पटना में पहले बाढ़ और अब बीमारी दोनों ही नीतीश सरकार की देन : मेधा पाटकर
प्रसिद्ध समाजसेवी पाटेकर ने कहा कि एक तरफ पटना को स्मार्ट –सिटी बनाया जा रहा है, दूसरी तरफ पटना बरसात के पानी में डूब रहा है, यह विकास के नाम पर विनाश है। जो सरकार अपनी नाकामी की वजह से लोगों को डुबोती है फिर डूबे हुए लोगों के लिए एक रैन-बसेरा, एक आश्रयणी का भी इंतजाम नहीं कर पाई, वह सरकार समाजवादी नहीं, निकम्मी है...
जे.पी. सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार, नई दिल्ली। देश की प्रसिद्ध समाजसेवी मेधा पाटकर ने पटना के जलजमाव –आपदा से प्रभावित झुग्गी बस्तिओं का भ्रमण किया और बहादुरपुर स्थित मैकडोवेल गोलंबर पर आपदा –पीड़ितों की सभा को संबोधित किया। जलजमाव पीड़ित नागरिक संघर्ष मोर्चा की ओर से आयोजित सभा में बोलते हुए मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश में सरदार सरोवर की डूब में 175 गांवों की जिन्दगी को प्रधामंत्री के जन्मदिन का उपहार बताते हुए नर्मदा की त्रासदी और पटना के जलजमाव की विभीषिका को सरकारी आपदा घोषित किया।
मेधा पाटेकर ने कहा कि पटना के लोगों को जिस तरह की त्रासदी का सामना करना पड़ा, उसी से रूबरू होने मैं यहां आई हूं। पटना की पावन और क्रांतिकारी भूमि के लोगों को नारकीय जिन्दगीं जीने के लिए अभिशप्त होना पड़ा है तो यहां सरकार किस काम के लिए है। राज्य सरकार अपने ही नागरिकों को डुबोए और फिर भगवान को दोषी बताए, यह बताता है कि यहां की सरकार संवेदनशील नहीं है। चाहे रिहायशी इलाकों के लोग हैं ,चाहे सैदपुर की झुग्गी बस्ती के निवासी हों या पेमचंद रंगशाला के रंगकर्मी हों, उनकी हिफाजत करने में यहां की सरकार अक्षम साबित हुई है।
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पाटेकर ने कहा कि एक तरफ पटना को स्मार्ट –सिटी बनाया जा रहा है, दूसरी तरफ पटना बरसात के पानी में डूब रहा है, यह विकास के नाम पर विनाश है। जो सरकार अपनी नाकामी की वजह से लोगों को डुबोती है फिर डूबे हुए लोगों के लिए एक रैन-बसेरा, एक आश्रयणी का भी इंतजाम नहीं कर पाई , वह सरकार समाजवादी नहीं, निकम्मी है। जो सरकार अपने राज्य की राजधानी में नालों की सफाई करने में सक्षम ना हो, वह सरकार शासन में रहने का हक़ नहीं रखती है।
उन्होंने आगे कहा कि लार्सन एंड टूब्रो कंपनी जो नरेंद्र मोदी जी की दोस्त कंपनी है ,पूरे देश में घटिया निर्माण और लूट के लिए चर्चित है। नमामि गंगा परियोजना पटना के जलजमाव में दोषी है तो यह साबित हो गया कि यह नमामि गंगा नहीं, गटर गंगा परियोजना है। एक प्रधान सचिव को बदल देना समाधान नहीं है। 2005 का आपदा प्रबंधन कानून सफ़ेद हाथी है, जो भ्रष्टाचार को व्यवस्थित करने के लिए चर्चित है ।
मेधा पाटकर ने उपस्थित जनसमूह से पूछा कि पटना में जलजमाव की आपदा से हुए नुकसान का सर्वे हुआ ,आपके नुकसान का हिसाब – किताब हुआ। सरकार ने आपदा के बाद क्या किया। नुकसान का कोई जायजा नहीं, पंचनामा नहीं।सरकार की इस नीयत का हम विरोध करते हैं। नुकसान की भरपाई की बजाय अब हाथापाई करते हुए घरों को उजाड़ने की हिम्मत करना, यह अमानवीय है, शर्मनाक है। जलजमाव की भयावह विभीषिका में फंसे गरीबों की झुग्गिओं को उजाड़ना जुल्म है,अत्याचार है। यह अमानवीयता की हद है। यह नागरिकों के प्रति राज्यसत्ता की क्रूरता है,अपराध है और सुप्रीम कोर्ट के कानूनों की अवमानना है।
उन्होंने आगे कहा कि मुझे याद है कि 2 साल पूर्व नीतीश कुमार ने विकास की अवधारणा पर राय जानने के लिए देश भर के सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मुझे भी पटना बुलाया था। मानवतावादी विकास की अवधारणा तैयार करते हुए वे नरेंद्र मोदी की गोद में समा गए। अगर आज लोहिया होते तो क्या करते। अगर आज कर्पूरी ठाकुर होते तो क्या करते। अगर आज जेपी होते तो क्या करते। वे नीतीश कुमार जी आपके खिलाफ खड़े होते।
पाटेकर ने कहा कि अगर पटना के जलजमाव के लिए झुग्गिओं को दोषी मानते हुए आपने उनके घरों पर बुलडोजर चलाया तो बुलडोजर नीतीश जी आपकी सरकार पर भी चलेगा। मैं पटना के बुद्दिजीवियों से अपील करती हूँ कि आप गरीबों की रक्षा के लिए बुलडोजर के सामने खड़े हो जाएं। अगर सरकार ने झुग्गिओं पर बुलडोजर चलाने की योजना पर विराम नहीं लगाया तो मैं नीतीश कुमार जी आपके बुलडोजर के सामने पटना में खड़ीं हो जाउंगी।
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मेधा पाटकर ने साफ़ कहा कि पटना की जल विपदा प्राकृतिक नहीं, सरकारी आपदा है। इस आपदा के लिए तीन एजेंसियां पटना नगर निगम,बुडको और लार्सन एंड टूब्रो दोषी हैं ।हम दोषियों को पूरी दुनियां में उजागर करेंगे। सभा के अंत में मेधा पाटकर ने मुख्यमंत्री के नाम 7 सूत्री मांगों वाले एक स्मार-पत्र को सामूहिक सहमति से मंजूरी प्रदान किया।
इस सभा को पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता वसंत चौधरी ,पटना जल –निकासी आपदा पीड़ित मंच के नेता दिलजीत खन्ना ,झुग्गी झोपडी शहरी गरीब संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष किशोरी दास ,एसयूसीआई[सी} के नेता सूर्यकर जितेन्द्र, एनएपीएम नेता महेंद्र यादव, प्रोफ़ेसर सतीश, पत्रकार –लेखक पुष्पराज, झुग्गी नेता गजेन्द्र मांझी और प्रदीप पासवान ने भी संबोधित किया।
सभा में झुग्गी नेता जीबोधन महतो निषाद ,कन्हाई लाल, राजीव सहित सैकड़ों आपदा पीड़ित स्त्री – पुरूष मौजूद थे। प्रेमचंद रंगशाला में जल - आपदा में अपनी नाट्य -सामग्री, साज -बाज नष्ट होने की पीड़ा को जनगीतों से अभिव्यक्त किया। पटना की जल विभीषिका पर वायरल हुए गीत ’अपना पटना सुन्दर होगा, नेता जी की वाणी से' को कलाकारों से दर्द के साथ प्रस्तुत किया ।इस कला –जत्था समूह में वरिष्ठ रंगकर्मी सनत, हीरालाल,अभिषेक, रौशन सहित कई रंगकर्मी शामिल थे।