Paytm से अकेले 45 % धोखाधड़ी के मामले, डिजिटल इंडिया में बढ़ रहा ऑनलाइन फ्रॉड

Update: 2020-01-27 08:12 GMT

धोखाधड़ी के शिकार लोगों ने जाहिर किया गुस्सा कि पेटीएम सुरक्षा मानकों पर नहीं उतर रहा खरा, बिना हमारी इजाजत के पेटीएम जैसी बड़ी कंपनी कैसे हमारे पेटीएम खाते को ग्रोफर्स जैसी जगह पर जोड़ सकती है...

जनज्वार। मोदी सरकार डिजिटल इंडिया नारा बुलंद करती रहती है, और कहती है कि हम कैशलेस इंडिया की तरफ अग्रसर हैं। लोगों ने ज्यादा से ज्यादा कैशलेस की तरफ कदम भी बढ़ा दिया है, मगर इसके साथ आये हैं फ्रॉड के तमाम तरीके, जिसमें ग्राहक को पता भी नहीं चल पाता कि बैंक एकाउंट कब खाली हो गया और किस तरह वह इस ठगी के जाल में फंसा। रिपोर्टस के मुताबिक ऑनलाइन ठगी के 45 प्रतिशत मामले सिर्फ Paytm से ही सामने आये हैं।

ड़ी संख्या में भारतीय डिजिटल सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं डिजिटलीकरण के कारण आये दिन धोखाधड़ी की खबरें आती रहती हैं, रोजाना डिजिटल धोखाधड़ी के जरिये होने वाली पैसों की धोखाधड़ी के सैकड़ों मामले देशभर से सामने आते रहते हैं। वैश्विक वित्तीय सूचना कंपनी एक्सपेरियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 प्रतिशत भारतीय ऑनलाइन लेनदेन में सीधे धोखाधड़ी का शिकार बन रहे हैं। बदलती तकनीक के साथ साइबर अपराधी भी ऑनलाइन ठगी का तरीका बदलते रहते हैं। साइबर क्राइम में संलिप्त ये लोग पहले फ़ोन पर एटीएम पिन और ओटीपी नंबर लेकर ठगी करते थे, लेकिन अब यूपीआई और क्यूआर कोड द्वारा अकाउंट से पैसे चुरा रहे हैं|

रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय बैंकिंग प्रणाली ने माना है कि वित्त वर्ष 2018-19 में 71,500 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी हुई है। इसमें से 90% से अधिक का नुकसान सरकारी बैंकों का हुआ है, जबकि भारतीय बैंकों को वित्त वर्ष 2018 में चोरी और ऑनलाइन धोखाधड़ी में 109.75 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में धोखाधड़ी की कुल 972 घटनाएं दर्ज की गईं हैं। इसका मतलब है देश में धोखाधड़ी की हर दिन तीन घटनाएं हो रही हैं, बैंकिंग क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों में एटीएम से सम्बंधित अपराधों में कुल 168.74 करोड़ का नुकसान हुआ है।

यह भी पढ़ें : साइबर ठगों ने नोएडा में बैठे युवक के क्रेडिट कार्ड का क्लोन बना संयुक्त अरब अमीरात में कर ली शॉपिंग

पेटीएम के जरिये धोखाधड़ी के बड़े मामले सामने

रिपोर्टस के मुताबिक ऑनलाइन ठगी के 45 प्रतिशत मामले सिर्फ Paytm से ही सामने आये हैं। वेबसाइट Quora पर धोखाधड़ी के शिकार लोग अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कह रहे हैं, पेटीएम के जरिये बड़ी धोखाधड़ी सामने आ रही है। पेटीएम बेहद असुरक्षित ऐप है। पेटीएम द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा काफी नहीं है। Quora पर लोग अपना गुस्सा जाहिर करते हुए लिखते हैं कि पेटीएम सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है। लोग कहते हैं कि बिना हमारी इजाजत के पेटीएम जैसी बड़ी कंपनी कैसे हमारे पेटीएम खाते को ग्रोफर्स जैसी जगह पर जोड़ सकती है। लोगों के लिए यह बड़ी चौंकाने वाली बात है कि इतनी बड़ी कंपनी ऐसा कैसे कर सकती है। धोखाधड़ी के कई सबूत Quora पर लोगों ने शेयर किये हैं।

पेटीएम केवाईसी के नाम पर भी हो रही है बड़ी धोखाधड़ी

साइबर अपराधी पेटीएम केवाईसी करवाने, यूपीआई लिंक से पैसे ट्रांसफर करने का बहाना बनाकर क्यूआर कोड और लिंक भेजकर क्लिक करने के लिए कहते हैं और क्लिक करते ही आपका बैंक एकाउंट खाली हो चुका होता है। जब तक ग्राहक इस फ्रॉड को समझता है, तब तक देर हो चुकी होती है। पेटीएम केवाईसी के लिए अपराधियों द्वारा कॉल किए जाते हैं और जानकारी जुटाकर ठगी करते हैं|

कुछ साइबर अपराधी पेटीएम केवाईसी के लिए मैसेजस के जरिये नंबर भेजते हैं और संपर्क करने को कहते हैं। ठगों द्वारा केवाईसी करवाने को लेकर दबाव बनाया जाता है और कहा जाता है कि केवाईसी जल्द से जल्द करवाइये, वरना आपका अकाउंट बंद कर दिया जायेगा। यानी ग्राहकों को मैंटली डील करने की कला में ये माहिर होते हैं।

पेटीएम ने क्या किया

पेटीएम ने धोखाधड़ी और ठगी के मामलों को देखते हुए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण को धोखेबाजों के 3500 के लगभग फ़ोन नंबर जारी हैं। पेटीएम अपनी साख बचाने के लिए न केवल इनकी जानकारी साझा कर रहा है, बल्कि एफआईआर भी दर्ज कर रहा है। पेटीएम ने ट्राई के अलावा, गृह मंत्रालय और सीईआरटी में साइबर सुरक्षा एजेंसी से भी जानकारी साझा की है।

यह भी पढ़ें : ग़ाज़ियाबाद में झारखंड के साइबर ठगों का फैला जाल, लेकिन यूपी पुलिस से नहीं मिलेगी कोई मदद

पेटीएम ने नोएडा में 3,500 नंबरों के मालिकों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई है। हालांकि ये कदम पूरी तरह से ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने में सक्षम नहीं हैं। अगर इन नंबरों के पीछे की पहचान करके इन धोखेबाजों के खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू की जाती है, तो डोर लोग शिकार होने से बच पाएंगे|

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट सत्येंदर गुर्जर कहते हैं कि उनके साथ भी पेटीएम ठगी की कोशिश हुई, जिसके बाद उन्होंने पेटीएम के ऑफिशियली ट्विटर अकाउंट पर शिकायत दर्ज करवाई, जिसका अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। उन्होंने ये भी कहा कि जिस प्रकार पेटीएम के सबंध में धोखा हो रहा है, हो सकता है डाटा लीक हो रहा हो। बेहतर होगा कि आप अपनी जानकारी कहीं भी शेयर करने से बचें।

अगर ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो गए हैं तो यहाँ करवा सकते हैं शिकायत दर्ज

ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार होने पर साइबर पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवानी चाहिए, जिसकी वेबसाइट https://digitalpolice.gov.in/Default.aspx है। इस पोर्टल के जरिये आने वाली शिकायतों को साइबर पुलिस सॉल्व करती है।

साइबर पुलिस तमाम माध्यमों से ग्राहकों को सतर्क भी करती है कि अपनी बैंक से जुड़ी जानकारियां किसी के साथ भी ​किसी कीमत पर फोन पर साझा न करें।

तमाम अध्ययन बताते हैं कि आम भारतीय बैंकों से अपनी जानकारी साझा करने में सबसे ज्यादा भरोसा रखते हैं, लेकिन आजकल इंटरनेट और मोबाइल पर बैंक अकाउंट से सम्बंधित एक फॉर्म भेजा जा रहा है जिसमें बैंक अकाउंट की जानकारी भरनी होती है, लेकिन इस प्रकार के फॉर्म को भरने पर आप ठगी का शिकार हो सकते हैं। इसी जानकारी से ठग अकाउंट को खाली कर देते हैं। बैंक कभी भी इस प्रकार के फॉर्म मोबाइल पर नहीं भेजता है। पुलिस विभाग की साइबर सेल लोगों को लगातार चेता रही है कि ऐसे किसी भी झांसे में ना आएं।

गूगल पर भी न करें भरोसा

साइबर एक्सपर्ट कहते हैं, गूगल पर विभिन्न कंपनियों के कस्टमर केयर नंबर सर्च कर कॉल करना आपको बहुत महँगा पड़ सकता है। आप उन ठगों के जाल में फंस सकते हैं, जो फर्जी कस्टमर केयर की आड़ में लोगों के साथ ठगी कर जाते हैं। हमें यह समझना होगा और जानकारी साझा करनी होगी कि जो जानकारी गूगल उपलब्ध कराता है उसको गूगल खुद नहीं बनाता, यह केवल एक ऑनलाइन प्लेटफार्म है।

इसलिए जरुरी नहीं की गूगल पर जो सर्च कर रहे हैं वह सब सही हो, इसलिए टोल फ्री नंबर आधिकारिक वेबसाइट से ही लें किसी भी अनजान कॉल या मैसेज पर निजी जानकारी शेयर नहीं करें।

ऐसे होता है यह खेल

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट कहते हैं कि, हैकर फर्जी टोल फ्री नंबर को गूगल पर एसईओ के माध्यम से की-वर्ड को टॉप लिस्ट कर देते हैं, जिससे सर्च करने पर सबसे पहले हैकर का नंबर ही दिखाई देता है।

बेरोजगारों को भी सतर्क रहने की है जरूरत

अपराधी बेरोजगार युवाओं की डिटेल ऑनलाइन जॉब साईट से खरीदते या चुराते हैं। उसके बाद मेल या कॉल के माध्यम से लुभावने जॉब ऑफर देकर उन्हें अपने झांसे में लेते हैं। फर्जी ऑफर लैटर भेजते हैं, फर्जी टेलीफोनिक इंटरव्यू करते हैं, फर्जी ऑनलाइन टेस्ट करवाते हैं, पैसे ऐंठते हैं और फिर गायब हो जाते हैं।

यह भी पढ़ें : जब छूट जाये ओला में मोबाइल या सामान तो मिलना नहीं आसान

भावनाओं में ना बहें

इस मसले पर साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट सत्येंदर गुर्जर कहते हैं, आजकल साइबर ठगी करने का नया तरीक़ा इजाद किया गया है, जिसमें साइबर ठग किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के नाम से फ़ेसबुक /ईमेल आईडी बनाकर उस व्यक्ति के मित्रों को मेसेज कर सहायता के रूप में पैसे माँगता है। कई व्यक्ति विश्वास करके उनको पैसे ट्रान्सफ़र कर देते हैं, जिससे वो ठगी का शिकार हो जाते हैं। अगर कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर इस तरह पैसे की माँग करे तो पहले कन्फ़र्म करें।

इस बात की सतर्कता बरतें कि आपका एटीएम पिन किसी सोशल मीडिया अकाउंट या अन्य पासवर्ड, बैंक सूचनाएं आदि के प्रति संवेदनशील रहे। आपकी लापरवाही और साइबर अपराधी की होशियारी आपके लिए चिंता का कारण बन सकती है।

Tags:    

Similar News