चमकी बुखार से मरे बच्चों के परिजनों पर नीतीश सरकार ने दर्ज किया मुकदमा

Update: 2019-06-25 11:50 GMT

चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों के परिवार वालों ने रोका था मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रास्ता, इस​लिए पुलिस ने विरोध कर रहे मां-बाप पर एफआईआर दर्ज कर दी है...

जनज्वार। इससे ज्यादा बुरा स्थिति क्या हो सकती है कि जिन मां—बाप ने अपने कलेजे के टुकड़े खो दिये हैं वे विरोध की एक आवाज भी नहीं उठा सकते। इसे देखकर लगता है हम लोकतांत्रिक देश में नहीं रह रहे, बल्कि गुलाम भारत का दौर फिर से वापस आ गया है।

गर ऐसा न होता तो फिर क्यों बिहार ​पुलिस उन 39 परिजनों पर एफआईआर दर्ज करती, जिन्होंने चमकी बुखार में अपने मासूम बच्चों को खो दिया है। बिहार में इंसेफेलाइटिस से जान गंवाने वाले बच्चों के परिजनों पर पुलिस ने आज 25 जून को मुकदमा दर्ज किया है, क्योंकि उन्होंने विरोधस्वरूप मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रास्ता रोकने की जुर्रत की थी। ये लोग अस्पतालों में बदइंतजामी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।

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गौरतलब है कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों को ही सही मानें तो चमकी बुखार से बिहार के 20 जिलों में 152 बच्चे मौत के मुंह में समा गये हैं। हालांकि यह आंकड़ा कहीं ज्यादा है। माना जा रहा है कि इसमें 200 से भी ज्यादा बच्चों की जान जा चुकी है।

जानकारी के मुताबिक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंसेफेलाइटिस से पीड़ित लोगों से मिलने मुजफ्फरपुर जाने वाले थे। पहले भी उनकी संवेदनहीनता इस मामले में जगजाहिर हो चुकी है, जब वे 20 से भी ज्यादा दिन से लगातार हो रही मौतों के बाद 18 जून को पहली बार बच्चों को देखने मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे।

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शासन—प्रशासन की लापरवाही, नेताओं की असंवेदनशीलता, अस्पतालों में इलाज का पर्याप्त अभाव के कारण बच्चों की लगातार होती मौतों से गुस्साए परिजनों को जब अपने कलेजे के टुकड़ों को खो चुके हरिवशंपुर गांव के लोगों को जानकारी हुई कि नीतीश कुमार सड़क के रास्ते जाएंगे, तो उन्होंने विरोध में सड़क का रास्ता जाम कर दिया। मगर बजाय उन्हें आश्वस्त करने के नीतीश कुमार प्रशासन ने भगवानपुर थाने ने गांववालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली।

पुलिस ने जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, उनमें ऐसे बच्चों के परिजन और रिश्तेदार शामिल हैं जो अपने बच्चों को इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की वजह से खो चुके हैं। जबकि पहले से ही सरकारी अस्पतालों की बदहाली की कई रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं, ऐसे में नीतीश कुमार सरकार के इंतजामात और शासन—प्रशासन पर सवाल उठाना अपने बच्चों को खो चुके मां—बाप को भारी पड़ा।

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नीतीश कुमार सरकार का विरोध कर रहे लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराना सरकार की तरफ से बहुत कड़ा फैसला है, जिसकी कड़ी आलोचना हो रही है। चमकी बुखार से मरे बच्चों के परिजन सरकार के खिलाफ जब प्रदर्शन कर रहे थे, तब इन्हें पुलिस ने हिरासत में लेकर इन पर एफआईआर दर्ज की।

बिहार में इतनी भारी तादाद में बच्चों की मौत के बाद आईएमए की तरफ से एक जांच दल गठित किया गया था, जिसने कहा था कि बिहार के मुजफ्फ़रपुर में इंसेफेलाइटिस बीमारी से होने वाली मौतों में ‘लीची' खाना मुख्य वजह नहीं है, क्योंकि इससे नवजात भी प्रभावित हुए हैं। इन मौतों के लिए कुपोषण और मौजूदा गर्मी और उमस का पर्याप्त योगदान है। पानी की कमी (डिहाइड्रेशन), खून में चीनी की अत्यधिक कमी (हाइपोग्लूकोमिया) और गर्मी लगने भी इन मौतों के लिए जिम्मेदार है। जांच दल ने कहा कि पीड़ितों के गुनगुने पानी से स्पंज, अधिक मात्रा में पानी पीने और पर्याप्त भोजन लेने से चमकी बुखार में फायदा मिल सकता है।

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ईएमए के इस जांच दल ने कहा कि राज्य में सरकार को स्वास्थ्य जागरुकता फैलाने के साथ—साथ बच्चों को मुफ्त में खाना देना होगा, खासकर रात का खाना। इसके अलावा ओआरएस का घोल सार्वजनिक रूप से मुहैया किया जाना चाहिये, जिससे इस बीमारी के फैलाने का रोकने में मदद मिलेगी।

बिहार में इतने बड़े पैमाने पर चमकी बुखार से हो रही मौतों के लिए डबल इंजन सरकार को दोषी ठहराते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि ‘भाजपा की डबल इंजन की सरकार व कुशासन बाबू की बिहार सरकार ही मुजफ्फरपुर में सैकड़ों बच्चों की हत्या के लिए सीधे जिम्मेदार हैं। विशेष पोषण कार्यक्रम में बजट घटाकर आधा कर दिया गया। अनुसूचित जाति व जनजातियों के बच्चों के बजट में भारी कटौती की गई।'

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