दिल्ली उपचुनाव में हुई आम आदमी पार्टी की जीत, कांग्रेस पहुंची तीसरे पायदान

Update: 2017-08-28 12:20 GMT

59 हजार 886 वोट पाकर करीब 24 हजार वोट से जीती आप। बीजेपी को मिला 35830 हजार और कांग्रेस को 31919 वोट

बेहद महत्वपूर्ण चुनाव जीते हैं अरविंद कजेरीवाल, अगर केजरीवाल यह चुनाव नहीं जीतते तो वह राजनीति ही नहीं दिल्ली में अगले चुनाव के अस्तित्व की लड़ाई भी हार जाते, न सिर्फ विपक्षी बल्कि पार्टी के भीतरघाती भी हो जाते हावी

जनज्वार, दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राम चंदर को दिल्ली के बवाना विधानसभा की जनता ने अपना विधायक चुन लिया है। 23 अगस्त को हुए उपचुनाव के आज आए परिणामों के मुताबिक आप पहले, भाजपा दूसरे और कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही। आम आदमी पार्टी को करीब 45 फीसदी फीसदी वोट मिले हैं। 

इस चुनाव में सबसे बुरी हालत फिर एक बार कांग्रेस की रही है। अभी हालिया बीते एमसीडी चुनावों में भी कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही। संभव है कि इस चुनाव के बाद कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन को बदल दे। चुनाव में कुल 28 राउंड हुए। 

बवाना उपचुनाव में कुल 8 उम्मीदवारों ने भागीदारी की थी, लेकिन चौथे पायदान पर 'नोटा' का वोट रहा। चौथे पर किसी अन्य पार्टी को स्थान नहीं मिला। जाहिर है पार्टियों को नापसंद करने वालों की यह सबसे बड़ी तादाद वह है जो केजरीवाल और भाजपा के झगड़े के कारण दिल्ली में उभरी है।

आप के विधायक राम चंदर से हारे भाजपा प्रत्याशी वेद प्रकाश बवाना के ही विधायक थे। यह चुनाव वेद प्रकाश के भाजपा में चले जाने के कारण हुआ है। ऐसे में जनता की एक नाराजगी यह भी थी व्यक्गित लाभ के लिए वेद प्रकाश ने पार्टी बदली और चुनाव का भार जनता पर आया।

इस उपचुनाव की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने चुनाव जीतने के लिए दिन रात एक कर दिए थे और बवाना में सभाएं और रैलियों में व्यस्त रहे। यह चुनाव आप के लिए करो या मरो जैसा था क्योंकि 2015 की दिल्ली में विधानसभा की ऐतिहासिक जीत के बाद से आम आदमी पार्टी एक भी चुनाव नहीं जीत सकी। 

आप की हार का सिलसिला दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ का चुनाव से शुरू हुआ, फिर पंजाब का चुनाव में हार, उसके बाद राजोरी गार्डन और अभी अप्रैल में दिल्ली नगर निगम का चुनाव आप हारी।

ऐसे में यही सवाल था कि यदि आप ये उपचुनाव भी हार गई तो उसकी दिल्ली में कितनी पकड़ है, इसका पता चल जाएगा और उसके लिए दोबारा दिल्ली में चुनाव जीतना लगभग नामुमकिन होगा। 

दूसरी तरफ यह चुनाव दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी के लिए अमावस की तरह आया है। भाजपा प्रत्याशी के बुरी तरह हारने के अलावा वह खुद प्रचार के दौरान दो बार जनता के हाथों पिट चुके हैं। 

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