बवाना अग्निकांड में आंकड़ों में दर्ज 17 मौतें, मगर 45 में से 23 का अभी तक नहीं चला पता

Update: 2018-01-21 10:17 GMT

यह तो वो आंकड़ा है जो पुलिस और फैक्ट्री मैनेजमेंट ने उपलब्ध करवाया है। जबकि कई मजदूर ऐसे भी थे जिन्हें फैक्ट्री के रजिस्टर में दर्ज नहीं किया जाता, बल्कि रोज के रोज दिहाड़ी पर काम करवाया जाता है...

दिल्ली। रोहिणी के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में एक साथ तीन फैक्ट्रियों में भीषण आग लगी। सबसे पहले आग सेक्टर-5 स्थित पटाखा फैक्ट्री में लगी। जिससे इतने बड़े पैमाने पर जान—माल का नुकसान हुआ।

हालांकि अभी तक मीडिया में 17 लोगों के मारे जाने की खबर आ रही है और पुलिस भी यही बयान दे रही है। मगर फैक्ट्री के अंदर मौजूद 45 लोगों में से सिर्फ 17 शव मिले हैं, 23 लोगों के बारे में अभी तक कुछ नहीं पता चल पाया है। यह तो वो आंकड़ा है जो फैक्ट्री मैनेजमेंट ने उपलब्ध करवाया है। जबकि कई मजदूर ऐसे भी थे जिन्हें फैक्ट्री के रजिस्टर में दर्ज नहीं किया जाता, बल्कि रोज के रोज दिहाड़ी पर काम करवाया जाता है।

यानी की मरने वालों की संख्या कई गुना ज्यादा हो सकती है। फैक्ट्री में काम कर चुके एक युवक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि फैक्ट्री में 70 के लगभग लोग काम करते थे। जिनमें अधिकांश महिलाएं शामिल हैं।

सवाल यह है कि फैक्ट्री मालिकान द्वारा बताई गई संख्या को भी सही मान लिया जाय तो आखिर वो 23 लोग कहां गए, जिनकी मरे या जिंदा होने की कोई सूचना नहीं है।

सवाल है कि आग लगी कैसे और क्यों। मगर इससे पहले एक बड़ी बात जो जान लेनी जरूरी है। बवाना—नरेला क्षेत्र में बिना फायर एनओसी के तकरीबन 20 हजार फैक्ट्रियां चल रही हैं। इसलिए आग से सुरक्षा के किसी भी फैक्ट्री में कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। हजारों की संख्या में यहां काम करने वाले मजदूर अपनी जान हथेली में लेकर काम करते हैं।

गौरतलब है कि यहां हुआ यह कोई पहला मामला नहीं है जिसमें इतने बड़े पैमाने पर जान—माल का नुकसान हुआ है। इससे पहले भी इस इलाके में आग लगने की घटनाएं होती रहती हैं। बावजूद उसके सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

गौरतलब है कि नॉर्थ जिला प्रशासन ने फैक्ट्रियों को फायर एनओसी न लेने पर सील करने की चेतावनी देते हुए नोटिस जारी किया था। मगर बाद में जब फैक्ट्री मालिक इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन से मिले और उनसे कुछ समय की मोहलत मांगी। मंत्री महोदय ने मोहलत क्या दी ये मामला ही आया—गया हो गया। कोई सख्ती नहीं की गई फायर एनओसी लेने के लिए फैक्ट्री मालिकान पर।

इस क्षेत्र में हर साल आग लगने की तकरीबन 600—700 घटनाएं सामने आती हैंं। हालांकि सरकार ने एनओसी जारी करने के लिए कैंप भी लगाए ताकि फैक्ट्री मालिकों को बिना परेशानी के एनओसी मिल जाए, मगर इसका कोई फायदा नहीं हुआ। सरकार ने ज्यादा सख्ती दिखाई होती तो शायद आज इतने बड़े पैमाने पर मजदूर आग की भेंट न चढ़े होते।

इस भयानक हादसे के बाद केजरीवाल सरकार घटनास्थल पर गए और मृतकों के परिजनों को 5 लाख मुआवजा देने का ऐलान किया और घायलों के लिए एक लाख मुआवजा देने की बात कही। फैक्ट्री मालिक मनोज जैन को हिरासत में ले लिया गया है।

अब सरकार कुछ भी कर ले, मरने वाले वापस नहीं आएंगे। फैक्ट्री मालिकान पर सख्ती दिखाई गई होती, तो शायद आज इतना बड़ा हादसा न हुआ होता।

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