लॉकडाउन में रोजगार और आवास के संकट से जूझते मजदूर वर्ग की मदद करे मोदी सरकार, मासा ने की अपील

Update: 2020-04-08 18:07 GMT

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जिन मजदूरों की लॉकडाउन के समय भूख से या अपने गाँव या शहर लौटने के लिए पलायन के दौरान हुई है मौत, उनके परिवारों को ₹50 लाख मुआवज़े के रूप में दे सरकार....

जनज्वार। कोरोना की भयावहता को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया गया, जिसमें सबसे बुरी स्थिति में मजदूर है। रोजी—रोटी संकट के अलावा अन्य कई मु​श्किलों से यह वर्ग दो—चार हो रहा है। कई जगह से मजदूर वर्ग को हो रही परेशानियों पर मीडिया में खबरें भी आने लगी हैं। इसी सबको ध्यान में रखते हुए मजदूरों की मुश्किलों को कम किये जाने को लेकर मासा (मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान) ने प्रधानमंत्री मोदी को एक ज्ञापन भेजा है।

ज्ञापन में लिखा है, कोविड 19 एक विश्वव्यापी महामारी बन चुकी है। इसी के मद्देनज़र भारत सरकार ने 24 मार्च की मध्य रात्रि से पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित करा दिया, साथ ही रेल—बस सहित अचानक पूरे देश में परिवहन व्यवस्था ठप हो गई। इस आवश्यक क़दम से देश की मज़दूर—मेहनतकश आवाम के सामने भारी संकट भी पैदा हो गया। रोजगार व आवास के संकट से जूझती भारी मेहनतकश आबादी अभी भी विभिन्न स्थानों पर अटकी हुई है।

मेहनतकश जमात में एक अनिश्चितता का माहौल व्याप्त होने के साथ आर्थिक संकट भी काफी गहराने लगा है। हालांकि इन स्थितियों में भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों ने कुछ घोषणाएँ भी की हैं और कुछ क़दम भी उठाएं हैं, लेकिन इन कठिन व विकट हालत में वे नाकाफ़ी हैं। अलग—अलग क्षेत्र के मज़दूरों की विशिष्टता का भी इसमें पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है।

से में विभिन्न महासंघों, यूनियनों, मज़दूर संगठनों के साझा मंच मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान की ओर से मांग की गयी है कि केंद्र सरकार इनको गंभीरता से ले और इनके निवारण के लिए यथाशीघ्र ठोस क़दम उठाए।

ज्ञापन के माध्यम से मांग रखी गयी है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि गैरज़रूरी वस्तुओं व सेवाओं का उत्पादन करने वाली सभी फैक्ट्रियां अनिवार्य रूप से बंद हों और उनके सभी मजदूरों को इस अवधि के दौरान पूरा वेतन मिले, चाहे सीधे सरकार या फैक्ट्री मैनेजमेंट के द्वारा। यह सख्त तौर पर सुनिश्चित हो कि लॉकडाउन के कारण किसी भी मजदूर को काम से टर्मिनेट न किया जाए और लॉकडाउन के दौरान कोई भी फैक्ट्रियां उपक्रम स्थाई रूप से बंद न हों।

संक्रमण के खतरे के दौरान ज़रूरी वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन के लिए चल रही फैक्ट्रियों के मजदूर की कोविड 19 से मृत्यु हो जाने की परिस्थिति में परिवार को ₹50 लाख का मुआवजा दिया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि इन फैक्ट्रियों के सभी मजदूरों के लिए निःशुल्क मास्क व दस्तानों, कार्यस्थल पर हैंडवॉश व उचित सैनिटाइज़र, कार्यस्थल पर शारीरिक दूरी (फिज़िकलडिस्टेंसिंग) लागू करने व अन्य ज़रूरी बचाव व सुरक्षा के प्रबंधों का इंतजाम लागू हो और मैनेजमेंट इसकी गारंटी लिखित रूप में दे।

लॉकडाउन की वजह से बंद हुए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) एवं छोटे नियोक्ता व ओपरेटरों, सभी मजदूरों के बंद की अवधि के लिए कुल वेतन की 80 फीसदी राशि सरकार वहन करे, इस अनिवार्य शर्त पर कि लॉकडाउन की वजह से किसी भी मजदूर को टर्मिनेट ना किया जाए और सभी मजदूरों को इस अवधि के लिए पूरा वेतन मिले।

राज्य सरकार सभी बेरोजगार हुए मजदूरों, जिसमें निर्माण मजदूर, दिहाड़ी मजदूरए आकस्मिक मजदूर, ईंट भट्ठा के मजदूर और ग्रामीण मजदूर शामिल हैं, को ₹8000 प्रतिमाह का और सभी स्वरोजगार करने वालों, जिसमें कैब, टैक्सी, ट्रक, आटोरिक्शा ड्राईवर, ऑपरेटर और स्वतंत्र ठेकेदार, डिलीवरी और लॉजिस्टिक कर्मचारी शामिल हैं, जो लॉकडाउन की वजह से काम नहीं कर पा रहे हों, को न्यूनतम वेतन का 80 फीसदी के बराबर राशि का गुज़ारा भत्ता दिया जाए।

नरेगा मजदूरों की सम्पूर्ण बकाया मजदूरी का तत्काल भुगतान किया जाए और सभी मजदूरों को ₹8000 प्रतिमाह गुज़ारा भत्ता दिया जाए।

भी डॉक्टरों, नर्सों, मेडिकल स्टाफ, स्वास्थ्य कर्मियों, स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े सभी मजदूरों और आशा कर्मियों को बचाव व सुरक्षा के लिए सभी ज़रूरी सामग्री उपकरण निःशुल्क उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए।

भी सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों में कोविड 19 की निःशुल्क जांच की व्यवस्था की जाए। पूरे देश में व्यापक टेस्टिंग रणनीति लागू की जाए और मजदूर बस्तियों व ग्रामीण क्षेत्रों में जांच व स्क्रीनिंग के लिए स्वास्थ्य टीमें भेजी जाएँ। यह सुनिश्चित किया जाए कि मेडिकल टीमों पर कोविड 19 केस की संख्या की गलत रिपोर्ट देने के लिए दबाव ना बनाया जा सके।

पूरे देश में अस्पतालों, टेस्ट लैब, डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्य कर्मियों, आइसोलेशन बेड व सभी ज़रूरी सेवाओं के साथ क्वारंटाइन सुविधा की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि बड़े स्तर पर संक्रमण के फैलने की स्थिति में यह सुविधायें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों। वेंटीलेटर सुविधाए जिसकी संख्या अपेक्षा से काफ़ी कम हैए को बढ़ाया जाए और इसके लिए ऑटोमोबाइल व अन्य कंपनियों को वेंटीलेटर का उत्पादन प्राथमिक तौर पर करने का आदेश दिया जाए।

रकार हथियार व अन्य गैरज़रूरी वस्तुओं की खरीद पर खर्च करने के बजाय स्वास्थ्य व चिकित्सा के क्षेत्र में खर्च को बढ़ाया जाए और स्वास्थ्य पर खर्च जीडीपी का कम से कम 5 फीसदी किया जाए ताकि इन महत्वपूर्ण सुविधाओं का तुरंत प्रबंध हो सके। मुफ्त राशन की व्यवस्था राशन कार्डधारकों के साथ सभी गरीब और ज़रूरतमंद लोगों के लिए सुनिश्चित की जाए।

जिन मजदूरों की लॉकडाउन के समय भूख से या अपने गाँव या शहर लौटने के लिए पलायन के दौरान मृत्यु हुई है, उनके परिवारों को ₹50 लाख मुआवज़े के रूप में दिया जाए।

जदूर बस्तियों, कॉलोनियों व ग्रामीण क्षेत्रों में मास्क, सैनिटाइज़र, दस्ताने, मेडिकल किट जिसमें सारी ज़रूरी दवाइयाँ हों, सैनिटरी नैपकिन व अन्य ज़रूरी सामान निःशुल्क वितरित करने का प्रबंध किया जाए।

जदूर बस्तियों व ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पीने का पानी और साफ़—सुथरे शौचालय व बाथरूम की निःशुल्क व्यवस्था की जाए।

जदूर बस्तियों में जीवन के हालातों को देखते हुए कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकारी स्कूलों, खाली बंगलों, भवनों, धार्मिक स्थलों की खाली पड़ी जगहों आदि को शेल्टर होम में तब्दील करके मजदूरों व बेघर लोगों को उसमें सुरक्षित रूप से शिफ्ट करवाने और रुकवाने की गुणवत्तापूर्ण व्यवस्था की जाए, जब तक संक्रमण का खतरा टल नहीं जाता। इन शेल्टर होम में निःशुल्क कम्युनिटी किचन चलाये जाएँ व साफ़—सुथरे शौचालय व बाथरूम की व्यवस्था हो।

मासिक क़िस्त व ईएमआई के भुगतान में मिली मोहलत को 3 महीने से बढ़ाकर 6 महीने किया जाए और इस अवधि के लिए ब्याज माफ़ किया जाए।

लोक भविष्य निधि राष्ट्रीय बचत पत्र, किसान विकास पत्र व अन्य लघु बचत योजनाओं के ब्याज दरों में की गई कटौती को वापस लिया जाए। बड़े पूंजीपतियों, धन्नासेठों और कॉर्पोरेट घरानों पर टैक्स लगाया जाए। टैक्स दर बढ़ाए जाएँ, और उनके लिए क़र्ज़ माफ़ी व कर में कटौती पर रोक लगे।

पुलिस को मजदूरों, बेघर लोगों, और रिक्शा, ठेले व रेहड़ी—पटरी वालों के खिलाफ किसी भी तरह की बदसलूकी और हिंसा ना करने के सख्त आदेश तत्काल दिए जाएँ। आदेश का पालन ना करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

कोविड 19 सम्बंधित ज़रूरी जानकारी, बचाव व सुरक्षा के तरीके और सरकारी राहत योजनायें जैसी ज़रूरी जानकारियों का, पर्चा वितरण व सूचना विज्ञापन जैसे ज़रियों से प्रचार—प्रसार किया जाए, ख़ासतौर से मजदूर बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्रों में। स्वास्थ्य व राहत योजना संबंधित जानकारी पानेए पुलिस हिंसा व घरेलू हिंसा की शिकायत आदि के लिए हेल्पलाइन नंबर शुरू किये जाएँ और इनका प्रचार किया जाए।

मीडिया द्वारा सांप्रदायिक नफरत व द्वेष को बढ़ावा देने वाली किसी भी प्रकार की ख़बरों के प्रचार पर रोक लगाने के लिए तत्काल आदेश जारी किया जाए। जब तक संक्रमण का खतरा बना हुआ है, तब तक सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों व सभाओं पर रोक लगाईं जाए।

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