खुले में शौच करने गई बच्ची को कुत्तों ने नोच-नोच कर मार डाला

Update: 2018-01-08 13:18 GMT

कोडरमा जिला है खुले में शौच से मुक्त, मोदी सरकार के स्वच्छता अभियान की खुली असलियत, अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने शुरू किया एक दूसरे पर आरोप—प्रत्यारोप मढ़ना

कोडरमा, जनज्वार। मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत देशभर के हर गांव के हर घर में शौचालय बनवाने की पहल ली है। कई गांव तो खुले में शौच से मुक्त भी घोषित किए जा चुके हैं। मगर मोदी सरकार के स्वच्छता अभियान की पोल उस समय खुल गई जब शौच से मुक्त एक गांव की मासूम बच्ची खुले में शौच करते हुए कुत्तों का निवाला बन गई।

घटनाक्रम के मुताबिक झारखण्ड के कोडरमा जनपद स्थित मरकच्चो थाना क्षेत्र के एक गांव भगवतीडीह जिसे खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया जा चुका है, खेत में शौच करने वाली एक 12 वर्षीय बच्ची को आवारा कुत्तों ने काट—नोचकर मौत के घाट उतार दिया।

यह घटना कोडरमा के मरकच्चो थाना क्षेत्र के भगवतीडीह गांव की है, जिसे सरकार ने खुले में शौच से मुक्त गांव घोषित कर दिया था। जानकारी के मुताबिक घर में शौचालय नहीं होने के कारण मधु कुमारी रविवार 7 जनवरी की सुबह तकरीबन आठ बजे खेत में शौच करने गई थी। गांव के आंगनबाड़ी केंद्र के समीप जब बच्ची खेत में शौच कर रही थी, तो आवारा कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया।

शौच कर रही बच्ची मधु कुमारी को कुत्तों ने नोच—नोचकर लहुलूहान कर दिया। वह घायल हालत में वहां पर पड़ी हुई थी। जब खेलते हुए कुछ बच्चों की नजर मधु पर पड़ी तो उन्होंने घर जाकर परिजनों को बताया। मगर जब तक मधु के पास घरवाले पहुंचते, तब तक मधु की जान चली गई थी।

जब यह घटना घटी तब मधु के गरीब पिता उमेश सिंह मजदूरी करने घर से बाहर गए हुए थे और मां चमेली देवी घर में मौजूद थी। चमेली देवी ने जब बेटी की हालत देखी तो वह अचेत हो गई। चमेली देवी घर में अपने तीन बच्चों के साथ रहती है।

इस घटना को लेकर ग्रामीण बहुत आक्रोशित हैं। गुस्से से भरे ग्रामीणों का कहना है कि जब हमारे गांव में गरीबों को शौचालय मुहैया ही नहीं कराया गया है तो किस मुंह से इसे खुले में शौच से मुक्त गांव घोषित किया गया है। शासक—प्रशासक मधु की मौत के लिए जिम्मेदार हैं। खुले में शौच से मुक्त जिले में आखिर शौचालय क्यों नहीं बन पाए हैं।

गौरतलब है कि जिस जगह पर मधु को कुत्तों ने नोच—नोचकर मौत के घाट उतार दिया, उसी के पास मरे हुए पशुओं को फेंका जाता है। इसलिए यहां आमतौर पर आवारा कुत्ते भारी संख्या में मौजूद रहते हैं।

आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है कि अगर मधु के घर में शौचालय बना होता, तो उसकी जान नहीं जाती। आखिर क्यों मधु जैसे परिवारों को खुले में शौच से मुक्त जिले में शौचालय क्यों नहीं मुहैया कराया गया है।

एक बात और कि गांव के मुखिया का घर पीड़ित परिवार के घर से सिर्फ सौ मीटर की दूरी पर है। हालांकि अब इस घटना के बाद नेता और नौकरशाह आंख बचाते नजर आ रहे हैं। नौकरशाहों और जनप्रतिनिधियों का एक—दूसरे पर आरोपों—प्रत्यारोपों का दौर जारी है।

खुले में शौच से मुक्त इस क्षेत्र की आबादी का एक बड़ा भाग आज भी खुले में शौच करने को अभिशप्त है। जिस गांव में बच्ची को कुत्तों ने नोच—नोचकर खा लिया, वहां भी दर्जनों ऐसे लोग हैं जिनके घर शौचालय नहीं हैं। दूसरी तरफ खानापूर्ति के नाम पर कई पंचायतों में शौचालय बनाए तो जा रहे हैं, मगर उनका निर्माण इतना घटिया होता है कि उन्हें टूटने में महीना भर भी नहीं लगता।

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