मंजुल के थियेटर ऑफ़ रेलेवेंस का नया आयाम स्वराज शाला

Update: 2018-06-26 13:23 GMT

मंजुल ने पिछले दो दशकों से अधिक की अपनी यात्रा में बिना किसी शोर शराबे और तमाशे के फुटपाथ और झोपड़ पट्टियों के हजारों बच्चों को बाल मजदूरी के दलदल से निकालकर स्कूल पहुंचाया है। स्कूल के बच्चों से लेकर बड़ी बड़ी कंपनियों, बैकों के अधिकारियों को जीवन को देखने की नई दृष्टि दी है...

धनंजय कुमार

रंग चिंतक मंजुल भारद्वाज पिछले 25-26 सालों से थियेटर कर रहे हैं। थियेटर उनके लिए सिर्फ तमाशा करना नहीं, बल्कि जीने की सरल सुगम राह निकालना है। जीने की सौन्दर्य भरी ऐसी कला विकसित करना है कि जीवन बोझ नहीं, जीवन प्रकृति का उपहार लगे।

मंजुल इसी उद्देश्य के साथ थियेटर कर रहे हैं, इसलिए थियेटर को कला के बाड़े से निकाल कर फुटपाथ की बजबजाती अंधेरी गुफा से लेकर यूरोप के चमचमाते थियेटर गृह तक में थियेटर किया है और अपढों से लेकर चिंतकों तक को थियेटर की विशालता पर फोकस करने के लिए प्रेरित किया है।

मंजुल ने थियेटर ऑफ़ रेलेवेंस का सृजन किया और दुनिया के सामने थियेटर के महत्त्व को रेखांकित किया कि थियेटर ऑफ़ रेलेवेंस सांस्कृतिक क्रान्ति का रंगदर्शन है। थियेटर नाट्य गृहों और नुक्कड़ों की प्रस्तुति भर नहीं है, बल्कि थियेटर दर्शकों के भीतर निरंतर जागरण अभियान चलाने का माध्यम है। आत्महीनता और अहंकार के विकारों को नष्ट कर आत्मबल और जीवन के सह अस्तित्ववादी विचारों को स्थापित करने का माध्यम है।

मंजुल ने पिछले दो दशकों से अधिक की अपनी यात्रा में बिना किसी शोर शराबे और तमाशे के फुटपाथ और झोपड़ पट्टियों के हजारों बच्चों को बाल मजदूरी के दलदल से निकालकर स्कूल पहुंचाया है। स्कूल के बच्चों से लेकर देश की बड़ी बड़ी कंपनियों, बैकों के अधिकारियों को जीवन को देखने की नई दृष्टि दी है। उनके भीतर पैठे गुलामी के भाव को निकालकर लीडरशिप का भाव भरा है।

मंजुल अब अपने नए मिशन पर हैं। वह थियेटर के माध्यम से राजनीति को बदलने निकले हैं। वह राजनीति को दलगत राजनीति से उठाकर जनोन्मुख राजनीति बनाने निकले हैं। वह जनता में लीडरशिप का भाव भरने को कटिबद्ध हैं। उनका मानना है जब तक आम आदमी में राजनीति को अवेयरनेस नहीं फैलाई जाती, देश की न तो राजनीति बदलने वाली है, न व्यवस्था।

उनके इस मिशन की संभावनाओं और जरूरत को योगेन्द्र यादव ने बखूबी पहचाना है, इसलिए वह अपनी स्वराज पार्टी के लिए निरंतर मंजुल की सेवा ले रहे हैं। ये स्वराज शाला उसी दिशा में एक मजबूत कदम है।

(पत्रकारिता से अपना करियर शुरू करने वाले धनंजय कुमार मुंबई में स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी हैं।)

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