एक फेसबुक पोस्ट ने प्रधानमंत्री को धृतराष्ट्र बना दिया

Update: 2017-08-07 18:52 GMT

कागजी बाघ बने भक्त हों या 56 इंच के सीने वाले प्रधानमंत्री, एक इकलौती लड़की ने सबकी बोलती बंद कर रखी है, सभी आदर्श की बातों को सच के सामने नंगा कर दिया है...

राग दरबारी

बात—बात पर ट्वीट करने वाले प्रधानमंत्री और बिना बात के बयान देने वाले हरियाणा के तमाम बड़बोले मंत्री—विधायक किस बिल में घुस गए हैं जो उनके बोल नहीं फूट रहे? क्या कोई एक भाजपा नेता चंडीगढ़ की पीड़ित लड़की के पक्ष में खड़े होने से सिर्फ इसलिए डर और कतरा रहा है कि पार्टी की एक छुपी हुई गंदगी बाहर आ जाएगी। या इससे डर रहा है कि एक गंदगी उभारने पर पूरी पार्टी बदबू का भभका मार उठेगी।

आखिर डर है किस बात का जिस पर यह चुप्पी साधी गई है। आखिर एक फेसबुक पोस्ट इतनी मजबूत कैसे हो जाती है कि बहुमत और समर्थन का इतिहास रचने वाले प्रधानमंत्री सकपका जाते हैं। किसी भी घटना पर चंद मिनटों में ट्वीट करने वाले प्रधानमंत्री मौन क्यों साधे हुए हैं। देश में होने के बावजूद वह मुंह से एक बकार नहीं निकाल पा रहे, जबकि देश को उनके एक बोल का इंतजार है।

छेड़खानी और हिंसा के मकसद से चंडीगढ़ शहर में शुक्रवार 4 अगस्त की रात वर्णिका कुंडू का पीछा कर रहे हरियाणा भाजपा अध्यक्ष सुभाष बराला के बेटे विकास बराला का अपराध कितना संगीन है, यह तय करने का अधिकार पुलिस पर छोड़ भी दें, तब भी एक सवाल प्रधानमंत्री मोदी से पूछा ही जाना चाहिए कि विश्वविजेता बनने का ख्वाब देख रहा हमारा 'प्रधान' क्या इतना दोमुंहा और कायर है जो पार्टी में उभरी गंदगी को तत्काल साफ करने के बजाय उसे ढकने—तोपने की कोशिश में धृतराष्ट्र बना हुआ है।

क्या देश ने तीन साल पहले एक प्रधानमंत्री के रूप में धृतराष्ट्र को चुना था या एक सक्षम, समझदार और सबल नेतृत्वकर्ता को जो देश का मान बढ़ाए, विश्वपटल के मानचित्र पर हमारी साख को कायम करे। पर यह क्या, हमारे प्रधानमंत्री तो अपने देश की एक बेटी की सुरक्षा पर ही मुंह नहीं खोल पा रहे, वह न तो इतना कह पा रहे कि अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा, न ही वह अपने किसी नेता को पीड़ित को ढांढस बंधाने के लिए अब तक भेज पाए हैं।

जी, हां। न सिर्फ मोदी बल्कि भाजपा के किसी एक नेता ने भी हरियाणा भाजपा अध्यक्ष के बेटे की लंपटई का शिकार हुई वर्णिका कुंडू के पक्ष में कोई एक बयान या ट्वीट करने की हिम्मत नहीं की है। न ही अब तक कोई कर्णिका से मिलने गया है। राज्य या देश स्तर की महिला या पुरुष नेता में से किसी एक ने पीड़िता या उसके परिवार से मिलकर उसे सांत्वना देने या सरकार में होने के नाते एक नागरिक की सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करने की भी जमहत नहीं उठाई है।

हालत यह है कि एक महिला के साथ हुए अपराध पर भाजपा महिला मोर्चा, राष्ट्रीय हो या राज्य का मौन पर है। हरियाणा राज्य महिला आयोग अभी अपने आकाओं के बोलने के इंतजार में है। तीन दिन बीत चुके हैं लेकिन हरियाणा महिला और समाज कल्याण मंत्री कविता जैन हों या केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी इन्होंने भी कुछ बोलने की जहमत नहीं उठाई। यहां तक कि पाकिस्तान की महिलाओं के हकों की रक्षा को लेकर टीआरपी बटोरने वाली विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी चुप हैं। राज्य और केंद्र के गृह मंत्रालय का कहना ही क्या?

ऐसे मेंं जो महत्वपूर्ण सवाल उठता है वह यह कि क्या पार्टी अपनी अंतरआत्मा में महिला विरोधी है। और पार्टी का वही स्टैंड है जो कल एक भाजपा नेता का था कि लड़कियां इतनी रात गए बाहर ही क्यों जाती हैं? या फिर डर ये है कि जांच ठीक से हुई तो पता चलेगा कि किसी और नेता और मंत्री का बेटा भी साथ में था या वह अक्सर लंपटई, छेड़खानी करते हैं या फिर डर है कि कुछ और पीड़ित लड़कियां न आ जाएं सामने और खुलने लगे बराला के बेटे का कच्चा चिठ्ठा।

इनमें से कुछ भी हो सकता है, जो देश को बहुत आश्चर्य में नहीं डालेगा, क्योंकि देश पहले से इन वारदातों को भुगतता आ रहा है, एक हद तक उसके रियाज में है। पर इतनी संवेदनशील घटना पर मोदी की चुप्पी जरूर आश्चर्य में डालती है। और मानने को मजबूर करती है कि यह बड़बोला नेता भी बेटी बचाओ का प्रपंच भले कर ले, लेकिन जब बेटियों को बचाने की बारी आएगी तो वह भी किसी खापों वाला ही रवैया अख्तियार करेगा और अंतत: बराला का बेटा अच्छा आदमी और वर्णिका रात में घूमने वाली एक आवारा और बदचलन लड़की साबित होगी।

आखिर में,
इन नेताओं से अलग एक हरियाणा और भी है, लेकिन लंपटों का खौफ देखिए कि वह भी बोलने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। कि उन्हें डर है जो गालियां भाजपा नेता, समर्थक और भक्त वर्णिका कुंडू को दे रहे हैं, वही वह अपने ही राज्य की बेटियों को भी दे सकते हैं। हद है कि ऐसा तब है जब वर्णिका खुद एक डीजे और आईएएस आॅफिसर की बेटी हैं।

पहलवान गीता और बबीता बेटियों के मुद्दों पर बोलती हैं, पर वे भी चुप हैं। स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने भी इस मसले पर कुछ नहीं कहा है। दूसरी महिला खिलाड़ी और अधिकारी भी चुप हैं, उन्हें डर है कि मोदी समर्थक उन्हें ट्रोल कर सकते हैं।

पर एक बात जो साहस देती है वह यह कि कागजी बाघ बने भक्त हों या 56 इंच के सीने वाले प्रधानमंत्री, एक इकलौती लड़की ने सबकी बोलती बंद कर रखी है, सभी आदर्श की बातों को सच के सामने नंगा कर दिया है।

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