ब्लू व्हेल गेम की भारत में दस्तक, बचाइए अपने बच्चों को

Update: 2017-08-13 17:25 GMT

यदि आपका टीनएजर बच्चा इंटरनेट पर गेम खेलने का आदी बन रहा है तो यह आपके लिए खतरे का अलार्म हो सकता है। रूस समेत दुनिया कई सारे मुल्कों के किशोरों को आत्महत्या के लिए उकसाने वाला ब्लू व्हेल चैलेंज गेम अब भारत में पैर पसार रहा है...

मुनीष कुमार, स्वतंत्र पत्रकार

बीती 30 जुलाई को मुम्बई के अंधेरी इलाके के शेर-ए-पंजाब कालोनी में 14 वर्षीय किशोर मनप्रीत साहनी ने 7वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। इस मामले में मुम्बई पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। मुम्बई पुलिस का कहना है कि किशोर इंटरनेट पर ब्लू व्हेल चैलेंज गेम खेलता था, उसी के कारण उसने आत्महत्या की है।

9 अगस्त को शोलापुर का 15 वर्षीय किशोर अचानक गायब हो गया। उसके परिजनों द्वारा दोस्तों से जानकारी लेने पर पता चला कि वह अपने पिता के मोबाइल पर ब्लू व्हेल चैलेंज गेम खेलता था तथा ब्लू व्हेल चैलेंज गेम से जुड़ा हुआ था। पिता द्वारा पुलिस को सूचना देने पर किशोर को सोल्हापुर-पूना राजमार्ग के बीच भिगवान बस स्टेशन पर बरामद कर पिता के सुपुर्द किया गया। वह ब्लू व्हेल चैलेंज गेम का टास्क पूरा करने के लिए घर से निकला था।

10 अगस्त को इंदौर के पब्लिक स्कूल का छात्र ब्लू व्हेल गेम कें चैलेंज को पूरा करने के लिए स्कूल की तीसरी मंजिल पर कूदने के लिए चढ़ गया। उसके साथी दो छात्रों व अध्यापक ने उसे देख लिया, इस कारण वह बच गया।

12 अगस्त को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर का 10वीं कक्षा का छात्र अनकन डे स्कूल से वापस आने के बाद कम्यूटर पर बैठ गया। मां ने खाना खाने के लिए कहा तो वह पहले नहाने के लिए चला गया। जब बहुत देर तक वह बाथरुम से बाहर नहीं आया तो दरवाजा तोड़ने पर अनकन डे को फर्श पर मृत पाया गया। उसने अपना सिर गले तक पौलीथीन से कवर कर रखा था तथा गले पर पौलीथीन को नायलाॅन की रस्सी से कसकर बां कर आत्महत्या कर ली थी।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी 12 अगस्त को ही एक 5वीं कक्षा के छात्र जो कि आत्महत्या करने की कोशिश कर रहा था, उसको अध्यापक व सहपाठी छात्रों ने समय रहते बचा लिया।

उक्त सभी छात्र इंटरनेट पर ब्लू व्हेल चैलेंज गेम का हिस्सा थे।

केरल में 4 छात्र चवाक्कड समुद्र तट पर ब्लू व्हेल के चैलेंज को पूरा करते हुए पाए गये। केरल सरकार ने केन्द्र से ब्लू व्हेल चैलेंज गेम पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। केरल सरकार का कहना है कि केरल में 2000 से भी अधिक ब्लू व्हेल चैलेंज गेम के यूजर हैं।

ब्लू व्हेल चैलेंज गेम सोशल मीडिया पर एक ग्रुप गेम है। इस गेम के खिलाड़ी को 50 दिन में अपना टास्क पूरा करना होता है। इस गेम को खिलाने वाला एक निर्देशक होता है, जिसे हम रिंग मास्टर भी कह सकते हैं, जो कि बच्चों तक पहुंचने के लिए विभिन्न आॅनलाईन साइट का सहारा लेता है।

वह ट्विटर, इन्स्टाग्राम, व्हाट्स एप जैसी सोशल नेटवर्किंग साईट के माध्यम से अपने ग्रुप मेम्बर को टास्क देता है। इसके साथ जुड़ने की शर्त होती है कि बीच में गेम को नहीं छोड़ा जाएगा तथा जो भी टास्क ग्रुप का सदस्य लेगा, उसका फोटो या वीडियो ग्रुप निर्देशक को अपलोड करेगा। खेल के अन्तिम चरण में आत्महत्या करना इससे जुड़ने की मुख्य शर्त होती है।

इस गेम में शामिल होने वाले को 50 दिन तक जो टास्क पूरे करने होते हैं, उनमें सुबह 4.20 बजे उठना, पुल व छत की रैलिंग पर चढ़ना, अकेले डरावनी फिल्म देखने, रेलवे लाईन पर जाना, हाथ या पांव में सुई चुभोना, रेजर से शरीर के किसी भाग में आकृति बनाना, क्रेन पर चढ़ना, गेम निदेशक द्वारा भेजे गये विशेष प्रकार के संगीत को सुनना-फिल्म देखना व कागज पर व्हेल का चित्र बनाना आदि हैं।

अंतिम दिन ग्रुप मेम्बर को अपना जीवन खत्म कर लेना होता है और इसी टास्क को पूरा करने के लिए बच्चे अपनी जान कुर्बान कर देते हैं।

दुनिया में 130 से अधिक किशोर इस ब्लू व्हेल चैलेंज गेम के कारण आत्महत्याएं कर चुके हैं। पिछले वर्ष नवम्बर 2016 में रूस की पुलिस ने फिलिप बुदेकिन नाम के एक 22 वर्षीय नौजवान को गिरफ्तार किया था। बुदेकिन ब्लू व्हेल चैलेंज गेम के अंतर्गत बनाये गये ग्रुप एफ-57 का रिंग मास्टर था तथा वह अपने ग्रुप के सदस्यों को ब्लू व्हेल चैलेंज गेम के निर्देश देता था।

बुदेकिन ने 17 किशोर-किशोरियों को आत्महत्या के लिए निर्देशित करने की बात स्वीकार की है। बतुदेकिन ने बताया कि उसके निर्देश पर और भी 28 टीन एजर आत्महत्या के लिए तैयार थे। बुदेकिन मनोविज्ञान का छात्र बताया जाता है, वह इस पर वर्ष 2013 से काम कर रहा था। जेल के भीतर भी उसके लिए टीन एजर्स के पत्र आ रहे हैं।

बुदेकिन को अपने इस गुनाह का कोई मलाल नहीं है। उसका कहना है कि मरने वाले बायोलोजिकल वेस्ट (जैविक अपशिष्ट) थे, वे मरने में खुश थे। उसने कहा कि इस प्रकार मैं समाज की सफाई कर रहा हूं। बुदेकिन को 3 साल की सजा सनाई गयी है तथा वह जेल में है।

ब्लू व्हेल चैलेंज गेम भारत जैसे देश में और भी ज्यादा खतरनाक साबित होगा। देश की युवा पीढ़ी रोजगार के अभाव व पढ़ने—लिखने के अवसरो में कमी के कारण अवसाद की तरफ जा रही है। समाज में जनवादी मूल्यों की कमी ने किशोरों के मन-मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।

14-15 की उम्र का बच्चा का मन बेहद नाजुक होता है बच्चा कच्ची मिट्टी की तरह किसी भी सेप में ढल सकता है। रहस्य—रोमांच की दुनिया की तरफ उसका सहज आकर्षण होता है। बच्चों के बीच अकेलापन उन्हें ऐसे गेम का शिकार बनाने में सहायक होता है।

लैनेसेट कमीशन आॅन एडाॅलसेन्ट एंड वैल वींग लंदन का कहना है कि भारत में आत्महत्या नौजवानों की मौत का सबसे बड़ा कारण बन रहा है।

कमीशन के अनुसार वर्ष 2013 में देश के 60 हजार से भी अधिक नौजवानों की मौतें आत्महत्या के कारण हुयीं, जो कि सड़क दुर्घटनाओं व टीबी के कारण देश के भीतर हुयी मौतों के मुकाबले ज्यादा है। देश के 10 से 24 वर्ष की उम्र के बीच के 26 लाख से भी अधिक आबादी डिप्रेसिव डिसआर्डर (निराशाजनक बीमारी) की शिकार है।

केरल व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार से ब्लू व्हेल चैलेंज गेम को रोकने की मांग की है। पर सवाल यह है कि क्या सरकार इसको रोक पाएगी।

मोबाइल फोन व ईमेल के माध्यम से अक्सर लोगों के पास लाखों-करोड़ों रुपए की लाटरी जीतने के संदेश आते हैं। लाटरी की राशि के भुगतान से पहले वे व्यक्ति से हजारों-लाखों रुपए की राशि मार्जियन मनी के रूप में ईनाम निकालने वाले अपने बैंक खातों में जमा करवा लेते हैं। इसकी काॅल विदेश से ही आती है।

इस नेटवर्क के सदस्य देश के भीतर भी होते हैं जो कि रकम बैंक खाते में जमा कराकर, जिसकी लाॅटरी निकलती है उसे कंगाल बनाकर गायब हो जाते हैं। पहले तो पुलिस ऐसे मुकदमों को दर्ज करने के लिए ही तैयार नहीं होती। यदि मुकदमा दर्ज हो भी जाता है तो अपराधी पकड़ पाना अक्सर पुलिस के बस से बाहर की बात ही साबित होता है। यह सबकुछ हमारे देश में लम्बे समय से चल रहा है और सरकार इस मामले में सख्त कानून बनाकर, इसे सख्ती के साथ रोकने में नाकाम साबित हुयी है।

इंटरनेट ने दुनिया के लोगों के बीच सम्पर्क का बहुत विशाल दायरा तैयार कर दिया है। इस इंटरनेट व सोशल नेटवर्किंग साइटों को चलाने वाला देश दुनिया का मुनाफाखोर पूंजीपति व साम्राज्यवादी वर्ग है। उसका एकमात्र उद्देश्य है मुनाफा कमाना।

भारत के भीतर आईडिया से लेकर जो भी कम्पनी मोबाइल-कम्यूटर पर फोन काॅल व डाटा उपलब्ध कराती हैं, वह जमकर नग्नता व अश्लीलता परोस रही हैं। ज्ञान-विज्ञान की साइटों पर भी अश्लीलता ठूंसकर व्यक्ति का ध्यान भटका दिया जाता हैं। मोबाईल कम्पनियां दिन भर उपभोक्ताओं को काॅल कर फोन पर लड़कियों के साथ अश्लील बातें करने का आॅफर देती हैं। देश में कोरपोरेट जगत सोशल रेस्पांसविलिटी के तहत समाज का कितना भला कर रहा है आप स्वयं सोच सकते हैं।

दरअसल भारत सरकार इंटरनेट के माध्यम से होने वाले अपराधों के प्रति सजग नहीं है। सरकार स्वयं कह चुकी है कि देश में इंटरनेट पर मौजूद अश्लील व आपत्तिजनक सामग्री पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाना सम्भव नहीं है।

मुनाफे की हवस के लिए सरकार व पूंजीपति वर्ग ने जो शक्तियां पैदा कर दी हैं उनको नियंत्रित करना सरकार के बस से बाहर हो चुका है। इसे एक सामाजिक ताकत ही नियंत्रित कर सकती है।

कुछ लोग ब्लू व्हेल चैलेंज गेम व साइबर अपराधों से डरकर इंटरनेट को ही बंद करने की बात करने लगते हैं। समाज का दुश्मन इंटरनेट तकनीक नहीं, बल्कि वो शक्तियां हैं जो अपने मुनाफे के लिए समाज में विकृति पैदा कर रही हैं। इसी विकृति का परिणाम है ब्लू व्हेल गेम चैलेंज। आज वक्त की जरूरत है कि इन शक्तियों के खिलाफ जनता एकजुट हो तथा इंटरनेट का इस्तेमाल मुनाफाखोरी के लिए नहीं, बल्कि समाज में ज्ञान-विज्ञान व मानवीय मूल्यों को स्थापित करने के लिए किया जाए।

(स्वतंत्र पत्रकार मुनीष कुमार आर्थिक मसलों के जानकार हैं और वह उत्तराखंड में समाजवादी लोक मंच के सहसंयोजक हैं।)

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