मोदी सरकार की श्रमिक ट्रेनें बन रहीं हैं प्रवासियों की अर्थी, भूख-प्यास से दम तोड़ते मजदूर

Update: 2020-05-27 14:48 GMT

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पहले मजदूरों को महानगरों में भूख से तड़पने को विवश किया गया और फिर सड़कों पर पैदल चला-चलाकार जिंदा लाश बना दिया गया और अब ट्रेनों से भी उनकी अर्थियां निकल रही हैं...

लखनऊ, जनज्वार। मजदूरों के लिए चलायी कईं श्रमिक ट्रेनों में एक के बाद एक मौतों से हर कोई स्तब्ध है। 2 दिन के बजाय ये ट्रेनें 9 दिन में पहुंच रही हैं। राजनीतिक संगठन रिहाई मंच ने श्रमिक ट्रेनों को मजदूरों कि अर्थी कहते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल को उनकी मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया है और मांग की है कि इसके लिए उन पर मुकदमा दर्ज किया जाये।

रिहाई मंच ने मोदी सरकार से मांग की है कि श्रमिक ट्रेनों में जान गंवाने वाले हर श्रमिक के आश्रित को पांच-पांच करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाये। रिहाई मंच ने मृतक प्रवासी मजदूरों के प्रकरण पर एक दल का गठन किया है, जो मृतकों के परिजनों से मिल कर हर संभव मदद करने की कोशिश करेगा।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि कहीं के लिए चली ट्रेनें कहीं चली जा रही हैं और ट्रेनों में भूखे प्यासे मजदूर लाश में तब्दील होते जा रहे हैं। यह लापरवाही नहीं अपराध है। रेल मंत्रालय इसके लिए दोषी है। जिम्मेदार लोगों पर तत्काल हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए। आजमगढ़, जौनपुर समेत पूर्वांचल के मजदूरों कि लाशें बताती हैं कि पैदल चले न जाने कितने मजदूर बहन-भाई मौत का शिकार हो गए होंगे, जिनके बारे में हमें पता ही नहीं। मीडिया के मुताबिक तीन सौ से अधिक मजदूरों की मौतों की सूचनाएं आ रही हैं।

हले मजदूरों को महानगरों में भूख से तड़पने को विवश किया गया और फिर सड़कों पर पैदल चला-चलाकार जिंदा लाश बना दिया गया। सरकार लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को न सिर्फ नेस्तनाबूद करने पर आमादा है, बल्कि देश को बचाने वाले मजदूर-किसानों को भी खत्म करने पर आमादा है।

कोरोना के नाम पर सरकारी कर्मचारी से लेकर पुलिस तक आम जनता पर ना सिर्फ हमलावर है, बल्कि जीवन से जुड़े हक-हुकूक को रौंद रही है। उनके खिलाफ किसी प्रकार कि कार्रवाई न होने का नतीजा है कि किसी चौराहे तो कहीं किसी बोगी में मजदूर की लाश मिल रही है।

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