राफेल के गोपनीय दस्तावेज चोरी मामले में अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने की सुप्रीम कोर्ट से चिरौरी

Update: 2019-03-07 04:54 GMT

सुनवाई के दौरान मोदी सरकार ने कहा चोरी हो गए हैं राफेल के गोपनीय दस्तावेज, राफेल डील की CBI जांच हुई तो होगा देश को नुकसान...

वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट

जनज्वार। राफेल मामले पर चल रही सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय में बुधवार 6 मार्च को जमकर हंगामा हुआ और मोदी सरकार की भारी फजीहत हुई। उच्चतम न्यायालय के तल्ख सवालों पर अंतत: न्यायालय से अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल को चिरौरी करनी पड़ी कि मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट संयम बरते, क्योंकि विपक्ष कोर्ट के हर शब्द का इस्तेमाल सरकार को अस्थिर करने के लिए करता है। अटॉर्नी जनरल ने यह भी कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच से राफेल डील में डैमेज होगा, जो देशहित से सही नहीं होगा।

सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि राफेल विमान सौदे से संबंधित दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी किये गये हैं और याचिकाकर्ता इन दस्तावेजों के आधार पर विमानों की खरीद के खिलाफ याचिकायें रद्द करने के फैसले पर पुनर्विचार चाहते हैं। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने अपने दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण की याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।

पुनर्विचार याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि शीर्ष अदालत में जब राफेल सौदे के खिलाफ जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया तो केंद्र ने महत्वपूर्ण तथ्यों को उससे छुपाया था। कोर्ट ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई 14 मार्च तक के लिए टाल दिया है।

प्रशांत भूषण ने जब वरिष्ठ पत्रकार एन राम के एक लेख का हवाला दिया तो अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इसका विरोध किया और कहा कि यह लेख चोरी किये गये दस्तावेजों पर आधारित हैं और इस मामले की जांच जारी है। वेणुगोपाल ने कहा कि इस वरिष्ठ पत्रकार का पहला लेख छह फरवरी को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित हुआ और 6 मार्च के संस्करण में भी एक खबर है जिसका मकसद न्यायालय की कार्यवाही को प्रभावित करना है और यह न्यायालय की अवमानना के समान है।

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वेणुगोपाल ने पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज करने और ‘द हिंदू’ में प्रकाशित लेखों के आधार पर प्रशांत भूषण द्वारा बहस करने पर आपत्ति की तो पीठ ने केंद्र से जानना चाहा कि जब वह आरोप लगा रही है कि ये लेख चोरी की सामग्री पर आधारित हैं तो उसने इसमें क्या किया है? सिन्हा, शौरी और स्वयं अपनी ओर से बहस शुरू करते हुये भूषण ने कहा कि राफेल सौदे के महत्वपूर्ण तथ्यों को उस समय छुपाया गया जब इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने और इसकी जांच के लिये याचिका दायर की गयी थी।उन्होंने कहा कि अगर इन तथ्यों को न्यायालय से छुपाया नहीं गया होता तो निश्चित ही शीर्ष अदालत ने प्राथमिकी दर्ज करके जांच कराने के लिये दायर याचिका रद्द नहीं की होती।

वेणुगोपाल ने कहा कि भूषण जिन दस्तावेजों को अपना आधार बना रहे हैं, उन्हें रक्षा मंत्रालय से चोरी किया गया है और इस मामले में जांच जारी है। अटार्नी जनरल ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं ने जिन दस्तावेजों को अपना आधार बनाया है, उन पर गोपनीय और वर्गीकृत लिखा था और इसलिए यह सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन है।

इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि भूषण को सुनने का मतलब यह नहीं है कि शीर्ष अदालत राफेल सौदे के दस्तावेजों को रिकार्ड पर ले रही है। उन्होंने वेणुगोपाल से जानना चाहा कि इस सौदे से संबंधित दस्तावेज चोरी होने के बाद सरकार ने क्या कार्रवाई की। पीठ ने वेणुगोपाल से कहा कि वह भोजनावकाश के बाद इन दस्तावेजों के चोरी होने से संबंधित घटनाक्रम और केंद्र द्वारा की जा रही जांच के बारे में अवगत करायें।

पीठ ने यह भी कहा कि जनता के बीच यदि चोरी से हासिल राफेल की फाइलें यदि सार्वजनिक हो गयी हैं तो ये अछूत नहीं हैं, इसलिए सरकार का यह तर्क कानून की निगाह में अच्छा नहीं है। वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा कि जिन लोगों ने रक्षा दस्तावेजों को प्रकाशित किया, उन्हें कोर्ट को यह बताना चाहिए कि उन्हें ये दस्तावेज कहां से मिले थे।

जस्टिस केएम जोसफ ने कड़े शब्दों में अटॉर्नी जनरल से कहा, 'बोफोर्स में भी भ्रष्टाचार के आरोप थे। क्या अब भी आप कहेंगे कि कोर्ट को ऐसे दस्तावेजों पर विचार नहीं करना चाहिए?' उन्होंने कहा कि हम यहां कानून का पालन करने के लिए बैठे हैं। उन्होंने सवाल किया, 'हम किस अधिकार से कह सकते हैं कि कोई दस्तावेज गैरकानूनी तरीके से हासिल किया गया है और उन पर विचार नहीं किया जाना चाहिए?'

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सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इस मामले पर हम किसी नए दस्‍तावेज पर सुनवाई नहीं करेंगे। दरअसल सुनवाई शुरू होते ही वकील प्रशांत भूषण ने न्यायालय में नए दस्‍तावेज पेश किए, जिस पर न्यायालय ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया।

सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल द्वारा आफिशियल सीक्रेट एक्ट का हवाला देने पर पीठ ने सवाल किया कि यदि राफेल डील में कोई भ्रष्ठाचार किया गया है तो क्या आफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत सरकार अपना बचाव कर सकती है? हम नहीं कह रहे हैं कि भ्रष्ठाचार हुआ है, लेकिन यदि हुआ है तो सरकार अपना बचाव आफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत नहीं कर सकती।

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव का हवाला देते हुए अटॉर्नी जनरल ने भारतीय वायुसेना में राफेल जेट के महत्व पर जोर दिया। भारत-पाक के हालिया तनावपूर्ण संबंधों का जिक्र करते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हमें एफ-16 विमानों से रक्षा करने के लिए राफेल विमानों की जरूरत है। बिना राफेल के कैसे हमलों का जवाब देंगे। इस पर एक बार फिर जस्टिस जोसेफ ने तल्ख टिप्पणी की कि जब गम्भीर अपराध और भ्रष्ठाचार के आरोप हों तो क्या सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा की शरण लेगी?

जस्टिस जोसेफ ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के तहत यदि साक्ष्य चोरी से भी हासिल किये गये हैं तो यदि प्रासंगिक हैं तो ग्राह्य हैं। आप यह कहकर साक्ष्य को खारिज नहीं कर सकते कि इसे अवैध रूप से हासिल किया गया है। ऐसा कानून अमेरिका में है भारत में नहीं।

जब सरकार की ओर से यह तर्क दिया गया कि रक्षा सौदों की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती तो जस्टिस केएम जोसफ ने कड़े शब्दों में अटॉर्नी जनरल से कहा कि बोफोर्स में भी भ्रष्टाचार के आरोप थे। क्या अब भी आप कहेंगे कि कोर्ट को ऐसे दस्तावेजों पर विचार नहीं करना चाहिए? उन्होंने कहा कि हम यहां कानून का पालन करने के लिए बैठे हैं।

उन्होंने सवाल किया, 'हम किस अधिकार से कह सकते हैं कि कोई दस्तावेज गैरकानूनी तरीके से हासिल किया गया है और उन पर विचार नहीं किया जाना चाहिए?' इस पर अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कोर्ट से संयम बरतने की अपील की और कहा कि विपक्ष कोर्ट के हर शब्द का इस्तेमाल सरकार को अस्थिर करने के लिए करता है। कोर्ट इस मामले में पक्षकार क्यों बन रहा है।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर में हुई सुनवाई के बाद राफेल सौदे पर मोदी सरकार को क्लीनचिट दे दी थी। कोर्ट ने भारत और फ्रांस के बीच 23 सितंबर 2016 को हुए राफेल विमान सौदे के खिलाफ दायर जांच संबंधी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

आप सांसद की याचिका खारिज

उच्चतम न्यायालय ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की तरफ से दाखिल समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है। अब सिर्फ एक समीक्षा याचिका बची है जो यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने दायर की है।

भोजनावकाश के बाद दोपहर 2 बजे जब सुनवाई फिर शुरू हुई तो सुप्रीम कोर्ट आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की तरफ से दाखिल समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि वह रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई पूरी होने के बाद अपमानजनक बयानों के लिए संजय सिंह के खिलाफ कार्रवाई करेगा, लेकिन उससे पहले सिंह को अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा।

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