2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सभी आरोपी बरी

Update: 2017-12-21 11:45 GMT

कोर्ट ने कहा कोई सबूत नहीं हैं इसलिए 2जी में आरोपित सभी दिग्गजों को किया रिहा...

दिल्ली। देश की सत्ता को हिला देने वाले 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में चल रही जांच के मामले में आज दिल्ली की एक स्पेशल कोर्ट ने इसमें आरोपित सभी दिग्गज आरोपियों को बरी कर दिया है।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओपी सैनी कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के समय हुए टूजी घोटाले में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज किए गए अलग—अलग मामलों की सुनवाई कर रहे थे।

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओ.पी. सैनी ने इस मामले में फैसला देते हुए कहा, 'मुझे यह कहने में कोई झिझक महसूस नहीं हो रही है कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा है। इसलिए सभी आरोपित निर्दोष हैं, उन्हें बरी किया जाता है।'

इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके नेता कनिमोझी समेत 17 हाई प्रोफाइल उद्योगपतियों को आरोपी बनाया गया था।

2जी घोटाला साल 2010 में प्रकाश में आया था जब भारत के महालेखाकार और नियंत्रक ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े थे। कहा गया कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे, जिसमें भारत के महालेखाकार और नियंत्रक के अनुसार सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ था। आरोप था कि अगर लाइसेंस नीलामी के आधार पर होते तो खजाने को कम से कम एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए और प्राप्त हो सकते थे।

सीबीआई के पास पहुंचे इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा के अलावा डीएमके के राज्यसभा सांसद कनिमोई, पूर्व टेलीकॉम सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, ए. राजा के तत्कालीन निजी सचिव आरके चंदौलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा, विनोद गोयनका, यूनिटेक कंपनी के एमडी संजय चंद्रा, कुशेगांव फ्रूटस एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के आसिफ बलवा व राजीव अग्रवाल, कलाईगनार टीवी के निदेशक शरद कुमार और सिनेयुग फिल्म्स के करीम मोरानी के अलावा रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के वरिष्ठ अधिकारी गौतम जोशी, सुरेंद्र पिपारा, हरि नैयर आरोपी हैं. इसके अलावा तीन कंपनियों स्वान टेलीकॉम लिमिटेड, रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड और यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडू) को आरोपी बनाया गया था।

अक्टूबर 2011 में न्यायालय ने आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम से लेकर आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी, फर्जीवाडा, फर्जी कागजात बनाने, पद का दुरुपयोग, सरकारी दुराचरण आदि के तहत मामला दर्ज किया था।

अप्रैल 2011 में दाखिल की गई अपनी चार्जशीट में सीबीआई ने कहा था कि 2जी स्पेक्ट्रम से जुड़े 122 लाइसेंस गलत तरीके से आवंटित किए गए, जिससे सरकारी खजाने को 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा था। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2012 में इस मामले में सभी के लाइसेंस रद्द कर दिए थे।

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