क्या CAA विरोधियों की जासूसी कराना चाहती है सरकार, टेलीकॉम ऑपरेटरों से मांगे कॉल डेटा रिकॉर्ड

Update: 2020-03-18 13:36 GMT

जनज्वार ब्यूरो। पिछले कुछ महीनों से केंद्र सरकार द्वारा मोबाइल फोन उपभोक्ताओं की निजता की सुरक्षा सम्बन्धी सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों की लगातार अनदेखी की जा रही है और उन पर निगरानी बनाई जा रही है। ऐसा सरकार द्वारा देश के अनेक हिस्सों से सभी मोबाइल उपभोक्ताओं के कॉल डेटा रिकॉर्ड्स मंगवाकर किया जा रहा है।

'द इंडियन एक्प्रेस' में प्रकाशित खबर के अनुसार ये अजीबोगरीब सरकारी अनुरोध सभी टेल्कम ऑपरेटर्स के पास डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलिकम्युनिकेशन की स्थानीय इकाइयों के माध्यम से आ रही है। अब तक दिल्ली, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, केरल, उड़ीशा,मध्य प्रदेश और पंजाब सर्किल्स से उपभोक्ताओं के कॉल रिकॉर्ड्स मांगे गए हैं।

क टेलीकॉम ऑपरेटर के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'ऐसा कई महीनों से हो रहा है लेकिन थोक स्तर के इन अनुरोधों पर हमारी नज़र जनवरी-फरवरी के महीनों में ही पडी।'

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12 फरवरी को सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (सीओएआई) ने अनुरोधों पर अपनी नाराज़गी दिखाते हुए डिपार्टमेंट ऑफ़ टेली कम्युनिकेशंस के सचिव अंशु प्रकाश को शिकायती पत्र भी लिखा। इस पत्र में एसोसिएशन ने यह भी कहा कि ख़ास रूट्स और क्षेत्रों के उपभोक्ताओं की कॉल डिटेल्स मांगने से सरकार द्वारा निगरानी रखने का खतरा पैदा हो सकता है। ये खतरा दिल्ली जैसे राज्य में ज़्यादा हो सकता है क्योंकि यहां अति अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्तियों वाले अनेक क्षेत्र हैं जिनमें मंत्रियों, सांसदों और जजों के घर और कार्यालय स्थित हैं।

सीओएआई ने प्रकाश को अपने नोट में कहा, 'विशेष मार्गों/क्षेत्रों के लिए मांगी गई कॉल डेटा रिकॉर्ड्स निगरानी के आरोपों को जन्म दे सकती है, विशेष रूप से दिल्ली जैसे राज्य में कई वीवीआईपी जोन वाले कार्यालय और मंत्रियों, सांसदों, न्यायाधीशों आदि के निवास हैं।'

'द इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक दिल्ली सर्कल में लगभग 53 मिलियन उपभोक्ता हैं। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस के द्वारा इस वर्ष 2, 3 और 4 फरवरी के कॉल डेटा रिकॉर्ड्स मांगे हैं। संयोग से उसी समय नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, दिल्ली चुनाव के लिए प्रचार 6 फरवरी को समाप्त हुआ था और दो दिन बाद मतदान हुआ था।

इंडियन एक्सप्रेस ने अंशु प्रकाश को ईमेल और एसएमएस भी भेजे लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला।

सीओएआई ने अपनी शिकायत में कहा है कि अपने अनुरोधों में डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस य़ूनिट ने इन कॉल डेटा रिकॉर्ड्स की आवश्यकता के लिए न तो इच्छित उद्देश्य का उल्लेख किया है और न ही ग्राहकों की पहचान जो कि गोपनीयता मानदंडों का उल्लंघन है।

ता दें कि साल 2013 में राज्यसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली सहित कई राजनेताओं के सीडीआर के अनधिकृत उपयोग को लेकर हंगामा हुआ था। इसके बाद कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने कॉल रिकॉर्ड प्राप्त करने के लिए नियम खासे कड़े कर दिए थे। उसी साल जारी नई गाइडलाइन में गृह सचिव से मंजूरी के बाद एसपी रैंक और अन्य बड़े स्तर के अधिकारियों को टेलीकॉम ऑपरेटरों से कॉल डेटा रिकॉर्ड्स मांगने का अधिकार दिया गया था। इसके अलावा एसपी को हर महीने प्राप्त होने वाले कॉल डेटा रिकॉर्ड्स के बारे में जिलाधिकारी को एक अनिवार्य रिपोर्ट देनी होती थी।

हालांकि वर्तमान अनुरोध इनमें से किसी भी दिशा-निर्देश के अनुरूप नहीं है। संपर्क करने पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के एक पूर्व अध्यक्ष ने बताया, यह बहुत असामान्य बात है। एक बार जब उनके पास एक डेटाबेस होता है, तो वे यह पता लगाने के लिए विशिष्ट नंबरों को संदेह के घेरे में ले सकते हैं कि यूजर ने किससे बात की। एक वजह होने चाहिए (सीडीआर जानकारी मांगने के लिए), जिसके बिना यह एक मनमानी कार्रवाई और निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

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टेलीकॉम कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'वो महज एक व्यक्ति का डेटा नहीं मांग रहे। वो कह रहे हैं कि उस दिन क्षेत्र में हर किसी का डेटा दिया जाए। यह मानक संचालन प्रक्रिया का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। किसी का डेटा टैप करने के लिए संभावित कारण की आवश्यकता होती है। पूछने पर कि क्या ऑपरेटर सरकार के अनुरोधों का अनुपालन कर रहे थे, उन्होंने ने कहा, 'हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।'

हीं नोट में सीओएआई ने प्रकाश से कहा कि दूरसंचार विभाग की स्थानीय इकाइयों से मासिक आधार पर विशिष्ट तारीखों के सीडीआर के लिए कहा है। जैसे आंध्र प्रदेश (महीना का पहला और पांचवां दिन), दिल्ली (18वां दिन), हरियाणा, (21वां दिन), हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर (पिछले महीने का आखिरी दिन), केरल और ओडिशा (15वां दिन), मध्य प्रदेश और पंजाब (पिछले महीने का आखिरी दिन और मौजूदा महीने का पहला दिन)। इसके अलावा, डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस की स्थानीय इकाइयों ने भी 2, 3 और 4 फरवरी को दिल्ली सर्कल का सीडीआर विवरण मांगा है।

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