जद यू में हो सकता है विभाजन, विधायकों की खरीद-फरोख्त

Update: 2017-07-27 16:36 GMT

कांग्रेस के विधायकों को अपने पाले में लाने के लिए नीतीश कुमार और भाजपा नेतृत्व ने कई उपाय सोच रखे हैं, जिसमें मंत्री पद और निगमों तथा बोर्डों की अध्यक्षता भी शामिल है...

दिल्ली से पार्थ कुमार की रिपोर्ट

अभी से थोड़ी देर बाद दिल्ली में शरद यादव के नेतृत्व जदयू की बैठक होने जा रही है, पर बैठक में कोई साफ फैसला लिया जाएगा इसकी उम्मीद कम है।इस बैठक में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी हिस्सा लेंगे।

शरद यादव के समर्थकों का कहना है कि बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव में मिले जनादेश का जनाजा निकल चुका है। बिहार की जनता ने राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यू और कांग्रेस के जिस महागठबंधन को भाजपा के खिलाफ लगभग तीन चौथाई बहुमत देकर सत्ता सौंपी थी, वह महागठबंधन महज बीस महीनों में टूट गया।

नाटकीय घटनाक्रम के तहत महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा दिया और महज 14 घंटे बाद ही भाजपा के समर्थन से फिर मुख्यमंत्री बन गए। अब भाजपा भी उनके साथ सत्ता में साझेदार है। लेकिन कहानी यहीं पर खत्म होने वाली नहीं है। आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में कई दिलचस्प दृश्य देखने को मिल सकते हैं।

जानकार सूत्रों के मुताबिक भाजपा के साथ फिर से नया गठबंधन बनाने के नीतीश कुमार के फैसले से उनकी अपनी पार्टी में ही जबर्दस्त बेचैनी है। यह बेचैनी ही इस नए सियासी रिश्ते की उम्र पर सवालिया निशान लगा रही है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता शरद यादव इस फैसले से बेहद क्षुब्ध हैं।

उनके करीबी सूत्रों के मुताबिक उनका मानना है कि जल्दबाजी में लिया गया यह फैसला न सिर्फ बिहार की जनता के बहुमत का अपमान है, बल्कि इस फैसले से सामाजिक न्याय के आंदोलन को और साथ ही देशभर में भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जारी विपक्षी एकता के प्रयासों को भी धक्का पहुंचा है।

बताया जा रहा है कि जनता दल यू के एक दर्जन में से ज्यादातर सांसद भी नीतीश कुमार के इस फैसले से खुश नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक इन सांसदों और पार्टी के अन्य नेताओं की एक बैठक गुरुवार की शाम को शरद यादव के आवास पर होने जा रही है।

शरद यादव ने बिहार के घटनाक्रम से उत्पन्न स्थिति पर आज कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी बात की है। उधर पटना से आ रही खबरों के मुताबिक जद यू के लगभग दो दर्जन विधायक भी भाजपा के साथ जाने के नीतीश के फैसले के खिलाफ हैं। सूत्रों के मुताबिक जद यू के सांसदों और विधायकों का यह असंतोष आने वाले दो-तीन दिन के भीतर पार्टी की टूट में तब्दील हो सकता है।

बिहार की राजनीति के जानकारों का मानना है कि अगर ऐसा होता है तो बिहार में राष्ट्रपति शासन लगना और विधानसभा के मध्यावधि चुनाव होना तय है, क्योंकि केंद्र की सत्ता में बैठी भाजपा कतई नहीं चाहेगी कि बिहार में कोई अन्य वैकल्पिक सरकार बने।

वैसे नीतीश कुमार और भाजपा नेतृत्व को भी जद यू में टूट की आशंका है और इसीलिए उन्होंने ऐसी स्थिति से निपटने की रणनीति के तहत कांग्रेस के विधायकों से संपर्क बनाया हुआ है।

गौरतलब है कि बिहार में कांग्रेस के 27 विधायक हैं और विधायक दल में विभाजन कराने के लिए 18 विधायकों की संख्या होना आवश्यक है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के विधायकों को अपने पाले में लाने के लिए नीतीश कुमार और भाजपा नेतृत्व ने कई उपाय सोच रखे हैं, जिसमें मंत्री पद और निगमों तथा बोर्डों की अध्यक्षता भी शामिल है।

जानकारों का मानना है कि आने वाले कुछ दिनों में सरकार बचाने और गिराने के के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त का खेल बडे पैमाने पर खेला जा सकता है और इस खेल में बाजी भाजपा और नीतीश के पक्ष में जाना तय है।

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