कमलनाथ कैबिनेट के मंत्री पीसी शर्मा ने दी जानकारी, कांग्रेस सरकार ने किसानों पर दर्ज हजारों मामले लिए वापस

Update: 2019-11-27 05:01 GMT

पीसी शर्मा बोले, शिवराज शासन में कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं पर राजनीतिक दुर्भावना के चलते लगाए गए झूठे मुकदमों को भी हटाने की चला रहे हैं हम प्रक्रिया...

जनज्वार। जहां आये दिन किसानों को लेकर बुरी खबरें आती रहती हैं, वहीं एक अच्छी खबर यह आ रही है कि मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने मध्य प्रदेश में पूर्व भाजपा सरकार द्वारा किसानों पर दर्ज किये गये हजारों मामले वापस ले लिये हैं।

स बात की जानकारी कमलनाथ कैबिनेट के विधि एवं विधायी कार्य मंत्री पीसी शर्मा ने दी है। अपने विभाग के एक साल की उपलब्धियों को 25 नवंबर को बताते हुए पीसी शर्मा ने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपानीत शिवराज चौहान सरकार ने राज्यभर में किसानों पर 45,000 से अधिक मामले दर्ज कराये थे और इनमें से हजारों की तादाद में किसानों पर दर्ज मुकदमे हमारी सरकार ने वापस ले लिये हैं।

हालांकि पीसी शर्मा यह नहीं बता पाये कि किसानों पर दर्ज कुल कितने मामलों को वापस लिया गया है, मगर यह जानकारी साझा की कि मंदसौर, देवास, भोपाल एवं अन्य जगहों पर दर्ज हुए मामले वापस लिये गये हैं। पीसी शर्मा ने कहा पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान सरकार ने किसान विरोधी नीतियों का विरोध करने पर किसानों को प्रताड़ित करने के लिए जेलों में भी बंद कर दिया था।

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गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान सरकार में साल 2017 में 1 जून से 10 जून तक किसानों ने अपनी उपजों के उचित दामों, कर्ज माफी समेत अन्य मांगों को लेकर बड़ा आंदोलनकिया ​था। इसी आंदोलन के दौरान मंदसौर के पिपलिया मंडी में 6 जून 2017 को पुलिस गोलीबारी में छह किसानों की मौत हो गयी थी, जिसके बाद मध्य प्रदेश में व्यापक स्तर पर हिंसा, आगजनी, लूटपाट एवं तोड़-फोड़ की घटनायें हुयी थीं। बकौल पीसी शर्मा इसमें भी किसानों पर सरकार ने हिंसा के लिए जिम्मेदार होने के मामले दर्ज किये थे।

पीसी शर्मा कहते हैं, शिवराज सरकार में बिजली चोरी और बिजली बिलों का भुगतान न करने और अन्य कई मामले किसानों पर दर्ज हैं। इसके अलावा 2003 से वर्ष 2018 तक के शिवराज शासन में कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं पर राजनीतिक दुर्भावना के चलते लगाए गए झूठे मुकदमों को भी हम हटाने की प्रक्रिया चला रहे हैं।

गौरतलब है कि 2017 के मंदसौर किसान आंदोलन के प्रदर्शन का असर इतना व्यापक और गहरा था कि राष्ट्रीय स्तर पर किसानों के इस आंदोलन की चर्चा रही। राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री उर्फ मामा शिवराज सिंह चौहान को कुछ बोलते नहीं बना तो वह मौन व्रत पर चले गए और भाजपा बताती रही कि यह प्रदर्शन किसानों का नहीं कांग्रेस का था, प्रदर्शनकारी किसान नहीं कांग्रेस के कार्यकर्ता थे।

ध्य प्रदेश भाजपा सरकार और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की किसान विरोधी रवैयों के कारण बहुत फजीहत हुई तो आनन-फानन में भाजपा सरकार ने न्यायधीश जेके जैन जांच समिति बना दी। उस जेके जैन कमीशन की रिपोर्ट आ गयी है, जो भाजपा नेताओं के स्टैंड से कुछ अलग नहीं थी, क्योंकि जो बात कमीशन ने इतने लंबे समय बाद कहा, वह बात राज्य के मामा और भाजपाई किसानों को गोली दागे जाने के दिन से कह रहे थे।

मंदसौर किसान हत्याकांड पर न्यायाधीश जेके जैन की रिपोर्ट में जो कहा गया कि 6 जून 2017 को सीआरपीएफ और पुलिस की गोली से जो 6 किसान मारे गए, उसमें पुलिस और सीआरपीएफ के जवान दोषी नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने गोली आत्मरक्षा में चलाई।

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