डिटेंशन सेंटर पर गलतबयानी क्यों कर रहे मोदी-शाह, असम के डिटेंशन सेंटर्स में 3 साल में हो चुकी हैं 28 मौतें

Update: 2019-12-25 15:50 GMT

गृह मंत्रालय ने संसद में कहा था कि असम में हैं कई डिटेंशन सेंटर, जिनमें 3 साल में हुई हैं 28 मौतें, इन सेंटर में 25 जून 2019 तक में कुल 1133 लोगों को रखा गया है, जिसमें से 769 लोग पिछले तीन सालों से रह रहे हैं...

जेपी सिंह की रिपोर्ट

जनज्वार। नागरिकता संशोधन कानून पर देशभर में बुरी तरह घिर चुकी मोदी सरकार अब एक के बाद एक गलतबयानी पर उतर आई है, जबकि हकीकत एकदम उलट है और पहले से ही पब्लिक डोमेन में है ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि डिटेंशन सेंटर झूठ है। गृहमंत्री अमित शाह ने साक्षात्कार में कहा कि असम में एक है; लेकिन गृह मंत्रालय ने कहा था कि- ऐसे कई डिटेंशन सेंटर हैं, जिनमें 3 साल में 28 मौतें हुईं हैं। अब सवाल यह है कि कौन सच बोल रहा है?

गृहमंत्री अमित शाह ने कई टीवी चैनलों में प्रसारित एक इंटरव्यू में डिटेंशन सेंटर बनाए जाने की बात पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि डिटेंशन सेंटर बनाया जाना एक सतत प्रक्रिया है। अगर कोई विदेशी नागरिक पकड़ा जाता है तो उसे इसमें रखा जाता है। हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि देश में ऐसे कितने सेंटर हैं तो उन्होंने कहा कि अभी असम में एक है। इसके अलावा मेरी जानकारी में कोई नहीं है।

ससे पहले रविवार 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिटेंशन सेंटर बनाने की बातों को अफवाह बताया था। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, कर्नाटक में भी एक डिटेंशन सेंटर हाल ही में बनकर तैयार हुआ है।

22 दिसंबर को दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में डिटेंशन सेंटर बनाए जाने और डिटेंशन सेंटर बनाने को लेकर केंद्र द्वारा विभिन्न राज्यों को भेजे गए दिशा—निर्देशों को नकारते हुए कहा कि भारत में कहीं भी डिटेंशन सेंटर नहीं है।मोदी ने कहा था कि जो हिंदुस्तान की मिट्टी के मुसलमान हैं, जिनके पुरखे मां भारती की संतान हैं,उन पर नागरिकता कानून और एनआरसी, दोनों का कोई लेना देना नहीं है। देश के मुसलमानों को ना डिटेंशन सेंटर में भेजा जा रहा है, ना हिंदुस्तान में कोई डिटेंशन सेंटर है। ये सफेद झूठ है, ये बदइरादे वाला खेल है, ये नापाक खेल है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावों में सच्चाई नहीं है और ये तथ्यों की बुनियाद पर खरे नहीं उतरते हैं। संसद में पूछे गए सवालों के जवाब में केंद्र सरकार ने कई बार बताया गया है कि असम में कई डिटेंशन सेंटर हैं और अन्य राज्यों में डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए केंद्र ने दिशानिर्देश जारी किए हैं।

जुलाई 2019 में गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में कहा था कि अवैध प्रवासियों को पहचानने, हिरासत में रखने और उन्हें प्रत्यर्पित करने के केंद्र के अधिकार को संविधान के तहत राज्यों को हस्तांतरित किया गया है। राष्ट्रीयता की पहचान और उन्हें प्रत्यर्पित किए जाने तक राज्यों को अवैध प्रवासियों को डिटेंशन सेंटरों में रखना चाहिए। हालांकि, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बनाए गए डिटेंशन सेंटरों और उनमें रखे गए अवैध प्रवासियों की संख्या का जिक्र नहीं किया गया है।

केंद्र ने राज्यों को केंद्रशासित प्रदेशों को मॉडल डिटेंशन सेंटर और होल्डिंग सेंटरों के संबंध में नियमावली 9 जनवरी को भेजी थी। केंद्र बार-बार राज्यों से डिटेंशन सेंटर स्थापित करने के संबंध में निर्देश भेजता रहा है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने दो जुलाई 2019 को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर द्वारा लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया था कि असम में इस समय कुल छह डिटेंशन सेंटर हैं। इन सेंटर में 25 जून 2019 तक में कुल 1133 लोगों को रखा गया है, जिसमें से 769 लोग पिछले तीन सालों से रह रहे हैं।

रेड्डी ने बताया कि इन डिटेंशन सेंटर्स में 335 लोगों को पिछले तीन साल से भी ज्यादा समय से रखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि 1985 से लेकर 28 फरवरी 2019 तक में असम में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल द्वारा 63,959 लोगों को विदेशी घोषित किया गया है।ये छह डिटेंशन सेंटर असम के गोलपाड़ा, कोकराझार, सिल्चर, डिब्रूगढ़, जोरहाट और तेजपुर में है. इनमें महिला एवं पुरुष के अलावा बच्चों को भी बंदी बनाकर रखा जाता है।

गृह मंत्रालय द्वारा नौ अगस्त 2016 को लोकसभा में दिए गए जवाब के मुताबिक तीन अगस्त 2016 तक इन डिटेंशन सेंटर्स में कुल 28 बच्चों को रखा गया था। इसके अलावा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2016 से लेकर 13 अक्टूबर 2019 तक कुल 28 बंदियों की मौत हो चुकी है।

प्रधानमंत्री का दावा है कि उनकी सरकार डिटेंशन सेंटर नहीं बना रही है। हकीकत ये है कि केंद्र सरकार ने काफी पहले ही विभिन्न राज्यों को डिटेंशन सेंटर बनाने को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में 24 जुलाई 2019 को एक सवाल के जवाब में बताया कि विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए सरकार ने एक ‘मॉडल डिटेंशन सेंटर मैनुअल’ तैयार किया है और नौ जनवरी 2019 को इसे सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को भेजा गया है।

गौरतलब है कि रॉयटर्स की सितंबर में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, असम के गोलापाड़ा में अवैध प्रवासियों के लिए पहला डिटेंशन सेंटर बनाया जा रहा है। इसमें करीब 3 हजार लोगों को रखा जा सकता है। अगस्त 2016 में सरकार ने लोकसभा में बताया था कि असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं और इनमें 900 अवैध प्रवासियों को रखा गया है। 3 साल के दौरान यहां रखे गए लोगों में 28 की मौत हो गई है।

ई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु के पास नेलमंगला में कर्नाटक का पहला डिटेंशन सेंटर बनाया गया है। इस डिटेंशन सेंटर में आठ सेल हैं। एनडीटीवी के मुताबिक हर कमरे में 8 से 10 लोग रखे जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक ये डिटेंशन सेंटर पहले एक बॉयज हॉस्टल था। जो 2008 में बंद हो गया था, जिसे राज्य सरकार ने एक डिटेंशन सेंटर में बदला गया है।

क मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नवी मुंबई में ‘अवैध प्रवासियों’ के लिए महाराष्ट्र का ऐसा पहला हिरासत केंद्र बनेगा। राज्य के गृह विभाग ने सिडको (सिटी इंडस्ट्रियल एंड कॉर्पोरेशन) को लिखा भी है कि नवी मुंबई के पास नेरूल में 1.2 हेक्टेयर का प्लॉट उपलब्ध कराए जहां उन्हें अस्थायी तौर पर रखा जा सके।

क अन्य रिपोर्ट बताती है कि बेंगलुरु से लगभग चालीस किलोमीटर दूर नीलमंगल के सोन्डेकोप्पा में भी ऐसा एक हिरासत केंद्र बन रहा है। दस फीट उंची दीवारें, कंटीली तारें और इर्दगिर्द बने वॉचटावर्स के चलते यह जगह जेल से कम नहीं दिखती।

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