एसएसपी साहेब! आप जनता के सेवक हैं, मालिक नहीं, लोकतंत्र में लोगों को धमकाकर उनकी जुबान को कैद करने का सपना मत पालिये !

Ramnagar Encroachment : एसएसपी साहेब, इस राज्य में भी और देश में भी और अभी लोकतंत्र भी है, पुलिस राज कायम नहीं हुआ। जिस दिन तानाशाही या पुलिस राज कायम हो जाएगा, उस दिन आपको ऐसे धमकी भरे अंदाज में बोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी, यह स्वतः ज्ञात होगा कि जो कुछ पुलिस कर दे, वही अंतिम सत्य है! लेकिन अभी तो ऐसा नहीं हुआ है....

Update: 2025-12-08 12:03 GMT

पूछड़ी में ग्रामीणों के साथ हुई प्रशासनिक बर्बरता पर भाकपा (माले) उत्तराखंड के राज्य सचिव इन्द्रेश मैखुरी की टिप्पणी

Ramnagar Encroachment : उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर स्थित पूछड़ी में वनभूमि पर बरसों से बसे हुए लोगों के 51 घरों का 07 दिसंबर 2025 को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया। इस मामले में विरोध प्रदर्शन कर रहे लगभग 19 सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं को पुलिस ने सुबह हिरासत में ले लिया और रात को उन्हें रिहा किया गया।

इस मामले के बहुत सारे पहलू हैं, जिन पर अन्यत्र विस्तार से चर्चा होगी, लेकिन अभी जिस बात पर इस लेख में चर्चा करनी है, वो है पूछड़ी प्रकरण में नैनीताल जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. मंजूनाथ टीसी का बयान। पूछड़ी में हुई बुलडोजर कार्यवाही के संदर्भ में उनका एक वीडियो बयान देखा।

उक्त वीडियो बयान में एसएसपी साहेब फरमाते हैं कि यह “माननीय” मुख्यमंत्री का विजन है कि सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाएंगे और डेमोग्राफी चेंज जो हुआ है, उस संदर्भ में प्रभावी कार्यवाही करेंगे!

आपको यह किसने बताया एसएसपी साहेब या आपने ये कैसे तय किया कि वहां डेमोग्राफी चेंज हो गया है, क्या कोई आंकड़ा, कोई तथ्य है इस बात का?

स्मार्ट-हैंडसम कहे जाने वाले मुख्यमंत्री तो जब डेमोग्राफी बदलने की बात करते हैं तो वे इस शब्द को सांप्रदायिक अर्थ में प्रयोग करते हैं! मुमकिन है कि उनका अंग्रेजी में हाथ तंग हो, लेकिन क्या आप भी डेमोग्राफी बदलने का केवल सांप्रदायिक अर्थ ही समझ पाते हैं, मंजूनाथ साहेब? अगर ऐसा है तो यह न कानून सम्मत समझ है और न संवैधानिक!

डेमोग्राफी यानी जनसांख्यिकी तो कोई सांप्रदायिक शब्द नहीं है, न ही उसका अर्थ सिर्फ एक ख़ास धर्म की जनसंख्या बढ़ना है, उसका अर्थ एक ख़ास आयु वर्ग की जनसंख्या बढ़ना भी हो सकता है और किसी की बात न मानते हों, सरकारी भाषा ही समझते हों तो एक समय देश में युवाओं की बढ़ी हुई संख्या को प्रधानमंत्री ही डेमोग्रफिक डिविडेंड कहा करते थे! राजनीतिक लोगों का सांप्रदायिक एजेंडा होना भी विडंबना है, पर प्रशासनिक या पुलिस सेवा के अफसरों को इस सांप्रदायिक एजेंडे का वाहक क्यों बनाना चाहिए?

दूसरी बात जो एसएसपी साहेब ने अपने वीडियो बयान में कही कि पुलिस सोशल मीडिया की सख्त मॉनिटरिंग कर रही है, प्रशासन या पुलिस के काम पर अनर्गल टिप्पणी या फील्ड पर मोबलाइज करना या एकत्रित होना या इस प्रकार की प्रतिक्रिया देना, बिल्कुल नाज़ायज है और उसको अटैक ऑन द गवर्नमेंट (सरकार पर हमला) माना जाएगा और उस पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जायेगी।

क्यों भाई मंजूनाथ साहेब, पुलिस ही नहीं अदालत भी हो गए हैं आप कि खुद ही फैसला कर लेंगे कि आपकी कार्यवाही वैध और उसका विरोध सीधे सरकार पर हमला! गज़ब है! अभी तो कानून, संविधान, न्यायालय सब कुछ मौजूद है, मंजूनाथ जी, इस राज्य में भी और देश में भी और अभी लोकतंत्र भी है, पुलिस राज कायम नहीं हुआ। जिस दिन तानाशाही या पुलिस राज कायम हो जाएगा, उस दिन आपको ऐसे धमकी भरे अंदाज में बोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी, यह स्वतः ज्ञात होगा कि जो कुछ पुलिस कर दे, वही अंतिम सत्य है! लेकिन अभी तो ऐसा नहीं हुआ है, इसलिए लोग पुलिसिया कार्यवाही के खिलाफ लिखेंगे भी, बोलेंगे भी और सड़क पर उतरेंगे भी! आपकी निगाह में यह ब्लासफेमी यानी ईश निंदा जैसा कुछ है तो अपनी निगाह को थोड़ा लोकतांत्रिक बनाइये! आप किसी मुख्यमंत्री के लठैत नहीं हैं! अभी जो व्यवस्था है, उसका नाम लोकतंत्र है, उसमें आप जनता के सेवक हैं, मालिक नहीं हैं कि धमका कर लोगों को और उनकी जुबान को भी कैद कर लेंगे!

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