नहीं रहे साठोत्तरी कहानी के ख्यात लेखक दूधनाथ सिंह

Update: 2018-01-12 09:02 GMT

प्रोस्टेट कैंसर का चल रहा था एम्स से इलाज, इलाज के दौरान हार्टअटैक के बाद इलाहाबाद के निजी अस्पताल में निधन...

साठोत्तरी कहानी के कथानायकों में शुमार दूधनाथ सिंह का 11 जनवरी की देर रात इलाज के दौरान अस्पताल में निधन हो गया।

प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित प्रसिद्ध कथाकार और जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष दूधनाथ सिंह दिसंबर से इलाहाबाद के एक निजी हॉस्पिटल में अपना इलाज करवा रहे थे। 10 जनवरी की को उन्हें हार्टअटैक पड़ा, जिसके बाद से वो वेंटिलेटर पर थे। वेंटिलेटर पर ही 11 जनवरी की रात को तकरीबन 12 बजे 82 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।

पिछले साल अक्तूबर माह में जब उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा था तो उन्हें दिल्ली एम्स में दिखाया गया था, जहां डॉक्टरों ने प्रोस्टेट कैंसर की पुष्टि की और वहीं से उनका इलाज चल रहा था। मगर दिसंबर अंत में वे इलाहाबाद आए थे, जहां तबीयत खराब होने पर एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।

मूल रूप से बलिया के रहने वाले दूधनाथ सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए करने के बाद वहीं पढ़ाने लगे थे। साथ ही हिंदी लेखन में उनकी सक्रियता जारी रही।

हिंदी साहित्य में दमदार लेखन के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान भारत-भारती, मध्य प्रदेश सरकार के शिखर सम्मान मैथिलीशरण गुप्त सम्मान समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

दूधनाथ सिंह का नाम उन कथाकारों में शामिल है जिन्होंने नई कहानी आंदोलन को चुनौती दी और साठोत्तरी कहानी आंदोलन शुरू किया। 'हिन्दी के चार यार' के रूप में ख्यात ज्ञानरंजन, काशीनाथ सिंह, दूधनाथ सिंह और रवीन्द्र कालिया ने अपने जीवन के उत्तरार्द्ध में हिन्दी लेखन को नई धार दी। चार यारों में से अब सिर्फ काशीनाथ सिंह और ज्ञानरंजन ही बचे हैं। रवींद्र कालिया का भी पिछले साल निधन हो चुका है।

अपने समय के ख्यात लेखकों निराला, पंत और महादेवी के प्रिय रहे दूधनाथ सिंह ने आखिरी कलाम, लौट आ ओ धार, निराला : आत्महंता आस्था, सपाट चेहरे वाला आदमी, यमगाथा, धर्मक्षेत्रे-कुरुक्षेत्रे जैसी ख्यात रचनाएं लिखीं। 'एक और भी आदमी है', 'अगली शताब्दी के नाम' और 'युवा खुशबू' हैं, उनके कविता संग्रह हैं।

दूधनाथ सिंह की अंतिम इच्छा के अनुसार उनकी आंखें मेडिकल कॉलेज में दान की जाएंगी। उनके तीनों बच्चों अनिमेष ठाकुर, अंशुमन सिंह और अनुपमा ठाकुर ने उनकी आंखें दान करने का फैसला किया है। परिवार में दो साल पहले उनकी पत्नी निर्मला ठाकुर का भी निधन हो चुका था।

कल देर रात निधन के बाद दूधनाथ सिंह का पार्थिव शरीर उनके प्रतिष्ठानपुरी झूंसी स्थित आवास पर ले जाया गया। आज दिन में रसूलाबाद घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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