पुलवामा हमले के आरोपी को मिली जमानत, NIA क्यों दाखिल नहीं कर पायी चार्जशीट ?

Update: 2020-02-27 15:16 GMT

जनज्वार। दिल्ली की एक अदालत ने पुलवामा आतंकी हमले के मामले में एक आरोपी को इसलिए जमानत दे दी है क्योंकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) निर्धारित वैधानिक अवधि के भीतर आरोप-पत्र दाखिल रही। अपने आदेश में, विशेष एनआईए न्यायाधीश परवीन सिंह ने देखा कि यूसुफ चोपन वैधानिक जमानत के हकदार थे।

दालत ने आरोपी चोपन को एक ज़मानत बांड के साथ 50,000 रुपये का निजी मुचलका देने को कहा है। चोपन ने जमानत के लिए अपने आवेदन में कहा था कि वह 180 दिनों के लिए हिरासत में है और जांच एजेंसी ने 11 फरवरी 2020 तक के लिए दिए गए समय के भीतर आरोप-पत्र दाखिल नहीं कर पाई है।

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नआईए ने स्वीकार किया कि वह 'पर्याप्त सबूत चाहते हैं' के कारण चार्जशीट प्रस्तुत नहीं कर सका और कहा कि मामले में आगे की जांच की जा रही है।

Full View अदालत ने एनआईए के तर्क को खारिज कर दिया और चोपन को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी। बांड की शर्तों के मुताबिक जब भी आवश्यकता हो उन्हें जांच में शामिल होना होगा और अदालत में पेश होना होगा।

दालत ने उसे यह भी निर्देश दिया कि वह किसी भी तरह का अपराध न करे और मामले के तथ्यों से जुड़े किसी भी व्यकित को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से धमकी नहीं देया या वादा नहीं करेगा और न ही सबूतों से छेड़छाड़ करेगा।

चोपन पर संदेह है कि उसने हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादियों को लॉजिस्टिकल सपोर्ट दिया था और उन्हें दी गई जमानत को केंद्र और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।

कांग्रेस ने गुरुवार को इस मामले को लेकर एनआईएपर निशाना साधा और इसे अभावपूर्ण दृष्टिकोण बताया। कांग्रेस ने कहा कि यह पुलवामा के शहीदों का अपमान है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा, यह जानकर हैरान हूं कि पुलवामा के आरोपी को जमानत मिल गई हैं क्योंकि एनआईए इतनी व्यस्त है कि वह चार्जशीट दाखिल करने में विफल रही।

Full View दें कि 14 फरवरी 2019 को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल पर उस वक्त हमला किया था जब उनका काफिया जा रहा था। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।

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ह घटना तब हुई थी जब जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर विस्फोटकों से लदे एक वाहन में एक आत्मघाती हमलावर ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला किया था जिसमें लगभग 2,500 कर्मचारी शामिल थे। हमले के बारह दिन बाद भारत ने पाकिस्तान के अंदर बालाकोट इलाके में हवाई हमले किए थे जिसमें सरकार ने दावा किया था कि जैश-ए-मोहम्मद के आंतकी शिविरों को नष्ट कर दिया गया है और 250 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया गया है।

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