नहीं रहीं शबाना आज़मी की मां, वह एक सच्ची कम्युनिस्ट थीं

Update: 2019-11-23 06:31 GMT

कद्र अब तक तेरी तारीख ने जानी ही नहीं, तुझमें शोले भी हैं बस अश्क फिशानी ही नहीं। तू हकीकत भी है दिलचस्प कहानी ही नहीं, तेरी हस्ती भी है इक चीज जवानी ही नहीं...

शौकत आजमी को रणधीर सिंह सुमन की श्रद्धांजलि

जनज्वार। मशहूर अभिनेत्री शबाना आज़मी की मां और नामचीन शायर कैफी आजमी का कल 22 नवंबर को मुंबई में निधन हो गया। वे 93 वर्ष की थीं। शौकत आजमी की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ दिन आईसीयू में रखने के बाद उन्होंने घर वापस आने की इच्छा जताई थी, जहां उन्होंने 22 नवंबर की रात को उन्होंने अंतिम सांस ली।

प्रगतिशील लेखक संघ के अग्रणी नेता, सुप्रसिद्ध शायर व कम्युनिस्ट आंदोलन के महत्वपूर्ण अगुवा कैफी आजमी के निधन के बाद शौकत आजमी ने आत्मकथा लिखी थी- क़ैफ़ी और मैं, जिसका बाद में नाट्य रूपांतरण भी किया गया था।

ब कैफी आजमी ने यह शायरी पढ़नी शुरू की कि 'कद्र अब तक तेरी तारीख ने जानी ही नहीं, तुझमें शोले भी हैं बस अश्क फिशानी ही नहीं। तू हकीकत भी है दिलचस्प कहानी ही नहीं, तेरी हस्ती भी है इक चीज जवानी ही नहीं। अपनी तारीख का उन्वान बदलना है तुझे उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे...'

हैदराबाद के एक मुशायरे में कैफी आजमी ने जैसे ही अपनी मशहूर नज्म 'औरत' को सुनाया, उस समय अपने भाई के साथ मुशायरे में पहली सफ (लाइन) में बैठीं शौकत, कैफी पर अपना दिल हार बैठीं। इस इश्क में वह यह भी भूल गईं कि उनकी मंगनी किसी और से हो चुकी है।

पनी मोहब्बत में उन्होंने हर इम्तेहान को पास किया और आखिर में शौकत, शौकत आजमी बन गईं। आजमगढ़ के फूलपुर के मेजवां में जन्मे मशहूर शायर, लेखक व गीतकार कैफी आजमी की पत्नी, मशहूर सिने तारिका शबाना आजमी और कैमरामैन बाबा आजमी की मां शौकत आजमी की मां थी।

शौकत आज़मी भी इप्टा के आयोजनों में काफी सक्रिय रहीं। उन्होंने इप्टा के कई नाटकों में मुख्य भूमिकाएं निभाईं और इस आंदोलन को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। शौकत आजमी अभिनेत्री की भूमिका के अलावा मजदूर किसान आंदोलन को समर्पित सच्ची कम्युनिस्ट थीं।

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