'पदमावत' के निर्माता पहुंचे फिल्म रिलीज मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट

Update: 2018-01-17 12:17 GMT

कहा सेंसर बोर्ड ने अपनी शर्तों के साथ फिल्म रिलीज की दी अनुमति तो कई राज्य सरकारों को क्या है ऐतराज...

दिल्ली। निर्माण के समय से विवादों में रही 'पदमावत' पहले पदमावती का विवादों से पीछा नहीं छूट रहा है। ख्यात फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली द्वारा बनाई गई इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने नाम बदलने और 5 जगह कट करने के बाद रिलीज की अनुमति दी थी। बावजूद इसके कई राज्यों की सरकारों ने अपने राज्य में फिल्म की रिलीज पर बैन लगाया हुआ है।

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इस मुद्दे को लेकर अब फिल्म निर्माता कोर्ट पहुंचे हैं। उनका कहना है कि जब नाम बदलने के बाद पदमावत को सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट मिल चुका है, तो कई राज्यों में 'पदमावत' पर बैन किस आधार पर लगाया गया है?

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गौरतलब है कि राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और मध्य प्रदेश सरकार ने अपने राज्यों में 'पदमावत' के रिलीज पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसीलिए फिल्म के निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और इन राज्यों में फिल्म की रोक के खिलाफ याचिका दाखिल की है। अब इस मुद्दे पर कल 18 जवरी को सुनवाई की जानी है।

गौरतलब है कि ऐतिहासिक पात्र'पद्मावती' और इतिहास के साथ छेड़छाड़ किए जाने को लेकर इस फिल्म का शुरुआत से काफी विरोध होता रहा है। सेंसर बोर्ड की आपत्ति पर फिल्म का नाम बदलकर'पद्मावत' कर दिया गया, फिल्म में 5 जगह संशोधन भी किए गए, मगर फिर भी विरोध जारी है।

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सबसे पहले राजस्थान सरकार, फिर गुजरात और उसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने 'पदमावत'के रिलीज पर अपने राज्यों में बैन लगाया था। उसके बाद कल 16 जनवरी को हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने भी फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के बारे में ट्वीट किया है। उन्होंने ट्वीट किया, फिल्म पदमावती/पदमावत हरियाणा में प्रतिबंधित।

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दीपिका पादुकोण अभिनीत पदमावती चरित्र को आधार बनाकर बनी यह फिल्म 16वीं सदी के सूफी कवि मलिक मुहम्मद जायसी के महाकाव्य ‘पदमावत’ पर आधारित है। जब संजय लीला भंसाली ने इस फिल्म का निर्माण शुरू किया था, तब रानी पदमावती और अलाउद्दीन खिलजी के बीच रुमानी सपने के दृश्य को लेकर फैली अफवाहों के बाद विभिन्न राजपूत एवं अन्य संगठनों ने इतिहास से छेड़छाड़ और जन भावनाओं से खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए इस फिल्म के निर्माण खिलाफ राजस्थान सहित देश के अन्य हिस्सों में भी विरोध—प्रदर्शन शुरू कर दिया।

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तमाम हिंदूवादी संगठनों, भाजपा नेताओं और सबसे बढ़कर करणी सेना ने तो जैसे पदमावती को अपनी आन—बान—शान का मुद्दा बना लिया था। इसके लिए कभी किसी ने कहा कि फिल्म रिलीज होगी तो दीपिका की नाक काट देंगे, तो कभी किसी ने संजय लीला भंसाली का सिर काटने की पेशकश की।

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कुल मिलाकर पदमावती और विवादों का चोली—दामन का साथ हो गया है। तमाम शर्तों और नाम बदलने के बाद रिलीज हुई फिल्म पर भी विवाद जारी है। इसीलिए फिल्म निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है और कहा है कि सेंसर बोर्ड की अनुमति के बावजूद फिल्म को कई राज्यों में बैन करने का सरकार का क्या औचित्य है।

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