सोनीपत में प्राइवेट स्कूलों ने फीस कम की लेकिन वसूली का नया रास्ता खोल लिया
इस साल सोनीपत में तकरीबन 4000 बच्चों ने क्वालीफाइंग टेस्ट पास किया, लेकिन मुश्किल से 1000 बच्चों को स्कूल अलॉट हो पाए। यह दिखाता है सरकार की नीयत इस कानून को लागू करने की नहीं है और किसी भी स्कूल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई....
सोनीपत। आज 25 जुलाई को नागरिक अधिकार मंच सोनीपत की प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई और इसमें 9 अगस्त को छोटूराम धर्मशाला में आयोजित की जाने वाली जन पंचायत जन अदालत के बारे में पत्रकारों को बताया गया। नागरिक अधिकार मंच द्वारा जो 16 जुलाई को अभिभावकों के समर्थन में प्रदर्शन किया गया था, उसके बाद से लेकर आज तक प्रशासन की तरफ से दोषी पुलिसकर्मियों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की।
उन सभी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ जिन्होंने अभिभावकों के पैर तोड़े और यहां तक कि नाबालिग बच्चों और महिलाओं को भी नहीं बख्शा, कोई कार्यवाही नहीं की गई। नागरिक अधिकार मंच सोनीपत इसकी कड़े शब्दों में भर्त्सना करता है और प्रशासन से आग्रह करता है कि जो जन अदालत रखी जा रही है 9 अगस्त को छोटू राम धर्मशाला में उससे पहले जो सभी दोषी पुलिसकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी हैं, उन पर कार्यवाही की जाए।
उनके खिलाफ आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए और जिन मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे उनको लागू किया जाये। बढ़ी हुई फीसों पर तुरंत रोक लगाई जाए। शिक्षा अधिनियम की धारा 158 को अक्षर से लागू करवाया जाए। इस कानून के हिसाब से हर साल जो फीस बढ़ोतरी है, उस कानून के हिसाब से उससे ज्यादा कोई भी लूट
खसोट ना की जाए।
प्राइवेट संस्थाएं, प्राइवेट स्कूल दाखिला फीस के नाम पर जो पहले लूट थी, जो की बंद हो गई है, उसे इन्होंने सालाना फीस में जोड़कर और महीनावार फीस तकरीबन दुगुनी कर दी है, इस प्रकार इनकी लूट को चालू रखा। इस प्रकार की शातिराना हरकतें जो प्राइवेट स्कूल कर रहे हैं, उस पर रोक लगाई जाए।
लगातार पिछले 5 सालों से अलग अलग संगठनों कमिश्नर रेंज रोहतक को भी सैकड़ों शिकायतें दी हैं, उन्होंने भी किसी भी स्कूल के खिलाफ कार्रवाई तो दूर उनकी इस लूट पर रोक तक नहीं लगाई।
बच्चों को शिक्षा सुलभ, समान और निशुल्क दी जाए, क्योंकि सरकार अपना पल्ला झाड़ रही है। संविधान की धारा 21A में स्पष्ट तौर में लिखा गया है कि 6 से 14 साल तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाएगी और सरकार इसका प्रबंध करेगी। एक लोक कल्याणकारी लोकतांत्रिक सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह प्राथमिक शिक्षा 14 साल तक के बच्चों के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करे।
संविधान की धाराओं का पालन किया जाए और प्राथमिक शिक्षा का प्रबंध सरकार करें। पिछले कुछ सालों में शिक्षा अधिनियम हरियाणा की धारा 134 ए के तहत जो कानून बना हुआ है उसकी पालना सुनिश्चित की जाए। 134 ए के तहत प्रावधान हैं कि गरीब अभिभावकों के बच्चे जिनकी आय दो लाख सालाना से कम है, उनको प्राइवेट स्कूलों में निशुल्क शिक्षा दी जाएगी। ऐसी 10% सीटें हर प्राइवेट स्कूल में आरक्षित की जायेंगी।
असल में इस कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पहले तो सरकार जो नोटिफिकेशन निकालती है वह बहुत देर से निकालती है और उसके बाद प्राइवेट स्कूल भी ईमानदारी से 10% सीटें नहीं भेजते। बहुत ही कम संख्या में सीटों को भेजा जाता है, यहां तक की एक क्वालीफाइंग एक्जाम पास करने के बाद भी बच्चों को उन स्कूलों में दाखिला मिलने में दिक्कत आती है।
इसी साल सोनीपत में तकरीबन 4000 बच्चों ने क्वालीफाइंग टेस्ट पास किया, लेकिन मुश्किल से 1000 बच्चों को स्कूल अलॉट हो पाए। यह दिखाता है सरकार की नीयत इस कानून को लागू करने की नहीं है और किसी भी स्कूल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। जिन्होंने बेईमानी से 134ए का पालन नहीं किया। नागरिक अधिकार मंच मांग करता है :
1. जायज मांगों के लिए अपनी आवाज उठा रहे अभिभावकों के खिलाफ दर्ज फर्जी मुकद्दमे रद्द किए जाएं।
2.दोषी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ अपराधिक मुकदमे दर्ज किए जाएं और उनकी बर्खास्तगी की जाए।
3.हमारे साथियों को जो चोटें मारी गई हैं उनकी हड्डियां तोड़ी गई हैं, उनके इलाज के लिए मुआवजा सरकार दे।
नागरिक अधिकार मंच ने मांग करता है कि उसकी उपरोक्त मांगों को अविलंब माना जाए और 9 अगस्त को मंच द्वारा जो जन अदालत आयोजित की जानी है, उससे पहले इन मुद्दों समाधान निकाला जाए। नहीं तो उस दिन जन अदालत जो भी फैसला करेगी, उसको मीडिया के सामने रख दिया जाएगा।