रिहाई मंच अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब को 1 महीने बाद मिली जमानत, CAA-NRC के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में दंगा भड़काने का था आरोप

Update: 2020-01-15 11:32 GMT

रिहाई मंच अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब एडवोकेट को लखनऊ पुलिस ने गैरसंवैधानिक नागरिकता अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान करने के आरोप में पहले 18 दिसम्बर 2019 से उनके घर में नज़रबंद रखा और 19 दिसम्बर की रात में 12 बजे के करीब बातचीत के बहाने थाने पर बुलाकर गिरफ्तार किया...

जनज्वार। रिहाई मंच अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील मोहम्मद शुऐब की कई सुनवाइयां टलने के बाद आज 15 जनवरी को तकरीबन 1 महीने के लंबे वक्त बाद जमानत मंजूर की गयी है। यह जानकारी उनके संगठन रिहाई मंच ने साझा की है।

गौरतलब है कि कई अन्य सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं की तरह मोहम्मद शुऐब पर भी CAA-NRC के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में दंगा भड़काने का आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार किया गया था।

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रिहाई मंच अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब एडवोकेट को लखनऊ पुलिस ने गैरसंवैधानिक नागरिकता अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान करने के आरोप में पहले 18 दिसम्बर 2019 से उनके घर में नज़रबंद रखा और 19 दिसम्बर की रात में 12 बजे के करीब बातचीत के बहाने थाने पर बुलाकर गिरफ्तार किया था। 2 जनवरी को उनकी गैरकानूनी गिरफ्तारी पर कोर्ट में सुनवाई होनी तय हुई थी, मगर तारीखें लगातार टलतीं और आगे बढ़ती रहीं।

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छात्र जीवन से समाजवादी आदर्शों के लिए संघर्ष करने वाले अधिवक्ता मोहम्मद शुऐब को पहली बार गिरफ्तार नहीं किया गया। जाति-सम्प्रदाय से ऊपर उठकर पीड़ित व निरीह जनता की पक्षधरता के कारण वे हमेशा सत्तासीनों की आंख की किरकिरी रहे। कई बार फर्जी मुकदमों में उन्हें फंसाया गया, लेकिन उन्होंने कभी अपने आदर्शों से समझौता नहीं किया।

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1975 में आपातकाल के दौरान भी उन्हें डीआईआर के तहत गोंडा में दो महीने तक जेल काटनी पड़ी थी। लखनऊ में वकालत शुरू करने के बाद भी मोहम्मद शुऐब अपने पेशे से अपने आदर्शों को जोड़े रखा। समाज के दबे कुचले वर्ग के पीड़ितों के मुकदमों की निःशुल्क पैरवी ही नहीं करते थे, बल्कि उनकी आर्थिक मदद भी करते थे। कानून की मर्यादा के मुताबिक उन्होंने कभी फीस के लिए किसी मुवक्किल को वापस नहीं किया।

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तंकवाद के नाम पर गिरफ्तार किए गए युवकों के मुकदमे लड़ने के खिलाफ जब बार एसोसिएशनों के फरमान जारी हो रहे थे, तब भी उन्होंने उनके मुकदमे किए।

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