न्यूनतम सुविधाओं के लिए कराहता देवरिया जिला अस्पताल

Update: 2017-10-22 21:24 GMT

दीवार से लटकी बोतल से रागिनी को ड्रिप लगाकर उसे ट्रीटमेंट देना शुरू कर दिया गया, जहां न हवा की व्यवस्था थी, न ही पानी की...

देवरिया से अजय पांडे की रिपोर्ट

दर्द से बुरी तरह तड़पती रागिनी को उम्मीद थी कि देवरिया जिला अस्पताल पहुंचकर उसका ठीक से इलाज होगा और उसे रोग से निजात मिलेगी। मगर उसकी इस उम्मीद पर कुछ ही मिनटों में उस समय पानी फिर गया, जब उसे इमरजेंसी वार्ड से लगे बरामदे में लिटा दिया गया। इसके बाद दीवार से लटकी बोतल से रागिनी को ड्रिप लगाकर उसे ट्रीटमेंट देना शुरू कर दिया गया, जहां न हवा की व्यवस्था थी, न ही पानी की।

देखें किस तरह करवा रहे हैं मरीज इलाज

ऐसा तब हुआ जबकि इमरजेंसी वार्ड में कई बेड खाली पड़े थे। बावजूद इसके जिला अस्पताल प्रशासन ने दर्द से तड़पती रागिनी को इमरजेंसी वार्ड के बार दीवार पर बोतल लटकाकर इलाज दिया।

रागिनी तो सिर्फ एक उदाहरण है। ऐसे अनेक लोग हैं जो जिला चिकित्सालय में बेहतर उपचार इलाज की उम्मीद में पहुंचते हैं। उन्हें जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं से कोई मतलब नहीं होता, लेकिन आम लोगों को अपने इलाज से वास्ता होता है, मगर होता उल्टा है। इलाज के बजाय लोग परेशानहाल वापस किसी प्राइवेट अस्पताल की शरण में पहुंचते हैं और जो इस हालत में नहीं हैं कि प्राइवेट की मोटी फीस दे पाएं वो मजबूरन ऐसी व्यवस्था में इलाज करवाने को मजबूर होते हैं।

देवरिया जिला चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड में छज्जे से लगी कई बोतलें दिखती हैं, इन्हें बरामदे के छज्जे से लटकालर ग्लूकोज या दूसरी दवाइयां मरीजों को दी जाती हैं। यहां मरीज के लिए हवा—पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। यानी जिला अस्पताल में इलाज करवाना है तो मरीज खुद अपनी जिम्मेदारी पर इलाज करवाये।

रैन बसेरे में जड़ा ताला, मरीजों के तीमारदार गुजारते हैं सड़कों पर रातें 

गौरतलब है कि देवरिया जिले का जिला चिकित्सालय होने के कारण यहां लोगों का भारी हुजूम ओपीडी व इमरजेंसी में दिखाई देता है। जिला अस्पताल में इलाज करवाने आए अभिमन्यु कहते हैं, सांसद कलराज मिश्र का गृहक्षेत्र है। उन्होंने पिछली बार हाथों में झाड़ू थामे स्वच्छता अभियान के नाम पर खूब फोटो खिंचवाई थी। चुनावों के समय खूब वादे किए थे। देवरिया गोरखपुर से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। योगी आदित्यनाथ भी अक्सर आते रहते हैं। लेकिन जिला अस्पताल में सफाई व्यवस्था तक पूरी तरह चौपट है। योगी जी को तनिक हमारी भी सुध लेनी चाहिए।

बीमार के साथ पहुंचे तीमारदार शत्रुघ्न सिंह कहते हैं कि डॉक्टरों के निर्देश पर हमारे मरीज का इलाज इमरजेंसी वार्ड के बाहर बनी गैलरी में करना शुरू कर दिया गया, वहीं पर मरीज को ड्रिप चढ़ानी शुरू कर दी। जब हमने कहा कि वार्ड में एडमिट क्यों नहीं कराया जा रहा तो हमें टाला गया और कहा गया कि इलाज करवाना है तो यहीं लिटाओ।

 कुछ ऐसी है शौचालय की हालत

वहीं पेयजल के मानकों की बात करना जिला चिकित्सालय में बेमानी होगी। आलम यह है कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के कमरे के सामने लगा आरओ तक पानी नहीं देता। आरओ बेकार हो गया है। हजारों रुपए खर्च कर लगाए गए आरओ बंद पड़े हैं। ऐसे में नौकरशाह तो अपना इंतजाम कर लेते हैं, मगर योगी सरकार को इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि यहां आने वाले मरीजों व तीमारदारों का क्या होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृहक्षेत्र गोरखपुर है और गोरखपुर का पड़ोसी जिला देवरिया है। जिला अस्पताल के इंसेफलाइटिस वार्ड में 9 बच्चे भरती थे। पता नहीं उनका क्या होगा, आॅक्सीजन खत्म होगी या व्यवस्था।

अस्पताल की प्रशासनिक व्यवस्था पर ही कहानी खत्म नहीं होती। इमरजेंसी के बाहर रेडक्रास सोसायटी की मदद से बने रैन बसेरे में ताला जड़ा हुआ है। मरीजों के तीमारदार सड़कों पर अपनी रात गुजारते हैं, लेकिन नौकरशाह अपने एससी कमरों में आराम फरमा रहे हैं।

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