मर्दों के लिए 364 दिन और महिलाओं के लिए सिर्फ एक दिन : तसलीमा नसरीन

Update: 2018-03-09 22:38 GMT

महिला दिवस सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि हर किसी के लिए विशेष दिवस होना चाहिए। आज हर कोई समान अधिकार और मानवाधिकार की बात करता है, लेकिन इसमें महिलाओं के संघर्ष को विशेष रूप से जगह मिलनी चाहिए। महिलाओं के समान अधिकार से सिर्फ महिलाओं को नहीं बल्कि पुरुषों को भी फायदा होगा...

नई दिल्ली, जनज्वार। 'मर्दों के लिए 364 दिन हैं और महिलाओं के लिए सिर्फ एक दिन तय कर दिया गया है। मगर यह एक दिन भी महिलाओं का नहीं है क्योंकि इस दिन भी सैकड़ों लड़कियां मारी गई होंगी, हजारों लड़कियां ट्रेफिकिंग की शिकार हुई होंगी, हजारों का यौन शोषण हुआ होगा तो कई घरेलू हिंसा की भेंट चढ़ी होंगी। इनमें से कोई भी महिला नहीं जानती होगी कि औरतों के लिए भी एक दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के नाम पर तय किया गया है, एक दिन हमारा भी है।' यह बात अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर दिल्ली के तीन मूर्ति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मशहूर लेखिका नसलीमा नसरीन ने कहीं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पश्चिम बंगाल में काम कर रहे गैर सरकारी संगठन नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर जेंडर जस्टिस (एनआईजीजे) ने 'बीइंग फेयरलेस' के नाम से एक महिला सुरक्षा अभियान का शुभारंभ किया।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जेंडर जस्टिस ने निर्भय ग्राम के सहयोग से समाज के कमजोर तबके की महिलाओं को सेहत के मोर्चे पर सशक्त बनाने के लिए उनके बीच सैनेटरी नैपकिन का वितरण किया। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का ही हिस्सा है जिसमें मशहूर लेखिका तसलीमा नसरीन, राजनीतिज्ञ श्याम जाजू, पेंटर मोहसिन शेख, क्रिएटिव निर्देशक पिनाकी दासगुप्ता, कलाकार दीपक कुमार घोष जैसी कई हस्तियों ने शिरकत की।

एनआईजीजे प्रमुख श्रीरूपा मित्रा चौधरी ने बताया कि अब तक हमारा संगठन 'निर्भय ग्राम' कार्यक्रम के तहत 3000 गांवों के 5 लाख लोगों के सशक्तीकरण की दिशा में काम कर चुका है। हमारा मिशन प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के तहत ही महिलाओं को निर्भय जीवन देना है।

निर्भया दीदी के नाम से जानी जाने वाली श्रीरूपा मित्रा चौधी ने जानकारी दी कि, ‘बिइंग फीयरलेस’ यानी निर्भय रहने की मुहिम के तहत महिलाओं को मासिक धर्म के दिनों में स्वास्थ्य और साफ-सफाई के प्रति जागरूक बनाने की पहल की गई। मासिक धर्म के दिनों में कमजोर वर्ग की महिलाओं के बीच सैनेटरी नैपकिन की अनुपलब्धता कई कारणों से सरकार और विभिन्न सामाजिक संगठनों के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। इसी चुनौती से निपटने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ जेंडर जस्टिस ने एचएलएल लाइफकेयर के साथ भागीदारी करते हुए लाइफकेयर केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है। इस भागीदारी के तहत देश के सबसे पिछड़े 100 जिलों में घर-घर जाकर किफायती सैनेटरी नैपकिन वितरित किए जाएंगे।

श्रीरूपा मित्रा चौधरी ने कहा, यह कार्यक्रम मानसिक सुरक्षा और खासकर मासिक धर्म के दिनों में स्वास्थ्य सुरक्षा से वंचित महिलाओं, मासिक धर्म के दौरान स्कूल जाने से कतराने वाली लड़कियों के लिए समर्पित है। यह कार्यक्रम उन महिलाओं की भी मदद करेगा जो नैपकिन की अनुपलब्धता के कारण पूरी तरह असुरक्षित महसूस करती हैं और दुकानों से सैनेटरी नैपकिन खरीदने में अत्यधिक संकोच करती हैं।

लाइफकेयर केंद्रों पर ऐसी ही महिलाओं को किसी भी परिस्थिति में निर्भय बनाते हुए मानसिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी। प्रत्येक जिले में 10 लाइफकेयर सेंटरों के जरिये उन महिलाओं को घर-घर जाकर ‘हैप्पी डेज’ नैपकिन भी वितरित किए जाएंगे। हमारा लक्ष्य 300 गांवों और 50 लाख महिलाओं को सशक्त बनाने का है। हम लोगों को इस तरह की संवेदनशील चुनौतियों से निपटने के लिए जनांदोलन चलाते हुए सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।

तसलीमा नसरीन ने कहा, महिला दिवस सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि हर किसी के लिए विशेष दिवस होना चाहिए। आज हर कोई समान अधिकार और मानवाधिकार की बात करता है, लेकिन इसमें महिलाओं के संघर्ष को विशेष रूप से जगह मिलनी चाहिए। महिलाओं के समान अधिकार से सिर्फ महिलाओं को नहीं बल्कि पुरुषों को भी फायदा होगा। कार्यक्रम के बाद तसलीमा को महिलाओं के अधिकार पर सशक्त लेखनी के जरिये अहम योगदान करने के लिए सम्मानित किया गया।

इसी कार्यक्रम में तीन तलाक की एक परिचर्चा भी आयोजित की गई, जिसमें तसलीमा नसरीन समेत तमाम लोग ने हिस्सेदारी कर तीन तलाक पर विरोध दर्ज किया।

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