सेक्सी दुर्गा और न्यूड नहीं दिखाई जाएंगी गोवा फिल्म फेस्टिवल में

Update: 2017-11-14 14:42 GMT

पहले फिल्म के नाम सेक्सी दुर्गा पर बवाल हुआ। निर्देशक ने नाम बदलकर 'एस दुर्गा' कर दिया तो अब सरकार ने फिल्म को ही अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में दिखाए जाने की सूची से ही बाहर कर दिया है...

गोवा में 20 से 28 नवंबर के बीच होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह (आइएफएफआइ) के 48वें आयोजन में 13 सदस्यों की जूरी ने एस दुर्गा और न्यूड को दिखाए जाने की सिफारिश की थी, लेकिन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इन दोनों फिल्मों को सूची से हटा दिया है। जूरी ने मंत्रालय के फैसले को तानाशाहीपूर्ण कहा है।

सनल कुमार शशिधरन की फिल्म सेक्सी दुर्गा सनल कुमार शशिधरन की यह पहली भारतीय फिल्म है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव रॉटरडैम (आईएफएफआर) में टाइगर पुरस्कार मिला है। गोवा में होने वाले चर्चित अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्वसव से मलयाली फिल्म 'एस दुर्गा' और मराठी फिल्म 'न्यूड' को हटाए जाने के बाद फिल्ममेकर सुजॉय घोष ने जूरी के मुखिया पद से इस्तीफा दे दिया है।

सुजॉय घोष ने इस्तीफा इन फिल्मों की मंजूरी नहीं मिलने के कारण दिया है। घोष ने  मीडिया को बताया कि मैंने इस्तीफा इन फिल्मों को इंटरनैशनल फिल्म फेस्टीवल में मंजूरी नहीं मिलने के कारण दिया है पर इस बारे में मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता।'

मंत्रालय की ओर से इन फिल्मों को हटाए जाने का अधिकतर जूरी मेंबर्स ने विरोध किया है। 20-21 सितंबर को ही मंत्रालय को फिल्मकारों ने अपनी सूची सौंप दी थी पर फैसला अब आया है। मंत्रालय ने दोनों फिल्मों को सूची में से कार्यक्रम होने से करीब 10 दिन पहले इसलिए हटाया है कि फिल्मकार अपने पक्ष में माहौल न बना सकें।

पर ज्यूरी के मुखिया का फिल्मों के पक्ष में आ जाने से मंत्रालय की होशियारी काम न आई है। इस मामले में मंत्रालय ने कुछ भी कहने से इनकार किया है।

सेक्सी दुर्गा और न्यूड दोनों फिल्मों के निर्देशकों ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे मंत्रालय द्वारा लगाए प्रतिबंध से बेहद निराश और हतप्रभ हैं। मलयाली फिल्म सेक्सी दुर्गा के निर्देशक सनल कुमार शशिधरन ने मंत्रालय के फैसले तानाशाहीपूर्ण कहा है और फैसले के खिलाफ अदालत जाने की बात कही है।

न्यूड के निर्देशक रवि जाधव के मुताबिक सरकार के फैसले मुझे निराश किया है। मुझे नहीं लगता कि संस्कृति के नाम पर गंदगी को ढके रहने से राष्ट्र का संस्कार और सांस्कृतिक विरासत बचती है।

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