अमेरिका की सिएटल सिटी काउंसिल ने CAA-NRC के खिलाफ पारित किया प्रस्ताव, कहा हमें इतिहास में सही तरफ खड़े होने पर गर्व है
वॉशिंगटन की सिएटल सिटी काउंसिल ने CAA के खिलाफ पारित किया प्रस्ताव, कहा अल्पसंख्य विरोधी और भेदभावपूर्ण हैं भारत सरकार की नीतियां...
जनज्वार। सिएटल सिटी काउंसिल अमेरिका की सबसे प्रभावशाली सिटी काउंसिलों में से एक है। सोमवार को सिएटल सिटी काउंसिली ने राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर और नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव पास किया है।
प्रस्ताव में कहा गया कि एक स्वागत योग्य शहर के रूप में सिएटल धर्म और जाति की परवाह किए बिना शहर के दक्षिण एशियाई समुदाय के साथ एकजुटता व्यक्त करता है और यह संकल्प करता है कि सिएटल सिटी काउंसिल भारत में NRC और CAA का विरोध करता है। परिषद इसे मुस्लिम, दलित, महिलाओं, ट्रांसजेंडर समुदाय आदि के लोगों के साथ भेदभाव पूर्ण मानता है।
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सिटी काउंसिल की भारतीय अमेरिकी सदस्य क्षमा सावंत की तरफ से पेश प्रस्ताव में कहा गया कि प्रस्ताव भारत की संसद से सीएए को निरस्त करके भारतीय संविधान को बरकरार रखने, राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण को रोकने और शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न संधियों में सुधार करके आव्रजकों की सहायता करने की अपील करता है।
इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के अध्यक्ष अहसान खान ने कहा कि सीएए की निंदा करने का सिएटल सिटी का निर्णय उन सभी के लिए एक संदेश होना चाहिए जो बहुलवाद और धार्मिक स्वतंत्रता को कम करना चाहते हैं। वे नफरत और कट्टरता में नहीं उलझ सकते और एक ही समय में अंतर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता की उम्मीद कर सकते हैं।
सुंदरराजन ने कहा कि देशभर के हजारों आयोजकों ने इस संकल्प को बढ़ाने के लिए सिएटल सिटी काउंसिल के सदस्यों को बुलाया, ई-मेल किया और दौरा किया और यह संयुक्त राज्य अमेरिका के शहरों के लिए एक उदाहरण सेट करता है।
सुंदरराजन ने कहा कि सीएएए के खिलाफ वैश्विक आक्रोश में सिएटल नैतिक सहमति का नेतृत्व कर रहा है। जब नरसंहार अभियान शुरू होता है तो एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप अंतरराष्ट्रीय निंदा है और सिएटल समुदाय अपने चुने हुए अधिकारियों के साथ एकजुटता की गहरी भावना महसूस करता है, क्योंकि भारत सरकार की इस्लामोफोबिक नीतियों के खिलाफ अब खड़े होने का समय है।
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उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब भारतीय सत्तारूढ़ दल के सदस्य ट्रम्प, मुस्लिम प्रतिबंध के पक्ष में खड़ी हो रही है और युद्ध के शरणार्थियों का जस्टिफिकेशन कर भारतीय अल्पसंख्यों को निशाना बना रही है। हम अमेरिकियों को इस मानवाधिकार संकट के बारे में बोलने और इसके खिलाफ खड़े होने की जिम्मेदारी है। हमें खुशी है कि सिएटल इस पर आगे बढ़ रही है।
सिएटल-क्षेत्र के निवासियों ने माना कि सीएए और एनआरसी से भेदभाव और हिंसा के लिए अंतर्राष्ट्रीय निंदा से भारत सरकार पर दबाव पड़ेगा।
एमनेस्टी इंटरनेशनल यूएसए के इंडिया कंट्री स्पेशलिस्ट गोविंद आचार्य ने कहा, 'सीएए- एनआरसी के पारित होने से भारत के बहुलतावाद को गंभीर खतरा है और अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों को भारतीय के रूप में अपनी पहचान खोने का डर है। अगर अमेरिकी स्थानीय अधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जाती है तो सिएटल सिटी काउंसिल के रूख को नई दिल्ली में भी सुना जाएगा और वास्तव में असर होगा।'