मोजर बेयर ने धोखाधड़ी से मारी 2200 मजदूरों के पेट पर लात

Update: 2017-12-16 09:47 GMT

कंपनी में तालाबंदी, मज़दूर संघर्षरत, प्रबंधन ने सौंप दिया है कंपनी को एनसीएलटी को, अब कर रहा कंपनी को दिवालिया घोषित करने की कोशिश...

ग्रेटर नोएडा, जनज्वार। ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर स्थित मोजर बेयर फैक्ट्री में गैरकानूनी तालाबंदी से 22 सौ मजदूर एक झटके में सड़क पर आ गये। इससे मजदूरों में अचानक अफरा तफरी मच गई और वे संघर्ष की राह पर हैं।

दरअसल पिछले 1 नवंबर को कंपनी प्रबंधन ने उच्चतम न्यायालय का एक कथित आदेश दिखलाकर मजदूरों से कहा कि कुछ मशीनों को बदलने की लिए 2 दिनों के लिए फैक्ट्री बंद रहेगी। लेकिन जब मजदूर 4 नवंबर को कंपनी गेट पहुंचे तब कंपनी में ताला लटका हुआ था। इससे आक्रोशित मजदूर कंपनी गेट पर धरने पर बैठ गये।

श्रम भवन और अन्य आलाधिकारियों के पास चक्कर लगाने पर ज्ञात हुआ कि प्रबंधन ने उनके साथ धोखाधड़ी कर दी है। तमाम कोशिशों के बाद 6 नवंबर को उप-श्रमायुक्त ने कंपनी को अवैध तालाबंदी का नोटिस भजा। इस बीच ज्ञात हुआ कि प्रबंधन ने मिलीभगत से कंपनी को एनसीएलटी को सौंप दिया है और दिवालिया घोषित करने की कोशिश में है।

मजदूरों ने बताया कि कंपनी में पिछले 3 माह से उनका वेतन बकाया है। 26 अक्टूबर के समझौते का प्रबंधन पालन नहीं कर रहा है। पिछले डेढ़ साल से प्रबंधन मजदूरों के वेतन देने में लगातार विलंब करता रहा है। इस वर्ष जनवरी माह के बाद से ही उसने परिवहन व अन्य सुविधाएं बंद कर दी।

26 अक्टूबर को मेडिकल सुविधा देने की बात की, लेकिन मजदूरों को यह सुविधा भी नहीं मिल रही है। इसके अभाव में और नौकरी जाने की टेंशन में एक श्रमिक की पिछले दिनों मौत हो गई। 2 श्रमिक अस्पताल में हैं। प्रबंधन उनके लिए भी कुछ करने को तैयार नहीं है।

मजदूरों के बीच अनुभव की कमी और सही नेतृत्व के सहयोग के अभाव में आंदोलन सुसंगत रूप नहीं ले पा रहा है। इसके बावजूद मजदूर लड़ रहे हैं। 8 दिसंबर से 5 मजदूरों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया था। 11 दिसंबर को दिल्ली ओखला में स्थित कंपनी हेड क्वार्टर पर मजदूरों ने धरना दिया, लेकिन पुलिस ने वहां से उन्हें हटा दिया। इसके बावजूद 4 घंटे का धरना चला।

इस बीच 12 दिसंबर को ही अनशनरत मजदूरों का अनशन एडीएम महोदय ने आश्वासन के बाद खत्म करवा दिया। मजदूरों को यह आश्वासन दिया गया है की 18 दिसंबर को NCLT के आईआरबी द्वारा कंपनी गेट पर ही अन्य आलाधिकारियों और प्रबंधन को साथ लेकर वार्ता की जाएगी, जिसमें कंपनी को पुनः खोलने या छटनी पर स्थिति साफ होगी।

मजदूरों ने बताया कि कंपनी में बाउंसर हैं, जिन्हें प्रबंधन ने श्रमिकों को धमकाने और मारपीट करने के लिए पाल रखा है। उन्होंने कहा कि प्रबंधन झूठे तौर पर मज़दूर हड़ताल का बहाना बना रहा है और इस बहाने अपनी तालाबंदी को जायज ठहरा कर मजदूरों की छंटनी करना चाहता है।

जिंदगी का एक लंबा हिस्सा इस कंपनी में गुजारने के बाद अब 2200 कंपनी कर्मचारी कहां जाएंगे, यह प्रश्न अधर में लटका हुआ है।

बहरहाल आश्वासनों के बीच मजदूरों का संघर्ष जारी है।

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