टोना व अंधविश्वास विरोधी विधेयक) बनाया गया है। महाराष्ट्र में पारित इस विधेयक में टोने-टोटके व चमत्कार गैरकानूनी अपराध घोषित किए गये हैं।

हाराष्ट्र में मानस द्वारा लोगों को वैज्ञानिक चेतना से लैस करने के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम एक आंदोलन का रूप ले चुके हैं। मानस के कार्यकर्ता जनता के बीच तांत्रिक, ओझा-सोखा व परम्पराओं में जारी अंधविश्वास के पीछे के छुपे विज्ञान का लोगों के बीच प्रदर्शन करते हैं। साहित्य एवं गोष्ठियों के माध्यम से भी जनता को शिक्षित करते हैं।

पिछले वर्ष 28 सितम्बर, 2018 को उत्तराखंड के रामनगर शहर में मानस के उत्तम जोगडांड व अमोल चागुले ने शहीद भगत सिंह की जयंती पर समाजवादी लोक मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में लोगों के अंधविश्वास को दूर करने के लिए चमात्कारों के पीछे छुपे विज्ञान का शानदार प्रदर्शन किया था और लोगों को वैज्ञानिक चेतना से लैस करने में मदद भी की।

वैज्ञानिक चेतना के प्रसार व प्रचार के कारण मानस जैसे संगठन कट्टरपंथी ताकतों की आंखों की किरकिरी बने हुए हैं। यही कारण है कि 20 अगस्त, 2013 को मानस के संस्थापक सदस्य नरेन्द्र दाभोलकर की पूना में कट्टरपंथियों के संगठन सनातन संस्था से जुड़े लोगों ने हत्या कर दी थी। वे सुबह सैर करने के लिए निकले थे। कट्टरपंथी सोचते थे कि दाभोलकर को मार देने के बाद महाराष्ट्र में मानस का अभियान खत्म हो जाएगा परन्तु ऐसा हुआ नहीं।

हीद भगत सिंह ने कहा था कि तुम व्यक्ति को मार सकते हाो, विचारों को नहीं। डॉ. दाभोलकर की कुर्बानी ने महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश के लोगों के बीच भी जागृति पैदा करने का काम किया। उनकी शहादत के 6 वर्षों बाद आज भी पोंगापंथी व समाज को पीछे ले जाने वाली घृणित कट्टरपंथी ताकतों व अंधविश्वास के खिलाफ मानस का अभियान मजबूती के साथ जारी है।

देश की कट्टरपंथी ताकतें नहीं चाहती हैं कि लोग ज्ञान-विज्ञान से लैस हो। वे जानते हैं कि यदि लोग वैज्ञानिक चेतना से लैस होकर समझ जाएंगे कि उनकी गरीबी, अशिक्षा, बदहाली का कारण सरकार की नीतियां हैं न कि कोई दैवीय या शैतानी शक्ति है। तो वे ऐसे में सरकार की नीतियों के खिलाफ उठ खड़े होंगे। यही कारण है कि देश की सरकारें टीवी, पत्र-पत्रिकाओं, सोशल मीडिया व अन्य संचार माध्यमों से लोगों के बीच जानबूझकर अंधविश्वास व कूपमंडूपता परोस रही हैं, पोंगापंथ व कट्टरपंथ को समाप्त करने की जगह पालती-पोसती है।

9-10-11 अगस्त, 2019 को मुम्बई के कालीदास नाट्य मंदिर में आयोजित होने वाले इस इस 3 दिवसीय कार्यक्रम में देश-दुनिया के वर्तमान हालात पर चर्चा कर भविष्य की रणनीति भी तैयार की जाएगी। म. अंनिस के सचिव डॉ. सुदेश घोदेराव को कांफ्रेंस का अंतरराष्ट्रीय समन्वयक बनाया गया है।

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