पंजाब में न मोदी मैजिक चला और न झाड़ू, कांग्रेस ने किया क्लीन स्वीप

Update: 2017-12-19 12:08 GMT

आठ महीने पहले पंजाब में 100 सीट जीतने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी का हुआ बुरा हाल, तीन नगर निगम में एक भी सीट नहीं जीत पायी, देश को वैकल्पिक राजनीति देने का दावा करने वाली पार्टी की निकली हवा...

पंजाब से स्वतंत्र कुमार की रिपोर्ट

17 जनवरी 2017 को पंजाब से राजनीति की अलग—सी खबर आई। इस दिन सुबह पंजाब में 3 नगर निगम पटियाला, अमृतसर और जालंधर और 29 नगर परिषद् व नगर पंचायत के लिए चुनाव हुए थे।

जालंधर में नगर निगम चुनाव में 80 सीटों में से कांग्रेस 66, अकाली-बीजेपी 12 आप का खाता भी नहीं खुला। वहीं अमृतसर में कुल 85 सीट थी जिसमें 69 कांग्रेस, अकाली बीजेपी गठबंधन 12 अन्य को 4 सीट मिलीं। यहां भी अभी आप का खाता नहीं खुला। वहीं पटियाला की 60 में से 56 पर सीटें कांग्रेस के खाते में चली गईं।

32 म्युनिसिपल कमेटी के भी चुनाव हुए, जिनमें से 31 पर कांग्रेस की जीत हुई। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस की जीत को अपनी सरकार की नीतियों की जीत बताया।

हालाँकि लोकल बॉडीज का चुनाव नेशनल पॉलिटिक्स में मायने नहीं रखता। लेकिन पंजाब से आ रही इस खबर का राष्ट्रीय महत्व है, क्योंकि पूरे देश में एक तरफ मोदी की हवा बताई जा रही है वहीं पंजाब में मोदी की हवा कहीं नहीं दिखाई दी। पहले पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव में भी मोदी का जादू नहीं चला था।

वहीं दूसरी 16 दिसंबर को राहुल गाँधी ने कांग्रेस के नेशनल प्रेजिडेंट की कुर्सी संभाली है। पंजाब के लोकल बॉडी के चुनाव कैप्टन का राहुल के लिए गिफ्ट की तरह ही है। इस चुनाव में एक बात पर और बात करनी जरूरी है वह आम आदमी पार्टी की, जिन्होंने पंजाब विधानसभा चुनाव के समय वोटिंग मशीनों में छेड़छाड़ का मुद्दा उठाकर अपनी हार का ठीकरा ईवीएम् मशीनों पर फोड़ दिया था। लेकिन 9 महीने बाद चुनाव में अरविन्द केजरीवाल को पंजाब की जनता ने आईना दिखा दिया।

दरअसल केजरीवाल को इस बात का इल्म था कि उनकी पार्टी का पंजाब के लोकल बॉडी के चुनाव में बुरा हाल होने वाला है, इसलिए दिल्ली से एक भी नेता इन चुनावों में प्रचार के लिए नहीं गया। वहीं पार्टी से नाराज़ चल रहे कुमार विश्वास के मन में जरूर शांति पड़ी होगी।

पंजाब के नतीजे देखकर कि उनकी अनदेखी कितनी भारी पड़ रही है। दिल्ली में राजनीति कर रही आम आदमी पार्टी देश को वैकल्पिक राजनीति देने की बात करने की दम्भ भरती है, लेकिन जमीनी हकीकत दूर है।

आप दिल्ली से बाहर कहीं भी नहीं है, ये बात और है पार्टी कि सोशल मीडिया के शूरवीर जरूर अपने नेताओं के साथ साथ खुद भी भाजपा और कांग्रेस का विकल्प करने का सपना देखते रहते हैं।

Similar News