कर्नाटक में डॉक्टरों ने वापस ली अनिश्चितकालीन हड़ताल

Update: 2017-11-18 11:01 GMT

पिछले पांच दिनों से राज्य में चरमरा गई थीं स्वास्थ्य सेवाएं, इस दौरान इलाज के अभाव में हुई आधे दर्जन से ज्यादा मरीजों की मौत

बेंगलुरु। कर्नाटक में अपनी कई मांगों को लेकर 5 दिनों से हड़ताल पर रहे डॉक्टरों ने 17 नवंबर को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और स्वास्थ्य मंत्री केआर रमेश से बातचीत के बाद हड़ताल वापस ले ली है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कर्नाटक अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से अपनी मांगों को लेकर हुई एक बैठक के बाद हड़ताल वापस लेने की घोषणा की।

गौरतलब है कि प्राइवेट डॉक्टर और अन्य कर्मचारी कर्नाटक में निजी आयुर्विज्ञान प्रतिष्ठान अधिनियम (केपीएमई) में प्रस्तावित संशोधनों काे वापस लेने की मांग कर रहे थे।

डॉक्टरों की हड़ताल के चलते राज्य में मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। एक तरह से राज्य सरकार और डॉक्टरों के बीच चली इस रस्साकशी की भरपाई आधे दर्जन से ज्यादा मरीजों ने अपनी जान गंवाकर की।

कर्नाटक में पिछले पांच दिनों से प्राइवेट मेडिकल प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक, 2017 (केएमपीए) को लेकर तकरीबन 22 हज़ार डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी थी। चूंकि स्वास्थ्य सेवाएं काफी हद तक प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर हैं, तो हड़ताल के दौरान प्राइवेट क्लिनिक और अस्पताल बंद रहे, जिसके कारण राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई।

सरकार द्वारा संशोधित किए गए बिल में स्वास्थ्य प्रक्रियाओं की लागत को रेगुलर करने, क़ानूनी मामलों में दोषी डॉक्टरों की जेल की सज़ा तय करने तथा अधिक जुर्माने और ज़िला शिकायत सेल के अलावा कुछ अन्य नियमों का प्रस्ताव रखा गया था। इसी सबका प्राइवेट डॉक्टर विरोध कर रहे थे।

डॉक्टरों की दलील थी कि उनकी बात सुने बिना ही सरकार ने उनकी निगरानी के लिए जिला शिकायत सेल गठित करने का निर्णय ले लिया, जो सरासर गलत है। सरकार डॉक्टरों के लिए इतने प्रतिबंध और नियम—कानून लागू करना चाहती है जो गलत है। डॉक्टरों का कहना था कि सरकार ने बिल संशोधन के लिए जो 14 प्रस्ताव रखे हैं उनमें से चार को हटा दिया जाए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के कर्नाटक अध्यक्ष डॉ. रविंद्र ने तो सरकार के संशोधन बिल को सरकार का कूरतम फैसला करार दिया था।

प्रदर्शनकारी डॉक्टर और अन्य कर्मचारी बेलगावी में सुवर्ण विकास सौध के सामने हड़ताल पर बैठे हुए थे, जहां विधानसभा का सत्र चल रहा था।

अब डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और स्वास्थ्य मंत्री केपी रमेश के इस आश्वासन के बाद वापस ली है कि निजी आयुर्विज्ञान प्रतिष्ठान अधिनियम (केपीएमई) में प्रस्तावित संशोधनों पर फिर से एक बार विचार करने के बाद उन्हें लागू किया जाएगा।

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