संघियों से सावधान, किसान और शिक्षक आंदोलन को फेल करने के लिए किया मंदिर आंदोलन
राम मंदिर से कुछ लोगों को कुर्सी भले मिल जाए आम जनता को तो बस ठेंगा ही मिलने वाला है....
सुशील मानव की रिपोर्ट
जनज्वार। जी न्यूज के सारे चैनल (जी न्यूज प्लस, जी न्यूज, जी हिंदुस्तान), आज तक, इंडिया टीवी, न्यूज नेशन, न्यूज 24, न्यूज इंडिया 18, इंडिया न्यूज, एबीपी न्यूज, न्यूज स्टेट, ईटीवी उत्तर प्रदेश पर आज अयोध्या की धर्मसभा लाइव चल रही है। अब जरा इन्हीं चैनलों पर कल होने वाले शिक्षक आंदोलन और 29-30 नवंबर को होने वाली किसान रैली को खोजकर दिखाइए।
बहरहाल, कुल मिलाकर किसान रैली और शिक्षक रैली को डायल्यूट करके उनकी आवाज़ को दबाने के लिए ही संघ और उसके सहयोगी संगठनों द्वारा अयोध्या में धर्मसभा आयोजित की गई है। गौरतलब है कि ऑल इंडिया टीचर इम्प्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले कल 26 नवंबर को जंतर मंतर पर प्रदर्शन रैली का आयोजन किया जा रहा है।
इस आंदोलन से जुड़े शिक्षक परवेज़ मोहम्मद बताते हैं कि अकेले आजमगढ़ जिले से 527 शिक्षक दिल्ली पहुँच गये हैं, जबकि रैली में 22 राज्यों के लगभग ढाई से तीन लाख शिक्षक इकट्ठे हो रहे हैं। बकौल परवेज़ मोहम्मद, हमारी सिर्फ़ एक माँग है कि 2004 के पहले की पेंशन स्कीम को बहाल किया जाये, जिसे साल 2004 में भाजपा सरकार ने खत्म कर दिया था।
पेंशन स्कीम में पहले सरकारी कर्मचारियों को 10% वेतन कटौती होती तो सरकार 10 % अनुदान देती थी, लेकिन 2004 के बाद नई पेंशन स्कीम लागू होने के बाद सरकार पेंशन का पैसा शेयर मार्केट में लगाएगी और उस समय जो मार्केट वैल्यू रहेगी उसके अनुसार पैसे देगी। जबकि कई बार लोग पैसा लेकर भाग भी जाते हैं। इसीलिए आंदोलनकारी शिक्षक कह रहे हैं कि सरकार पहले स्योरिटी दे। आज हालत ये हैं कि रिटायरमेंट के बाद सरकार हमारे जीपीएफ का महज 60 प्रतिशत रकम देगी, जबकि 30 प्रतिशत जीपीएफ पर इनकम टैक्स देना होगा। नई पेंशन स्कीम के तहत पेंशन में महंगाई भत्ता नहीं जुड़ता है।
वहीं 29-30 नवंबर को महाराष्ट्र, तमिलनाड़ु, हरियाणा, राजस्थान यूपी बिहार समेत देश भर के 200 से ज्यादा किसान संगठनों के खेतिहर मजदूर और किसान पहली बार, एक साथ, एक मंच पर आएंगे। इस आंदोलन की दो मुख्य मांगें हैं। पहली किसानों को फसल का पूरा दाम यानी संपूर्ण लागत का डेढ़ गुना मिलने की पूरी गारंटी हो और दूसरा किसानों का कर्ज एक झटके में खत्म किया जाए। इसीलिए किसान 29-30 नवंबर को दिल्ली में हल्ला बोल रहे हैं और संसद का घेराव कर रहे हैं।
किसान संसद द्वारा पारित दोनों बिलों को पिछले साल संसद में केरल से सांसद राजू शेट्टी ने पेश भी किया था। इस बिल को देश की 21 पार्टियों ने समर्थन किया है और वायदा किया है कि इसे वे संसद में पेश भी करें। पिछले दो साल से लगातार किसान कर्जमाफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने की माँगों को लेकर देशभर के किसान दिल्ली महाराष्ट्र से लेकर मंदसौर तक विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं। मंदसौर में तो भाजपा सरकार के ईशारे पर कार्रवाई करते हुए 6 किसानों की गोली मारकर हत्या तक कर दी गई थी।
19 राज्यों समेत केंद्र में भाजपा-संघ की सरकार है। लेकिन वो कभी किसी राजनीतिक, सांस्कृतिक मंच से देश के किसानों, मजदूरों और शिक्षक कर्मचारियों की समस्याओं पर बात नहीं करते। आज जब खुद किसान और खेतिहर मजदूर और शिक्षक संगठनों के लाखों पीड़ित लोग अपनी बात रखने दिल्ली आ रहे हैं तो उनकी आवाज को सत्ता से लेकर मीडिया तक में दबाने के लिए अयोध्या में धर्मसभा बुलाई गई है।
ये धर्मसभा पिछले साढ़े चार साल में क्यों नहीं बुलाई गई। ठीक चुनावी मौसम में ही क्यों राम मंदिर के लिए धर्मसभा बुलाई गई। जाहिर है ये सब किसान आंदोलन और और शिक्षक आंदोलन की धार को कुंद करने और इन जन-आंदोलनों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए रचा गया संघी प्रोपोगैंडा है। संघ हमेशा से ही जनविरोधी रहा है और अपने तमाम छोटे-मोटे सहायक संगठनों की मदद से देश को राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से कमजोर बनाने के दुष्चक्र में लगा रहता है।
सरकार के ही कृषि मंत्रालय ने स्थायी समिति के सामने स्वीकार किया है कि नोटबंदी ने देश भर के किसानों को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया। बावजूद इसके किसानों की बात सुनने उनके दुखों का समाधान करने के संघ अपनी सरकार को बाईपास देने के मकसद से धर्मसभा का आयोजन कर रही है और देशभर की मेनस्ट्रीम मीडिया धर्मसभा को लाइव टेलीकास्ट करके संघ-और भाजपा सरकार के जनविरोधी साजिशों को सफल बनाने में जुटी हुई है।
लोगों को धर्म की अफीम चखा-चखाकर उन्मादित और उत्तेजित किया जा रहा है। लेकिन कुछ सवाल क्या जवाब अब लोगों को सरकार और भगवाधारियों से पूछना ही चाहिए कि क्या राम मंदिर बन जाने से देश की बेरोजगारी दूर हो जाएगी और करोड़ों युवकों को रोजगार मिलेगा? क्या राम मंदिर बन जाने से बीमार लोगों को सस्ता ईलाज मिल जाएगा। क्या राम मंदिर बनने से गरीबों के बच्चों को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल जाएगी। क्या राम मंदिर बनने से इस देश के किसान आत्महत्या करना छोड़ देंगे।
जैसे 3600 करोड़ रुपए की लागत से स्टेचू ऑफ यूनिटी बनने के बाद भी अलवर में चार युवकों ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि उन्हें रोजगार नहीं मिला। वैसे ही राम मंदिर बनने के बाद भी देश से बेरोजगारी और युवकों की आत्महत्याओं का दौर नहीं रुकने वाला है। जैसे स्टेचू ऑफ यूनिटी बनने के बाद किसानों की समस्या हल नहीं हुई वैसे ही राम मंदिर बनने के बाद किसानों की समस्या हल नहीं होने वाली है।
जैसे स्टेचू ऑफ यूनिटी बनने के बाद आम जन को स्वास्थ्य और शिक्षा सुलभ नहीं हो गई वैसे ही राम मंदिर बनने के बाद भी स्वास्थ्य और शिक्षा आम जन के लिए दूर की कौड़ी रहने वाली है। बिजली मिलना तो दूर संघ सरकार द्वारा पानी और हवा का कार्पोरेटीकरण किए जाने की तैयारी है। आप डिसाइड करो कि आपको चाहिए क्या? स्टेचू ऑफ यूनिटी और राम मंदिर से कुछ लोगों को कुर्सी भले मिल जाए आम जनता को तो बस ठेंगा ही मिलने वाला है।