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प्रेस रिलीज

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब की गिरफ्तारी पर लखनऊ कोर्ट में आज होगी सुनवाई

Prema Negi
2 Jan 2020 5:12 AM GMT
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब की गिरफ्तारी पर लखनऊ कोर्ट में आज होगी सुनवाई
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छात्र जीवन से समाजवादी आदर्शों के लिए संघर्ष करने वाले एडवोकेट शुऐब को पहली बार गिरफ्तार नहीं किया गया, जाति-सम्प्रदाय से ऊपर उठकर पीड़ित व निरीह जनता की पक्षधरता के कारण वे हमेशा सत्तासीनों की आंख की किरकिरी रहे...

जनज्वार। सामाजिक राजनीतिक संगठन रिहाई मंच ने रिलीज जारी कर कहा है कि रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब एडवोकेट को लखनऊ पुलिस ने गैरसंवैधानिक नागरिकता अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान करने के आरोप में पहले 18 दिसम्बर 2019 से उनके घर में नज़रबंद रखा और 19 दिसम्बर की रात में 12 बजे के करीब बातचीत के बहाने थाने पर बुलाकर गिरफ्तार कर लिया। आज 2 जनवरी को उनकी गैरकानूनी गिरफ्तारी पर कोर्ट में सुनवाई होगी।

छात्र जीवन से समाजवादी आदर्शों के लिए संघर्ष करने वाले शुऐब एडवोकेट को पहली बार गिरफ्तार नहीं किया गया। जाति-सम्प्रदाय से ऊपर उठकर पीड़ित व निरीह जनता की पक्षधरता के कारण वे हमेशा सत्तासीनों की आंख की किरकिरी रहे। कई बार फर्जी मुकदमों में उन्हें फंसाया गया, लेकिन उन्होंने कभी अपने आदर्शों से समझौता नहीं किया।

1975 में आपातकाल के दौरान भी उन्हें डीआईआर के तहत गोंडा में दो महीने तक जेल काटनी पड़ी थी।

रिहाई मंच ने कहा है कि लखनऊ में वकालत शुरू करने के बाद भी उन्होंने अपने पेशे से अपने आदर्शों को जोड़े रखा। समाज के दबे कुचले वर्ग के पीड़ितों के मुकदमों की निःशुल्क पैरवी ही नहीं करते थे, बल्कि उनकी आर्थिक मदद भी करते थे। कानून की मर्यादा के मुताबिक उन्होंने कभी फीस के लिए किसी मुवक्किल को वापस नहीं किया।

तंकवाद के नाम पर गिरफ्तार किए गए युवकों के मुकदमे लड़ने के खिलाफ जब बार एसोसिएशनों के फरमान जारी हो रहे थे, तब भी उन्होंने उनके मुकदमे किए। उनके ऊपर लखनऊ कचहरी में आरएसएस मानसिकता के वकीलों ने हमला भी किया, लेकिन उन्होंने अंत तक हार नहीं मानी और 14 बेकसूरों को रिहाई दिलवाई। संविधान और कानून में अटूट आस्था और उसकी मर्यादा कायम रखने वाले शुऐब एडवोकेट ने हिंसक हमलों तक का सामना किया, लेकिन किसी के खिलाफ बदले की भावना से कुछ नहीं किया।

रिहाई मंच ने कहा है कि यह देश और समाज के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए स्वंय लोकतंत्र सेनानी का दर्जा दिया हो, उस पर संविधान की परिधि से बाहर जाकर हिंसा का सहारा लेने का आरोप लगाकर जेल में डाल दिया जाए।

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