मोदी के 'महान' बनने में हत्याओं का योगदान और ईवीएम हैकिंग

Update: 2019-01-23 04:35 GMT

गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र में प्रधानमंत्री बनने तक नरेंद्र मोदी के राजनीतिक कैरियर में हत्याओं का अभूतपूर्व योगदान रहा है। हारेन पांड्या से लेकर गोपीनाथ मुंडे तक भाजपा नेताओं की हत्या हो या फिर जज लोया और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या.....

सुशील मानव की रिपोर्ट

जनज्वार। क्या ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के जरिये दलित वोटों को उनके उत्पीड़क ब्राह्मणवादियों के पक्ष में इस्तेमाल करके ब्राह्मणवाद को कायम रखा जा सकता है? क्या ईवीएम के इस्तेमाल से पिछड़ों व अल्पसंख्यकों का वोट फासीवाद को और मजबूत बनाने में किया सकता है? तो क्या जो काम पहले कुछ दबंग नेता लठैतो के दम पर बूथ कैप्चरिंग करके करते थे वो काम अब पैसों के बल पर ईवीएम से करवाया जा सकता है?

जाहिर है कि यूपी विधानसभा 2017 के अप्रत्याशित चुनाव नतीजों के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने बहुत ही मुखर तरीके से ईवीएम पर सवाल उठाये थे। तब से अब तक लगातार ईवीएम की विश्वसनीयता संदिग्ध होती गई है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस पर सवाल उठा चुके हैं।

लंदन में एक प्रेस कान्फ्रेंस में भारतीय मूल के अमेरिकी साइबर विशेषज्ञ सैय्यद शुज़ा ने आरोप लगाया कि 2014 के लोकसभा चुनाव, और 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा और आप के लिए ईवीएम हैक की गई थी। हैकर के अलावा भारत में इस्तेमाल की जाने वाली ईवीएम को डिजाइन करने वाले एक्सपर्ट ने यह भी दावा किया है कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी धांधली हुई थी।

सैयद शुज़ा के दावे और दुर्घटनाओं का घटना

सैयद सूजा का दावा है कि भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे को इस बाबत सब मालूम था इसीलिए उनकी हत्या करवा दी गई। गौरतलब है कि केंद्र में मोदी सरकार बनने के महज कुछ दिन के भीतर ही 3 जून 2014 को दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना में गोपीनाथ मुंडे की मौत हो गई थी।

सैयद शुजा का दूसरा दावा है कि पत्रकार गौरी लंकेश मोदी सरकार द्वारा कराये गए ईवीएम हैंकिंग का खुलासा करने वाली थी, इसीलिए उनकी हत्या करवा दी गई।

सैयद शुजा का तीसरा दावा है कि उसकी टीम पर जानलेवा हमला हुआ था। उस हमले में उसकी पूरी टीम मारी गई थी, जिसमें किसी तरह वो अपनी जान बचाकर भागने में कामयाब हो सका था। उस हत्या को बाद में हैदराबाद के किशनगढ़ के दंगे में भड़काकर मारे गए लोगों की मौत को दंगे में हुई मौत के तौर दिखा दिया गया था। इस तारीख पर दंगों की रिपर्टिंग टाइम्स ऑफ इंडिया और द पायनियर ने की थी।

दोनों अखबारों ने अपनी रिपोर्टों में बताया था कि किशनगढ़ में सिख और मुस्लिम संप्रदाय के बीच दंगे हुए थे इसमें 11 लोगों को गोली लगी थी, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वाले तीनों मुस्लिम समुदाय के थे। एक्सपर्ट सैयद शुजा का दावा है कि कोई व्यक्ति ईवीएम के डेटा को मैन्युपुलेट करने के लिए लगातार पिंग कर रहा था। 2014 में बीजेपी के कई नेताओं को इस बारे में जानकारी थी। जब उन्होंने एक अन्य बीजेपी नेता तक यह बात पहुंचाई तो उनके साथ काम करने वाले व्यक्ति की हत्या करवा दी गई।

ईवीएम हैंकिंग में रिलायंस की भूमिका

एक्सपर्ट सैयद शुजा का दावा है कि ईवीएम हैक करने में रिलायंस कम्युनिकेशन बीजेपी की मदद करता आया है। तो क्या मोदी सरकार द्वारा राफेल की खरीददारी से लेकर नमामि गंगे परियोजना और किसान फसल बीमा योजना समेत तमाम सरकारी योजनाओं में रिलायंस को वरीयता देने के पीछे ईवीएम हैकिंग में रिलायंस का भाजपा को सहयोग देना एक बड़ा कारण है।

साइबर एक्सपर्ट सैयद शुजा के अन्य दावे

इस मशीन को ब्लूटूथ की मदद से हैक नहीं किया जा सकता है। ग्रेफाइट आधारित ट्रांसमीटर की मदद से ही ईवीएम को खोला जा सकता है। इन ट्रांसमीटरों का इस्तेमाल 2014 के चुनाव में भी किया गया था।

एक्सपर्ट सैयद शुज़ा का कहना है कि उन्होंने दिल्ली के चुनाव में इस ट्रांसमिशन को रुकवा दिया था, इसलिए बीजेपी यह चुनाव हार गई थी। दिल्ली के चुनाव में बीजेपी की आईटी सेल द्वारा किया गया ट्रांसमिशन पकड़ में आ गया था। एक्सपर्ट ने कहा, 'हमने ट्रांसमिशन को आम आदमी पार्टी के पक्ष में कर दिया था। वास्तविक नतीजे 2009 के जैसे ही थे।'

सैयद शुज़ा का दावा है कि उन्होंने (बीजेपी) ने कम फ्रिक्वेंसी वाले ट्रांसमिशन को भी इंटरसेप्ट करने की कोशिश की थी। बीजेपी को जब ईवीएम को लेकर चुनौती दी गई तो उन्होंने ऐसी मशीन का इस्तेमाल किया, जिसे हम भी हैक नहीं कर सकते हैं।

मोदी के राजनीतिक उठान में हत्याओं का योगदान

गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र में प्रधानमंत्री बनने तक नरेंद्र मोदी के राजनीतिक कैरियर में हत्याओं का अभूतपूर्व योगदान रहा है। हारेन पांड्या से लेकर गोपीनाथ मुंडे तक भाजपा नेताओं की हत्या हो या फिर जज लोया और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या। हर हत्या ने किसी न किसी तरह से मोदी सरकार को आगे बढ़ने में योगदान दिया है।

चुनाव आयोग की सफाई

चुनाव आयोग ने ईवीएम हैंकिंग का आरोप लगाने वाले सैयद शुज़ा के खिलाफ़ दिल्ली पुलिस में एफआईआर दर्ज करायी है। ईवीएम हैंकिंग के आरोप के मामले पर चुनाव आयोग का कहना है, 'हमारे ध्यान में आया है कि लंदन में एक इवेंट में दावा किया जा रहा है कि चुनाव आयोग द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों में छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। चुनाव आयोग इस मामले में कोई पार्टी नहीं बनना चाहती है। यह प्रायोजित चुनौती है और ईसीआई अपने दावे पर कायम है कि भारत में इस्तेमाल की जाने वाली ईवीएम को हैक नहीं किया जा सकता है।'

ईसीआई ने अपने बयान में कहा है, 'भारत में इस्तेमाल की जाने वाली ईवीएम भारत इलेक्ट्रॉनिक ऐंड कॉर्पोरेशनल ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा बेहद कड़े सुपरविजन में बनाई जाती हैं। 2010 में गठित तकनीकी विशेषज्ञों की एक कमेटी की देखरेख में यह पूरा काम होता है। हम इस बात पर भी अलग से विचार करेंगे कि क्या इस मामले पर कोई कानूनी मदद ली जा सकती है?'

अमेरिका और यूरोप के कई उन्नत तकनीकि वाले देशों में बैन है ईवीएम

अमेरिका और यूरोप के कई उन्नत तकनीकि सक्षम देशों में बैन है ईवीएम। जर्मनी में जर्मन सुप्रीमकोर्ट ने मतादाताओं की समझ को आधारा बनाकर ईवीएम से चुनाव पर बैन लगा दिया था। जर्मन कोर्ट का स्पष्ट कहना था कि ज्ञान के आधार पर मतदाताओं के बीच भेद नहीं होना चाहिए और चुनाव प्रक्रिया सबके समझ में आनी चाहिए। 2009 में जर्मनी की सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम को असंवैधानिक बताते हुए चुनावी पारदर्शिता को मतदाताओं का संवैधानिक अधिकार बताते हुए ईवीएम पर बैन लगा दिया।

वहीं नतीजों के बदले जाने की आशंका के मद्देनज़र नीदरलैंड ने 2017, आस्ट्रिया ने 2012 में और इटली ने ईवीएम पर बैन लगा दिया। जबकि इंग्लैंड और फ्रांस जैसे देशों ने अपने यहाँ ईवीएम के इस्तेमाल की कभी मंजूरी ही नहीं दी। अमेरिका में भी बिना पेपर ट्रोल वाली ईवीएम पर बैन है। दुनिया में 200 से भी ज्यादा देश हैं लेकिन महज दो दर्जन देशों में ईवीएम का इस्तेमाल किया जाता है।

अमेरिका से ही क्यों उठती है भारत के ईवीएम को हैक करने की बात

यहाँ एक सवाल ये भी ज़रूरी हो जाता है कि भारत के ईवीएम पर हैकिंग का सवाल अमेरिकी धरती से ही क्यों उठते हैं। गौरतलब है कि मई 2010 में भी अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि उनके पास भारत की ईवीएम को हैक करने की तकनीकि है।

ईवीएम डेमो में कोई भी बटन दबाने पर भाजपा को वोट मिलने का मामला

जबकि अप्रैल 2017 में मध्यप्रदेश के भिंड जिले के अटेर में ईवीएम मशीन के डेमो के दौरान किसी भी बटन का दबाने पर वीवीपैट पर भाजपा का निकलने के बाद जिले के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को हटाकर मामले को दबा दिया गया था और प्रतिक्रिया में चुनाव अधिकारी सेलिना सिंह ने कहा था कि मशीनें ठीक से कैलीब्रेट नहीं हुई थी इसलिए ये मामला सामने आया। बता दें कि उस वक्त मध्यप्रदेश के दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव था। इसके पहले आडवाणी और सुब्रमण्यम स्वामी समेत कई भाजपा नेता ने किताब लिखकर ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाये थे।

हमसे हमारा सबकुछ छीन लेंगी ये मशीनें

गाँधी जी ने एक शताब्दी पहले मशीनों को मानवता का शत्रु बताते हुए उनसे यथासंभव बचने की वकालत की थी। मशीनों ने मानवता का बहुत नुकसान पहुँचाया है। इन्होंने मानव श्रम, लोक-संगीत, लोक-स्मृतियों और लोक-अस्मिता पर गहरी चोट की है। इसी कड़ी में ईवीएम ने लोक के जनतांत्रिक विश्वासों को क्षति पहुँचाई है।

इलेक्टॉनिक वोटिंग मशीनों के जरिए लोकतंत्र को धन्नासेठों के यहाँ गिरवी धर दिया गया है। ईवीएम के रहते क्या आप उम्मीद कर सकते हैं कि कोई गरीब आदमी इस लोकतंत्र में चुनाव जीत सकता है। ईवीएम के रहते क्या आप उम्मीद कर सकते हैं कि कोई दलित या दलितों की पार्टी चुनाव जीत सकती है। ईवीएम के रहते क्या आप उम्मीद कर सकते हैं लोकतंत्र जैसी भी कोई चीज है। ईवीएम दरअसल आपके दिमाग में लोकतंत्र का भ्रम बनाए रखने के लिए है।

चुनावी नतीजा तो सारा अब कार्पोरेट के हाथों में है, वो ईवीएम के जरिए अपना हित साधने वालों के पक्ष में अप्रत्याशित नतीजों को देने में सक्षम है। ईवीएम के जरिए अब जनाक्रोश और एंटी इनकम्बैंसी जैसे फैक्टर को निष्प्रभावी करके लोकतंत्र का गला घोटा जा सकता है।

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