अमीरों का रिश्तेदार बता गरीबों की किडनी बेचने वाला पीएसआरआई अस्पताल का चीफ गिरफ्तार

Update: 2019-06-09 07:13 GMT

एसआरआई के सीईओ दीपक शुक्ला की मिलीभगत से अस्पताल के लैब में खून के सैंपल बदले जाते थे, ताकि गरीब लोगों को ट्रांसप्लांट करवाने वाले मरीजों का रिश्तेदार साबित किया जा सके...

जनज्वार। कानपुर के चर्चित किडनी रैकेट के तार दिल्ली के नामी—गिरामी अस्पताल पीएसआरआई से जुड़े होने का दावा करते हुए कानपुर पुलिस ने अस्पताल के सीईओ को गिरफ्तार कर लिया है।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक दिल्ली के फेमस हॉस्पिटल पुष्पावती सिंहानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (पीएसआरआई) के सीईओ दीपक शुक्ला को कानपुर पुलिस ने किडनी रैकेट में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

कानपुर पुलिस का कहना है कि हमें दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल में अवैध ढंग से किडनी ट्रांसप्लांट के पुख्ता सबूत मिले हैं। इस नामी अस्पताल में बिचौलियों की मदद से गरीब—मजबूर लोगों को अमीरों का रिश्तेदार बता किडनी ट्रांसप्लांट कराया जाता था।

पुलिस के मुताबिक पीएसआरआई के सीईओ दीपक शुक्ला की मिलीभगत से अस्पताल के लैब में खून के सैंपल बदले जाते थे, ताकि गरीब लोगों को ट्रांसप्लांट करवाने वाले मरीजों का रिश्तेदार साबित किया जा सके। गौरतलब है कानपुर की एक महिला की शिकायत के बाद पुलिस ने इस किडनी रैकेट की जांच शुरू की थी और यहां तक पहुंची है।

मामले की जांच कर रहे कानपुर एसपी क्राइम कहते हैं कि इस पूरे किडनी रैकेड कांड की छानबीन के दौरान डॉक्टर दीपक शुक्ला का नाम सामने आया और कई गंभीर आरोपों के साथ सबूत भी इसके पक्ष में मिले हैं कि पीएसआरआई में किडनी ट्रांसप्लांट का धंधा फल—फूल रहा है, इसीलिए कानपुर पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। इस पूरे मामले की जानकारी हम लोगों ने दिल्ली पुलिस को भी दे दी है।

मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक किडनी ट्रांसप्लांट में सबसे बड़ा खेल डीएनए सैंपल बदलने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने में होता था। इसी के जरिए किडनी देने वाले गरीबों और किडनी लेने वाले को रिश्तेदार दिखाया जाता था। क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आया है कि ये पूरा गड़बड़झाला अस्पताल के कोऑर्डिनेटर डोनर प्रोवाइडर के साथ मिलकर करते थे और इसकी पूरी जानकारी डॉक्टर दीपक शुक्ला को रहती थी। पुलिस के मुताबिक पीएसआरआई के लैब इंचार्ज समेत कई डॉक्टर भी इसमें शामिल हैं।

गौरतलब है कि इसी साल 17 फरवरी को पुलिस ने किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सदस्यों को पकड़ा था। तब भी दक्षिणी दिल्ली में स्थित पीएसआरआई के प्रमुख डॉक्टर दीपक शुक्ला का नाम किडनी रैकेट में सामने आया था।

दीपक शुक्ला के अलावा अब तक पुलिस किडनी रैकेट में संलिप्तता के लिए कानपुर, दिल्ली, लखनऊ और कोलकाता से दस आरोपियों को अपनी गिरफ्त में ले चुकी है, जिनसे पूछताछ जारी है।

एनडीटीवी में प्रकाशित खबर के मुताबिक पीएसआरआई के चीफ ऑफ ऑपरेशन्स, डॉक्टर संजीव गुप्ता ने अपने अस्पताल का बचाव करते हुए बताया कि 'अस्पताल की तरफ से कोई चीज़ गलत नहीं हुई है, कुछ गलत नहीं हुआ है, मामले की जांच चल रही है। जांच के चलते ही डॉक्टर शुक्ला को कानपुर पुलिस पूछताछ के लिए ले गई है। कल 8 जून को पुलिस आयी थी और जांच चल रही है। इस मामले में कॉर्डिनेटर सुनीता से भी पूछताछ हुई है, वो भी पुलिस की जांच में सहयोग कर रही हैं।'

हालांकि किडनी रैकेट में पीएसआरआई की कोऑर्डिनेटर सुनीता प्रभाकरण और मिथुन को भी पुलिस ने आरोपी बनाया है। पुलिस के मुताबिक इन दोनों आरोपियों ने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है, इसलिए उनकी गिरफ्तारी नहीं की गई।

इससे पहले दिल्ली पुलिस वर्ष 2017 में किडनी रैकेट यानी किडनी की खरीद-फरोख्त में शामिल एक महिला समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर चुकी थी। वो गिरफ्तारियां दिल्ली पुलिस ने राजस्थान मूल के शख्स की मदद से की थी, जो अपने एक लापता दोस्त की तलाश कर रहा था। तब दिल्ली पुलिस ने कहा था कि महिला समेत किडनी रैकेट में संलिप्त ये लोग दिल्ली समेत अनेक राज्यों के कई अस्पतालों में किडनी बेचने-खरीदने के कारोबार में संलिप्त थे।

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